Jharkhand News: झारखंड में 1932 के खतियान के आधार पर पहचान का मामला गरमा रहा है. झामुमो के विधायक भी स्थानीय नीति लागू करने की पुरजोर मांग कर रहे हैं. सोमवार को स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने भी 1932 के खतियान के आधार पर नीति लागू करने की बात कही. स्पीकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निर्णय लिया है कि झारखंडियों को पहचान देंगे. शुरू से हमलोग नारा लगाते थे, झारखंडियों की हो पहचान. जिसका 1932 का खतियान में हो नाम, जिसके पास 1932 का खतियान है, वही झारखंडी है, वही मूलवासी है. स्पीकर श्री महतो नाला विधानसभा क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के शिलान्यास कार्यक्रम में सोमवार को बोल रहे थे.
दुकान में आम मांगेंगे, तो इमली मिलेगा
स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि आज राज्य में यह पहचानना मुश्किल हो गया है कि कौन झारखंडी है और कौन नहीं है. किसी का कोई अता-पता नहीं है, असली झारखंडी है कौन. स्पीकर ने कहा कि आप यहां से जामताड़ा चले जायेंगे और नाला-कुंडीहित का बोली बाेलेंगे तो दुकान में आम मांगेंगे, तो इमली मिलेगी. दरअसल वो भाषा जानते ही नहीं हैं, जबकि एक ही जिला में है. स्थिति ये है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार की ओर से नाला विधानसभा क्षेत्र सहित पूरे राज्य में विकास के कार्य जोर-शोर से चलाये जा रहे है़ं आवश्यकता के आधार पर क्षेत्र के सभी सड़क, पुल-पुलिया तथा तालाब की मरम्मत करायी जायेगी, ताकि जनता को किसी प्रकार की समस्या न हो.
झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम हैं आक्रामक
मालूम हो कि सत्ता पक्ष के विधायक लोबिन हेंब्रम 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने को लेकर आक्रामक हैं. उन्होंने पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव के साथ मिलकर एक मोर्चा भी बना लिया है. रविवार को इस मोर्चे ने सभा भी आयोजित की थी. सरकार से 32 के आधार पर स्थानीय नीति लागू करने की मांग की थी. इस मुद्दे पर लोबिन ने सरकार को भी घेरा था.