Jharkhand News: चितरा से जामताड़ा कोयला ढुलाई कर रहे कोयला डंपरों के मालिकों को भाड़ा का भुगतान नहीं करने के कारण एक अक्टूबर से कोयला ढुलाई का कार्य ठप है. इस कारण जामताड़ा के रेलवे साइडिंग में कोयला ढुलाई कार्य ठप है. डंपर चालकों ने करीब 273 डंपर खड़ा कर विरोध जताया है. इसकी वजह से देवघर जिले के चितरा स्थित ईसीएल कोलियरी से उत्पादित करीब 3700 टन कोयला जामताड़ा रेलवे साइडिंग नहीं पहुंच पाया. इससे चितरा ईसीएल को करीब करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो चुका है. दुर्गा पूजा रहने के बाद भी कंपनी ने भाड़ा देना मुनासिब नहीं समझा. इस कारण पूजा फीकी रह गयी.
डंपर मालिकों की दुर्गा पूजा रही फीकी
आपको बता दें कि चितरा से जामताड़ा रेलवे साइडिंग ढुलाई के लिए पश्चिम बंगाल के शर्मा कंट्रक्शन को कार्य का जिम्मा मिला है, लेकिन कंपनी की ओर से डंपर मालिकों को भाड़ा का भुगतान नहीं किया है. जिसके आक्रोश में डंपर मालिकों ने कोयला ढुलाई का कार्य ठप कर दिया है. डंपर मालिकों का आरोप है कि ट्रांसपोर्टर की ओर से तीन माह से भाड़ा का भुगतान नहीं किया है. दुर्गा पूजा रहने के बाद भी कंपनी ने भाड़ा देना मुनासिब नहीं समझा. इस कारण पूजा फीकी रह गयी. कोयला ढुलाई का कार्य बंद होने से डंपर मालिक के साथ-साथ चालक, खलासी व मजदूरों के रोजगार पर संकट छा गया. साइडिंग में सैकड़ों मजदूरों को कोयला से पत्थर आदि चुनने के कार्य में लगाया जाता है. ऐसे मजदूरों को भी काम का संकट हो गया.
चितरा का कोयला विभिन्न पावर हाउस भेजा जाता है
जानकारी के अनुसार चितरा ईसीएल का कोयला देशभर के विभिन्न पावर हाउस में ट्रेन के जरिये भेजने का कार्य किया जाता है. जैसे एनटीपीसी के विभिन्न पावर हाउस, बरोनी, फरक्का आदि जगह कोयला को भेजा जाता है.
आठ दिनों में एक रेक का होता था उठाव
रेलवे साइडिंग के सेल्स मैनेजर नीरज कुमार ने बताया कि डंपर मालिकों की हड़ताल के कारण कोयला ढुलाई का कार्य ठप है. पिछले सितंबर माह में 15 रेक कोयला का उठाव हुआ था, लेकिन इस माह में अब तक एक भी रेक का उठाव नहीं हो सका. डंपर मालिक व ट्रांसपोर्टर के बीच का मामला रहने के कारण ईसीएल को नुकसान हो रहा है. हांलाकि इस संबंध में ईसीएल की ओर से संबंधित ट्रांसपोर्टर को पत्राचार किया गया है. जल्द ही मामला का हल निकलेगा.
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रिपोर्ट : उमेश कुमार, जामताड़ा