19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड पंचायत चुनाव: कभी लोकप्रियता पर मिलते थे वोट, अब है पैसा हावी, बोले पूर्व मुखिया रामधन साव

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: पूर्व मुखिया रामधन साव ने कहा कि उस समय एक या दो ही उम्मीदवार चुनाव में खड़े होते थे. मैं 1978 में मुखिया बना था. उस वक्त 2400 वोट मिले थे, जबकि मेरे प्रतिद्वंद्वी महावीर शाही को 22 वोट मिले थे. मुखिया बनने के बाद गांव का विकास किया.

Jharkhand Panchayat Chunav 2022: झारखंड पंचायत चुनाव पर गुमला जिले की भरनो पंचायत के पूर्व मुखिया रामधन साव ने अपने समय के चुनाव और वर्तमान समय के चुनाव के बारे में बेबाक तरीके से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि हमारे समय में पंचायत चुनाव में पैसे का कोई मतलब नहीं होता था. चुनाव में पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती थी. लोकप्रियता के आधार पर लोग अपने मुखिया का चुनाव करते थे, परंतु अभी के समय में प्रत्याशी बगैर पैसे का चुनाव नहीं लड़ सकता है.

पहले मुखिया का था रुतबा

पूर्व मुखिया रामधन साव ने कहा कि उस समय एक या दो ही उम्मीदवार चुनाव में खड़े होते थे. मैं 1978 में मुखिया बना था. उस वक्त 2400 वोट मिले थे, जबकि मेरे प्रतिद्वंद्वी महावीर शाही को 22 वोट मिले थे. मुखिया बनने के बाद गांव के विकास में भरपूर सहयोग किया. उन्होंने बताया कि मेरे कार्यकाल में भरनो में प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय की स्थापना हुई. उस वक्त सरपंच न्यायपालिका का काम देखते थे और मुखिया कार्यपालिका का कार्य देखते थे. उस वक्त मुखिया का अलग ही रुतबा हुआ करता था जो अब के मुखिया में नहीं है. पहले मुखिया गांव के विकास पर फ़ोकस करते थे और सम्मान-लोकप्रियता कमाते थे.

Also Read: झारखंड पंचायत चुनाव: समाज सेवा के लिए कन्हाई राम ने छोड़ी थी रेलवे की नौकरी, दो बार बने मुखिया,ऐसी थी छवि

पैसा कमाने में लगे हैं आज के मुखिया

पूर्व मुखिया रामधन साव बताते हैं कि आज के मुखिया सिर्फ पैसा कमाने में लगे हैं. पहले पंचायत समिति की सहमति से ही विकास की सभी योजनाओं को संचालित किया जाता था, परंतु अब पदाधिकारी हावी हैं. उन्होंने बताया कि अभी के पंचायत जनप्रतिनिधियों को सरकार की ओर से कई तरह की सुविधाएं मिल रही हैं. पर्याप्त फंड भी मिलता है. फिर भी गांव विकास से कोसों दूर है. उस समय सरकार की ओर से हमें कोई सुविधा नहीं मिलती थी. ना ही वेतन मिलता था. बस गांव-गांव घूम-घूमकर लोगों की सेवा करने का काम करते थे. सरकार ने 2002 में पुराने मुखिया का वित्तीय पावर ख़त्म कर दिया था, परंतु अभी भी समय है. अभी जो मुखिया बनते हैं. अगर वे निजी स्वार्थ से हटकर काम करें तो गांव विकास के मामले में आगे होगा. पंचायत के विकास के लिए कमीशनखोरी को बंद करना होगा.

Also Read: Jharkhand Crime News: झारखंड में जमीन विवाद में दो पक्षों में खूनी संघर्ष, आधा दर्जन लोगों की हालत गंभीर

रिपोर्ट: सुनील रवि

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें