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जगरनाथ महतो के निधन पर झारखंड में दो दिन का राजकीय शोक, हेमंत सोरेन ने कहा- डांट लगाने से भी पीछे नहीं रहते थे

झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन पर दो दिनों का राजकीय शोक मनाने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के सम्मान में दो दिनों का राजकीय शोक मनाया जाएगा. जानकारी हो कि इनके निधन के बाद राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शोक व्यक्त किया है.

Jagarnath Mahto: झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन पर दो दिनों का राजकीय शोक मनाने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के सम्मान में दो दिनों का राजकीय शोक मनाया जाएगा. आज यानी 6 अप्रैल से 7 अप्रैल तक राजकीय शोक होगा. इस दौरान सभी भवन जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते हैं, पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. इस दौरान किसी भी प्रकार का राजकीय समारोह का आयोजन नहीं होगा. इसके साथ ही राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि छह अप्रैल यानी आज राज्य के सभी कार्यालय बंद रहेंगे. मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग की ओर से यह अधिसूचना ज्वाइंट सेक्रेटरी अखिलेश कुमार सिन्हा के हस्ताक्षर से जारी किया गया है.

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जगरनाथ महतो के निधन पर झारखंड में दो दिन का राजकीय शोक, हेमंत सोरेन ने कहा- डांट लगाने से भी पीछे नहीं रहते थे 2

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शोक व्यक्त किया

जानकारी हो कि इनके निधन के बाद राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा है कि आज सुबह जब राजनीतिक योद्धा और संघर्ष के प्रतीक जगरनाथ दा के निधन की खबर मिली तो मैं निः शब्द होने के साथ मर्माहत हो उठा. जगरनाथ दा इस सरकार में मंत्री के साथ साथ मेरे बड़े भाई और एक ऐसे अभिभावक की भूमिका में थे जो गलतियां होने पर डांट भी लगा देते थे और कभी पीठ भी थपथपा देते थे. टाइगर के नाम से मशहूर जगरनाथ दा ने अपने संघर्ष, कर्तव्य निष्ठा, सादगी, और विचारों की स्पष्टता के कारण अपनी खास और अलग पहचान बनाई.

‘जगरनाथ दा को यूं ही टाइगर नहीं कहा जाता’

साथ ही उन्होंने कहा कि निर्धारित लक्ष्य हर हाल में हासिल करने की उनकी जिद से मैंने बहुत कुछ सीखा. कई बार विषम परिस्थितियों में उनके सलाह, विचार और हौसला आफजाई ने हिम्मत दी और लड़ने का जज्बा दिया. आगे उन्होंने कहा कि जगरनाथ दा को यूं ही टाइगर नहीं कहा जाता था . कोरोना काल में गंभीर रूप से ग्रसित होने के बावजूद उन्होंने नियति से लंबी लड़ाई लड़ी और जीत कर अपने टाइगर होने को चरितार्थ कर दिखाया. आखिरकार हुआ वही जो नियति को मंजूर था.

‘जगरनाथ दा जैसे व्यक्तित्व की कमी की भरपाई करना संभव नहीं’

उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जगरनाथ दा जैसे व्यक्तित्व की कमी की भरपाई करना संभव नहीं है. उनकी कमी जीवन भर खलेगी. उनकी शिक्षा, उनका मार्गदर्शन और उनका आशीर्वाद मुझे आगे का रास्ता दिखाएगा. जगरनाथ दा ने अपने मंत्रित्व काल के दौरान शिक्षा विभाग में कुछ ऐसे निर्णय लिए जिसे झारखंड हरदम याद रखेगा. अलग झारखंड के मुखर योद्धा जगरनाथ दा की सोच और उनके संकल्पों को पूरा कर उसे साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. हमारी सरकार एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा परिवार उनके सोच और विचार को साकार करने के प्रति तब तक संकल्पित रहेगी जब तक उसे हासिल नहीं कर लिया जाता.

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