विश्व आदिवासी दिवस (World Indigenous Day) 9 अगस्त को मनाया जाता है. भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति पद का प्रयोग किया गया है. आदिवासी मूलत: प्रकृति प्रेमी होते हैं. प्रकृति की शांत और निश्चल गोद में पलनेवाले इस मानव समाज की अपनी विशिष्टताएं है. इस समुदाय की पहचान इनकी संस्कृति, इनकी भाषा और इनके पर्व-त्योहारों झलकती है.
आदिवासी समुदाय प्रकृति के सभी घटकों- पेड़-पौधे, धरती, सूर्य, नदियों और पहाड़ों का सादर वंदन और पूजा करते हैं. ये जल-जंगल के बेहद करीब होते हैं और पावन धरती को अपनी मां समान मानते हैं. इनका मुख्य पेशा ज्यादातर खेती-किसानी से जुड़ा होता है. ये जल-जंगल को अपना रखवाला मानते हैं इसलिए वे इसकी रक्षा करते हैं. ये कुछ विशिष्ट पेड़-पौधों की पूजा करते हैं और इसलिए वे इसे काटते नहीं. ये सीख देते हैं कि अगर हम प्रकृति की रक्षा करेंगे तो वो भी हमारी रक्षा करेंगे. ये अपनी कई मूलभूत सुविधाएं जंगलों से प्राप्त करते हैं. इनके जरूरत की ज्यादातर चीजें लकड़ियों से बनी होती है. ये लोग सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर प्रकृति से गहरे जुड़े होते हैं.
हर मौसम के अनुसार इनके पास लोकगीतों की धरोहर है. इनक मानना है कि मौसम के अनुकूल नृत्य-संगीत एवं रागों के अलाप से प्रकृति खुश होती है, वर्षा अच्छी होती है. उनकी फसल अच्छी उपजती है और उन्हें शक्ति मिलती है. पर्यावरण के प्रति सजगता है और प्रकृति के प्रति जीवंत लगाव है. इनके पास गीतों और नृत्यों की भरपूर संपदा है जिसमें प्रकृति को संरक्षित करने की बात की जाती हैं. इनके गीतों में पशु-पक्षियों, जंगल-जमीन का जिक्र भी है. ये इसे अपने परिवार समान मानते हैं. नृत्यों और लोकगीतों के माध्यम से इनके आकांक्षाओं, उल्लास की अभिव्यक्ति सहज भाव से परिलक्षित होती है.
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इनके पर्व त्योहार भी प्रकृति से जुड़े होते हैं. इनके त्योहार अपनों के बिना पूरे नहीं होते हैं. ये मिलजुल का पर्व मनाते हैं और बिना किसी भेदभाव के हाथ थामे वाद्य यंत्रों की धुन पर नृत्य करते हैं. इनके गीतों में भी एक अलग मिठास होती है क्योंकि वो प्रकृति की वंदना करते हैं. कोई भी पर्व आदिवासी एक दिन नहीं मनाते, इसका कारण यह है कि मुख्य पर्व के दिन के बाद ये लोग अपने करीबियों के यहां जाते हैं और पर्व मनाते है. ये परंपरा चली आ रही है और इसे निभाया जा रहा है. समय के साथ इसमें बदलाव देखा गया है लेकिन सुदूर इलाकों में आज भी ये परंपराएं और भाईचारे की भावना जिंदा है.