रांची : बिरसा मुंडा का संदेश कई लोगों को आज भी प्रेरित करता है. लेकिन ऐसे बहुत कम लोग होंगे जो कि उनके संदेश और उनकी जीवनशैली को फॉलो करते हैं. लेकिन आज भी झारखंड में रहने वाला बिरसाइत समाज न सिर्फ उनकी पूजा करता है बल्कि संदेश को मानते भी हैं. उनकी जीवनशैली भी उसी तरह की है. ये मुख्य रूप से खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला जिले में निवास करते हैं. इनकी संख्या लगभग 10 हजार है. 100 से अधिक गांवों में बसे हैं. बिरसा के अनुयायी प्रकृति के सभी जीव-जंतु से प्रेम करते हैं और उनकी सेवा करते हैं.
कोई भी रंगीन कपड़े का उपयोग नहीं करता. पुरुष सफेद धोती और जनेऊ पहनते हैं. वहीं, महिलाएं सफेद साड़ी पहनती हैं. ठंड के दिनों में सफेद चादर ओढ़ लेते हैं. उनका भोजन पूरी तरह से शाकाहारी होता है. कोई भी शराब और मांसाहार का सेवन नहीं करता है और न ही अपने बाल और दाढ़ी को काटते हैं.
पर्व-त्योहार भी नहीं मनाते, बल्कि प्रत्येक एक जनवरी को धर्मयुग और 15 मई को धर्म दिवस मनाते हैं. खूंटी जिले में बिरसा समाज के अनुयायी मुख्य रूप से चारिद, अनिगड़ा और खूंटी शहरी क्षेत्र के खूंटी टोली में निवास करते हैं. खूंटी से सटे बंदगांव प्रखंड के लुंबई में उनकी काफी आबादी है. लुंबई के एक घर में एकत्र होकर प्रत्येक गुरुवार को प्रार्थना करते हैं. गुरुवार को कोई भी व्यक्ति काम नहीं करता है.
Posted By: Sameer Oraon