मनोज सिंह/सुनील चौधरी, रांची: पावर प्लांटों में कोयला संकट लगातार चौथे दिन भी जारी रहा. फिलहाल प्लांटों द्वारा क्षमता के अनुसार बिजली उत्पादन नहीं किया जा रहा है. इससे सेंट्रल पूल से राज्यों के लिए निर्धारित कोटा की बिजली भी नहीं मिल रही है. अतिरिक्त बिजली लेने पर बिजली कंपनियों ने दिन के 12 बजे से तीन बजे तक अप्रत्याशित रूप से दर बढ़ा दी थी, जो कुछ देर बाद घट कर कम हो गयी. कोयला संकट के पीछे मुख्य कारण खदानों में पानी भर जाना है, जिसे निकाला जा रहा है.
इधर, कोयला कंपनियों के अनुसार अक्तूबर के पहले पखवाड़े तक पानी निकाल लिया जायेगा. इसके बाद उत्पादन सामान्य हो जायेगा और आपूर्ति की स्थिति सुधर जायेगी. फिलहाल सीसीएल का डिस्पैच 1.90 लाख टन है. सामान्यत: दो लाख टन के आसपास डिस्पैच होना चाहिए. झारखंड की कोयला कंपनियों से पूरे उत्तर और मध्य भारत में कोयले की आपूर्ति होती है.
पूरे राज्य में लोडशेडिंग, एनटीपीसी व डीवीसी ने भी की कटौती: राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में लोडशेडिंग कर बिजली की आपूर्ति हो रही है. एनटीपीसी आधे से भी कम बिजली की आपूर्ति कर रहा है. डीवीसी द्वारा राज्य को 600 मेगावाट बिजली कमांड एरिया में दी जाती है. इसमें भी भारी कटौती है. केवल 390 मेगावाट बिजली दी जा रही है. डीवीसी अपने कमांड एरिया के सभी जिलों में एक-एक घंटे की लोडशेडिंग कर रहा है.
दूसरी ओर सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन अॉफ इंडिया (सेकी) द्वारा दी जा रही बिजली में भी भारी कटौती की गयी है. सेकी द्वारा 100 मेगावाट की कटौती की गयी है. स्थिति यह है कि पूरे राज्य में 695 मेगावाट बिजली कम मिल रही है, जिस कारण राजधानी रांची समेत राज्य के सभी हिस्सों में लोडशेडिंग हो रही है. डीवीसी कमांड एरिया के धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा व चतरा के कुछ हिस्सों में भी हर घंटे पर बिजली काटी जा रही है.
पिछले साल से भी कम उत्पादन किया है कंपनियों ने
झारखंड में संचालित सभी कोयला कंपनियों ने सितंबर में उत्पादन और उठाव का जो भी लक्ष्य रखा, उससे पीछे है. इसीएल ने सितंबर में 2.1 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया है, जबकि इस अवधि तक कंपनी ने बीते साल 2.8 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया था. यह बीते साल की तुलना में करीब 24 फीसदी कम है. सीसीएल ने इस सितंबर में 4.1 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है. बीते साल कंपनी ने सितंबर में 4.8 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया था. बीसीसीएल में बीते साल की तुलना में उत्पादन में करीब पांच फीसदी का ग्रोथ है. इसीएल से बीते साल सिंतबर में 2.9 मिलियन टन कोयले का उठाव हुआ था, इस साल 2.6 मिलियन टन ही कोयले का उठाव हुआ है.
कोयला कंपनियों के उत्पादन
की स्थिति (मिलियन टन में)
कंपनी 2021 2020 प्रतिशत
इसीएल 2.1 2.8 -28
बीसीसीएल 2.1 2.0 5.7
सीसीएल 4.1 4.8 -15.4
एनसीएल 9.6 9.3 3.3
डब्ल्यूसीएल 2.5 2.5 00
एसइसीएल 8.0 8.5 -5.6
एमसीएल 12 10.6 15.5
देश की बिजली उत्पादक कंपनियों ने दिन में अप्रत्यािशत रूप से बढ़ा दी थी िबजली दर
ये हैं हालात
एनटीपीसी ने बिजली आपूर्ति आधी की
डीवीसी भी 600 की जगह 390 मेगावाट दे रहा
पूरे झारखंड में की जा रही है लोडशेडिंग
राजधानी रांची में भी 16 से 18 घंटे ही मिल रही बिजली
प्लांट स्वीकृत कटौती
एनटीपीसी बाढ़ 84 60
एनटीपीसी फरक्का-1 144 80
एनटीपीसी फरक्का-3 62 40
टीवीएनएल 300 150
डीवीसी 600 210
एक सप्ताह में स्थिति नियंत्रण में होगी
सवाल : कोयला उत्पादन कम हो जाने के कारण क्या हैं?
जवाब : इस वर्ष काफी बारिश हुई है. कई इलाकों में 2200 मिमी तक बारिश हुई. बीते साल करीब 1500 मिमी के आसपास बारिश थी. ज्यादा बारिश हो जाने से खदान में पानी घुस गया है. इसे निकाला जा रहा है. ओवर बर्डन नहीं निकल पाया है, इस कारण नया उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है. इससे कम से कम 20 दिनों का काम प्रभावित हुआ है.
सवाल : कब तक सुधर सकती है स्थिति
जवाब : पानी निकालने का काम काफी तेजी से हो रहा है. अब सीसीएल 1.90 लाख टन कोयला डिस्पैच करने लगा है. दो लाख टन अभी होना चाहिए था. स्थिति एक सप्ताह में नियंत्रण में आ जायेगा.
सवाल : कोयले की मांग बढ़ जाने के क्या कारण हैं?
जवाब : एक तो कोविड की दूसरी लहर के बाद कई कंपनियों ने अपना काम शुरू कर दिया है. जिससे कोयले की मांग बढ़ गयी है. विदेशी कोयले की मांग काफी बढ़ गयी है. जो मिल रहा है, वह काफी महंगी है. इस कारण कई उद्यमियों ने लोकल कोयले की मांग की है. इससे कोयला कंपनियों पर आपूर्ति का दबाव बढ़ा है.
सितंबर में कम कोयला आपूर्ति से बिजली संकट
बारिश के कारण सितंबर में पावर प्लांटों को कम कोयले की आपूर्ति हुई. इससे बिजली संकट की स्थिति पैदा हो गयी है. अक्तूबर के शुरुआती सप्ताह में एक-दो दिन की बारिश से बाद मौसम सामान्य है. इससे झारखंड की कोयला कंपनियों को जल्द ही कोयला उत्पादन व आपूर्ति पहले की तरह सामान्य हो जाने की उम्मीद है.