Education In Jharkhand: राज्य में स्कूली बच्चों ड्रापआउट रेट वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. इसके बाद भी कक्षा बढ़ने के साथ स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ती जाती है. झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 12 जिला में हाइस्कूल स्तर पर बच्चों का ड्रापआउट रेट 10 फीसदी से अधिक हैं. इनमें से कुछ जिलों में लड़कों का ड्रापआउट रेट लड़कियों की तुलना में अधिक है. रिपोर्ट के अनुसार राज्य में हाइस्कूल स्तर पर गढ़वा जिला में सबसे अधिक 23 फीसदी बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं. गढ़वा में लड़कों का ड्रापआउट रेट 27.6 व लड़कियों का ड्रापआउट रेट 19.3 फीसदी है. राज्य के सबसे अधिक ड्रापआउट वाले 12 जिला में से सात ऐसे जिला है जहां हाइस्कूल स्तर पर स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत 15 या उससे अधिक हैं. पांच जिला में ड्रापआउट रेट 11 प्रतिशत या उससे अधिक है. इन जिलों में बच्चों का ड्राप आउट रेट कम करने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है. अगले माह से राज्य भर ने बच्चों के नामांकन को लेकर अभियान चलाया जायेगा.
इन जिलों में 10 फीसदी से अधिक ड्रापआउट
राज्य के जिन जिलों में ड्रापआउट रेट 10 फीसदी से अधिक है, उनमें गढ़वा, गुमला, खूंटी, सिमडेगा, साहिबगंज, प.सिंहभूम, लोहरदगा, गिरिडीह, पाकुड़, चतरा, देवघर व दुमका शामिल है. इन जिलों में बच्चे मध्य विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने बाद या तो हाइस्कूल में नामांकन नहीं लेते हैं या नामांकन लेने के बाद बीच में 10% से अधिक बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं.
राष्ट्रीय स्तर से बेहतर झारखंड की स्थिति
झारखंड की स्थिति राष्ट्रीय स्तर की तुलना में बेहतर है. रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिक कक्षा में ड्रापआउट रेट दो फीसदी व माध्यमिक स्तर पर 12.6 फीसदी है. वहीं झारखंड में प्राथमिक स्तर पर 2.5 फीसदी व माध्यमिक स्तर पर 9.3 फीसदी है.
Also Read: रांची की ये स्कूल हैं बच्चों की पहली पसंद? 55 प्रतिशत अंक लाने वालों का भी डायरेक्ट एडमिशन
10% से अधिक ड्राप आउट वाले जिला
गढ़वा में 23.3, गुमला में 17.7, खूंटी में 17.5,सिमडेगा में 16.5, साहिबगंज में 16.2, प.सिंहभूम में 15.7, लोहरदगा में 15, गिरिडीह में 14.3, पाकुड़ में 12.5, चतरा में 11.5, देवघर में 11.4 व दुमका में 11.3% बच्चे दसवीं के बाद स्कूल छोड़ देते हैं.