शकील अख्तर, रांची : भ्रष्टाचार के आरोप में अनुबंध पर नियुक्त मनरेगा कर्मियों को बर्खास्त करने के बाद तथ्यों को छुपा कर सेवा विस्तार दिया गया है. जांच में कागज पर योजनाओं को बनाने के आरोप में सरकार ने अनुबंध पर नियुक्त चतरा के परियोजना पदाधिकारी फनींद्र कुमार गुप्ता और सहायक अभियंता रंजीत कुमार को बर्खास्त कर दिया था. इधर एक महीने बाद ही सचिवालय से मनरेगा कर्मियोंं के सेवा विस्तार की अनुशंसा मांगी गयी. चतरा के उपायुक्त ने चार कर्मचारियों के अवधि विस्तार की अनुशंसा की. इनमें तथ्य छुपाते हुए बर्खास्त कर्मचारियों का नाम भी शामिल कर दिया.
संविदा नवीकरण के लिए मांगी रिपोर्ट : बर्खास्तगी आदेश के एक महीना बाद ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव संजय कुमार पांडेय ने चतरा के उप विकास आयुक्त को एक पत्र लिखा. 10 जुलाई 2020 को उप विकास आयुक्त चतरा को लिखे गये इस पत्र में कहा गया कि सरकार ने मार्च में ही डीआरडीए के अनुबंध कर्मियों के अवधि विस्तार के लिए 13 मार्च 2020 को प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया था. पर तीन महीने बाद भी इससे संबंधित प्रतिवेदन नहीं मिला है. इसकी वजह से राज्य स्तरीय पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के संविदा का नवीकरण अब तक नहीं किया जा सका है. इसलिए तीन दिनों के अंदर संबंधित प्रतिवेदन भेजें.
डीडीसी के प्रभार में भी रह चुके हैं आरोपी परियोजना पदाधिकारी फनींद्र कुमार गुप्ता :चतरा के उप विकास आयुक्त ने 17 जुलाई 2020 को संयुक्त सचिव को अपनी रिपोर्ट भेजी. इसमें अनुबंध पर नियुक्त चार कर्मचारियों के अवधि विस्तार की अनुशंसा की गयी. इसमें फनींद्र कुमार गुप्ता (परियोजना पदाधिकारी, जल छाजन), प्रदीप कुमार(सहायक परियोजना पदाधिकारी, ऋण), सूरज कुमार (सहायक सांख्यिकी पदाधिकारी) और रंजीत कुमार (सहायक अभियंता) का नाम शामिल था. उप विकास आयुक्त नेे नया प्रतिवेदन तैयार करने के बदले फरवरी-2020 में तैयार किये गये प्रतिवेदन ही अपने पत्र के साथ संलग्न कर दिया. क्योंकि नये सिरे से प्रतिवेदन तैयार करने पर फनींद्र और रंजीत के खिलाफ की गयी कार्रवाई का उल्लेख करना पड़ता.
पहुंच वाला हैै फनींद्र गुप्ता : फनींद्र गुप्ता की पहुंच का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उप विकास आयुक्त के छुट्टी पर रहने के दौरान वह उप विकास आयुक्त के प्रभार में रहा है. सिर्फ इतना ही नहीं उसकी बर्खास्तगी से जुड़ी फाइल सचिवालय के एक अफसर ने करीब छह माह तक दबाये रखी थी. चतरा जिले में मनरेगा घोटाले की जांच के बाद सरकार ने दो जून 2020 को दर्जन भर मनरेगा कर्मचारियों को बर्खास्त करने का आदेश जारी किया था. इसमें चतरा के परियोजना पदाधिकारी फनींद्र कुमार गुप्ता और सहायक अभियंता रंजीत कुमार का नाम भी शामिल था.
मनरेगा योजना में होती रहती है लाभुकों से वसूली : मनरेगा योजना में कमीशनखोरी की चर्चा शुरू से होती रही है. प्रभात खबर के पास वसूली से संबंधित वीडियो है. इसमें लाभुक के दरवाजे पर पंचायत सेवक द्वारा पैसों की वसूली का सबूत है. योजना में लाभुक से कमीशन वसूलनेवाले का नाम सीताराम पांडेय बताया जाता है. वह चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड की सलगी पंचायत का पंचायत सेवक है. वह लाभुक को मिली 1.44 लाख रुपये की योजना में कमीशन ले रहा है. लाभुक व उससे जुड़े लोग उसे 7500 रुपये यह कहते हुए दे रहे हैं कि अभी हिस्सा इतना ही बनता है. बाद में जब और पैसा मिलेगा, तो पांच हजार रुपये और दिया जायेगा.
तोरपा में मनरेगा की योजनाओं में मुर्दे भी काम कर रहे हैं : मनरेगा की योजनाओं में मुर्दे भी काम कर रहे हैं. मामला तोरपा प्रखंड की मरचा पंचायत का है. इस पंचायत में आम की बागवानी के काम के लिए तैयार मस्टर रोल में मृत व्यक्तियों के भी नाम हैं. मरचा पंचायत क्षेत्र के सुनील तिर्की, ऊधो मांझी व सुजीता देवी की मृत्यु कई वर्ष पूर्व हो गयी है, परंतु इनके नाम से भी दो अगस्त से 15 अगस्त तक आम की बागवानी में काम का डिमांड दिखाकर मस्टर रोल जेनेरेट कर लिया गया. इसी प्रकार मरचा बरटोली के सुलेमान तोपनो तथा फिलमोन तोपनो की भी मृत्यु हो चुकी है, परंतु उनके नाम से भी मस्टर रोल जेनेरेट किया गया है.
भुगतान पर रोक लगायी : बीडीओ विजय कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में आते ही उक्त मस्टर रोल के आधार पर भुगतान पर रोक लगा दी गयी है. बीपीओ, पंचायत सचिव व मेट को शो कॉज किया गया है.
क्या कहते हैं मुखिया : मरचा पंचायत के मुखिया निरल तोपनो ने कहा कि यह गंभीर मामला है. मास्टर रोल तैयार करने का काम प्रखंड कार्यालय से होता है. इस संबंध में जो भी दोषी हों, कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह अपनी ओर से बीडीओ को पत्र देकर कार्रवाई की मांग करेंगे.
मुझे कोई जानकारी नहीं : इधर, मनरेगा मेट सुसारी तोपनो ने कहा कि मृत व्यक्तियों के नाम से मस्टर रोल कैसे निकला, उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है.
Post by : Pritish Sahay