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Jharkhand News: कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का मिलने लगा समर्थन, शैलेंद्र महतो ने बतायी ये बात

चुआड़ विद्रोह के महानायक रघुनाथ महतो की 285वीं जयंती पर आगामी 21 मार्च को गोपाल मैदान में कुड़मियों का जुटान होगा. इस दौरान विशाल जनसभा का आयोजन कर कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का बिगुल फूंका जाएगा.

Jharkhand News: आगामी 21 मार्च, 2023 को चुआड़ विद्रोह के महानायक रघुनाथ महतो की 285वीं जयंती पर जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में कुड़मियों के उलगुलान के लिए बिगुल फूंका जायेगा. यहां विशाल जनसभा होगी. इस बात की जानकारी पूर्व सांसद सह शहीद रघुनाथ महतो चुआड़ सेना के प्रदेश अध्यक्ष शैलेंद्र महतो ने पत्रकारों को दी. उन्होंने कुड़मियों के इतिहास से जुड़े दस्तावेज और कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कुड़मी जनजाति छोटानागपुर पठार यानी वृहद झारखंड की खूंटकट्टीदार है. यह यहां के निवासी हैं. कुड़मी जनजाति पिछले कई वर्षों से अपनी पहचान आदिवासियत की लड़ाई लड़ रही है. कुड़मी के इतिहास, भाषा, संस्कृति, साहित्य से इसकी पहचान समाज में स्थापित है.

कुड़मी गैर आर्य वंश हैं

पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि तीन मई, 1913 के भारत सरकार के कई दस्तावेजों में कुड़मी को जनजाति माना है. खासकर भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन और 16 दिसंबर, 1931 के बिहार-ओडिशा के गजट नोटिफिकेशन में हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, जैन,बौद्ध, पारसी, यहूदी से अलग मानते हुए संताल, मुंडा, उरांव, खड़िया की तरह कुड़मी को ओबॉरिजनल ( आदिवासी) ट्राइब माना है. इसके अलावा पटना हाइकोर्ट के तीन फैसले (कृतिवास महतो बनाम भूदान महतानी, हरकानाथ ओहदार बनाम गणपत राय व अन्य मोहरी महतो बनाम मोकरम महतो) के निष्कर्ष यही है कि छोटानागपुर के कुड़मी महतो प्रजातीय रूप से आदिवासी जनजाति है. कुड़मी हिंदू विधि से नहीं, बल्कि प्रथागत नियमों द्वारा शासित होते हैं. कुड़मी गैर आर्य वंश है. इसके बावजूद कुड़मियों को हिंदू कहकर आदिवासियत से दूर करने की कोशिश की जा रही है.

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हर लड़ाई में कुड़मियों ने अपना बलिदान दिया

श्री महतो ने बताया कि देश के आंदोलन की बात हो या झारखंड के आंदोलन की, हर लड़ाई में कुड़मियों ने अपना बलिदान दिया है. दु:ख की बात है कि कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के मुद्दे पर केंद्र की भाजपा सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है जबकि वर्ष 2022 में भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय ने कई जनजातियों को अनुसूचित जनजाति में का दर्जा दिया है. उन्होंने बताया कि 22 अगस्त, 2003 को जमशेदपुर की सांसद सह उनकी पत्नी आभा महतो के नेतृत्व में झारखंड के 15 सांसदों ने कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आड़वाणी को स्मार पत्र सौंपा था. इसमें 13 सांसद भाजपा के और दो कांग्रेस पार्टी के सांसद थे. इसके अलावा वर्ष 2004 में झारखंड की अर्जुन मुंडा की सरकार ने मंत्रिमंडल में कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र की यूपीए (प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह) सरकार को भेजा था. सवाल है कि आखिर केंद्र सरकार कुड़मियों को धोखा क्यों दे रही है. जबकि कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग संवैधानिक है. पत्रकार वार्ता में शहीद रघुनाथ महतो चुआड़ सेना के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो समेत अन्य मौजूद थे.

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