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देश के वैज्ञानिक कानपुर IIT की मदद से अमेरिका संग करेंगे रिसर्च, भारत के पहले संस्थान का हुआ MIT के साथ समझौता

आईआईटी कानपुर की मदद से अब देशभर के वैज्ञानिक अमेरिका के वैज्ञानिकों के साथ मे रिसर्च कर सकेंगे. दोनों देशों के वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से रिसर्च शुरू और समाप्त होगी.

कानपुर. आईआईटी कानपुर की मदद से अब देशभर के वैज्ञानिक अमेरिका के वैज्ञानिकों के साथ मे रिसर्च कर सकेंगे. दोनों देशों के वैज्ञानिकों के संयुक्त प्रयास से रिसर्च शुरू और समाप्त होगी. इसके लिए फंड भी अमेरिका एमआईटी-आईआईटी कानपुर सीड फंड के तहत उपलब्ध कराएगा. दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी एमआईटी (मासच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) संग आईआईटी कानपुर ने समझौता किया है. भारत का यह पहला संस्थान है, जिसने एमआईटी से समझौता किया है. माना जा रहा है कि जी-20 के तहत अमेरिका-भारत के बीच रिश्तों में बढ़ रही प्रगाढ़ता के तहत यह समझौता हुआ है.

रिसर्च के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि

मीडिया को जानकारी देते हुए आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने इस समझौते को रिसर्च के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि बताया है. उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत सिर्फ आईआईटी कानपुर नहीं, बल्कि देशभर के सभी प्रमुख तकनीकी संस्थानों के प्रोफेसर और शोध वैज्ञानिकों को एमआईटी के वैज्ञानिकों संग रिसर्च करने का मौका मिलेगा. निदेशक ने ट्वीट कर देशभर से वैज्ञानिकों के प्रपोजल को आमंत्रित किया है.

इसमें चयनित रिसर्च आइडिया को दोनों देश के वैज्ञानिक संयुक्त प्रयास से करेंगे. इसमें एमआईटी की ओर से सिर्फ फंड नहीं, बल्कि अत्याधुनिक प्रयोगशाला और उपकरणों का प्रयोग करने की भी सुविधा मिलेगी. देशभर के वैज्ञानिकों से 12 दिसंबर तक उन्होंने प्रपोजल मांगा है.

मेडिकल साइंस, क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिल्टी पर रिसर्च

प्रो. करिंदकर ने बताया कि मुख्य तीन विषयों पर रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा. इसमें क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिल्टी, ह्यूमिनिटीज एंड सोशल साइंसेज और मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी है, क्योंकि भविष्य में सबसे अधिक चुनौतियां इन तीन क्षेत्रों में नजर आ रही हैं.

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