रांची : लॉकडाउन (Lockdown ) के कारण फंसे झारखंड के 1,250 से अधिक प्रवासी श्रमिक (Migrant workers) एवं अन्य लोग शुक्रवार रात जब तेलंगाना (Telangana) के लिंगमपल्ली स्टेशन से विशेष ट्रेन (Special train) से यहां हटिया रेलवे स्टेशन (Hatia Railway Station) पहुंचे, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. सबके चेहरे पर मुस्कान थी. इस श्रमिकों ने यहां पहुंचने पर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को धन्यवाद दिया. उन सभी ने कहा कि उन्हें सरकार पर पूरा भरोसा था कि वह जल्द हमें अपने प्रदेश वापस लाएगी. सरकार की ओर से इन्हें घर भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की गयी.
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लातेहार के एक प्रवासी श्रमिक ने कहा कि तेलंगाना में उसे जहां रखा गया था, वहां रहने और खाने की व्यवस्था बहुत खराब थी, जिसके चलते प्रवासी काफी परेशाने थे. उसने कहा कि अब मैं अपने घर पहुंचकर बहुत खुश हूं. इसी प्रकार हैदराबाद से आए रामगढ़ के एक श्रमिक ने बताया कि वह एक महीने से भी अधिक समय से बिना किसी काम के वहां फंसा हुआ था. इसी प्रकार हजारीबाग के अनवर ने कहा कि यहां पहुंच कर वह बहुत खुश है. उसने कहा कि मुझे विश्वास था कि केन्द्र और राज्य सरकार हमें अपने गृह प्रदेश जरूर भेजेगी, लेकिन इस दौरान घर की याद आ रही थी. तेलंगाना में आवास और भोजन की व्यवस्था बहुत ही खराब थी. प्रवासी श्रमिकों ने ट्रेन में और यहां पहुंचने पर हटिया स्टेशन पर उनके लिए किये गये प्रबंध की प्रशंसा की.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम इन मजदूरों के शुक्रगुजार हैं कि वे इतना कष्ट सह कर भी वहां रुके थे और सरकार के इंतजाम का इंतजार कर रहे थे. इससे पूर्व जब विशेष ट्रेन हटिया स्टेशन पहुंची तो प्रवासी श्रमिका का स्वागत करने के लिए रांची जिला प्रशासन मौजूद था. रांची के उपायुक्त राय महिमापत रे और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनीश गुप्ता एवं अन्य अधिकारियों ने फूल, खाने के पैकेट और पानी के साथ इन प्रवासी मजदूरों का स्वागत किया. पूरी तरह सैनेटाइज किये गये हटिया रेलवे स्टेशन पर तेलंगाना से शुक्रवार तड़के चली यह विशेष ट्रेन रात्रि लगभग सवा ग्यारह बजे रांची के हटिया स्टेशन पर पहुंची.
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इन प्रवासी मजदूरों को 56 बसों से उनके गंतव्य तक भेजा गया. स्टेशन पर सबकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई. वहीं मजदूरों को रास्ते के लिए भोजन के पैकेट भी दिए गए. झारखंड पहुंचे मजदूरों में पलामू, गढ़वा, कोडरमा, हजारीबाग, गिरिडीह, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, सरायकेला-खरसावां, लातेहार, पाकुड़ और साहेबगंज जिले के हैं. इनमें कुछ मजदूर बिहार, उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों के भी हैं. इनके घर वापसी के लिए भी बसों की व्यवस्था की गई.