खूंटी, चंदन कुमार : क्या आपने भूत देखा है. शायद आप कहेंगे भूत नहीं होते हैं. यह महज एक अंधविश्वास है पर हम आपको सचमुच का भूत के बारे में बताने वाले हैं. दरअसल, यह भूत कोई प्रेत-आत्मा नहीं बल्कि एक गांव का नाम है. जी हां, भूत नामक यह गांव खूंटी प्रखंड अंतर्गत मारंगहादा पंचायत मेें स्थित है. खूंटी से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव अपने नाम के कारण हमेशा चर्चा में रहता है. खूंटी से दतिया रोड होते हुये मारंगहादा जाने वाली पथ में भूत गांव का बोर्ड नजर आता है. नाम देखते ही लोगों में कौतूहल जाग जाता है. बोर्ड के पास लोग रूककर अपनी सेल्फी लेते हैं. गांव के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं पर नाम के वजह से बहुत कम लोग ही गांव के अंदर जाते हैं. हालांकि, इस नाम से गांव के ग्रामीण और आसपास के सभी लोग बेहद सहज है. गांव में लगभग 100 परिवार रहते हैं. जिसमें लगभग सभी आदिवासी हैं.
बुन से बना भूत गांव
मारंगहादा पंचायत के मुखिया प्रेम टूटी भूत गांव के ही निवासी हैं. उन्होंने बताया कि गांव का नाम बुन था. मुंडारी में इसे बुन हातू कहा जाता था. अंग्रेजों के समय सर्वे के दौरान अंग्रेजों ने बुन का उच्चारण भूत के रूप में कर दिया. जिसके बाद सभी दस्तावेजों में भूत नाम ही अंकित हो गया है. एक और दंत कथा के अनुसार अंग्रेजों के जमाने में गांव में कोई पूजा का मौका था. मुंडाओं के परंपरा के अनुसार पहान के द्वारा मुर्गा की बलि दी जानी थी. इसके लिए मुर्गा को टोकरी से ढककर रखा गया था. इसी क्रम में एक अंग्रेज गांव में टैक्स वसूलने के लिए पहुंचा. टोकरी उसके तरफ आने लगा. इससे वह घबरा गया और उसे लगा गांव में कोई भूत है. इसे लेकर भी गांव का नाम भूत दिया गया.
शादी-ब्याह में होती थी परेशानी
गांव का नाम भूत होने के कारण पहले शादी-ब्याह करने में परेशानी होती थी. लोग गांव में रिश्ता लेकर आना नहीं चाहते थे. बाहर के ग्रामीण गांव में आने से हिचकते थे. गांव के प्रकाश टूटी ने बताया कि अब वह स्थिति नहीं रह गयी है. अब सब कुछ सामान्य है.
विकसित गांव है ‘भूत’
भूत गांव अन्य गांवों की तुलना में काफी विकसित गांव हैं. यहां लोग सरकारी लाभ लेने में आगे हैं. ग्रामीण मनरेगा, पीएम आवास योजना, हर घर नल जल योजना, शौचालय सहित अन्य का शत प्रतिशत लाभ उठा रहे है. गांव में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय अन्य स्कूलों से बेहतर है. स्कूल में स्मार्ट क्लास चलता है. वहीं राज्य स्तर पर स्कूल उत्कृष्ट स्कूल के रूप में सम्मानित भी हो चुका है. लगभग हर परिवार ने आम बागवानी की है. वहीं गेंदा फूल की खेती को लेकर भी गांव जाना जाता है.
नशा मुक्त गांव है ‘भूत’
झारखंड का भूत गांव नशा मुक्त गांव है. ग्रामीण न तो गांव में शराब पीते हैं और न ही खरीद-बिक्री करते हैं. अब तो हड़िया पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. सिर्फ पूजा-पाठ को लेकर छूट दी गयी है. वहीं अफीम की खेती भी पूरे गांव में नहीं होता है. अफीम की खेती करने पर ग्राम सभा द्वारा जुर्माना लगाये जाने का प्रावधान किया गया है. नशा मुक्त होने के कारण ग्रामीण अपराध से दूर हैं और शिक्षा के प्रति बेहद जागरूक हैं.
हर घर में है स्मारक
भूत गांव में लगभग हर घर में पूर्वजों का स्मारक है. लोगों ने पत्थरों पर उनके नाम और संक्षिप्त जीवनी उकेर कर घर के आसपास स्मारक लगाया हुआ है.
मंडा मेला और टुसू मेला के लिए विख्यात
भूत गांव में टुसू मेला और मंडा पूजा वृहद रूप से मनाया जाता है. टुसू और मंडा पर्व को लेकर गांव काफी विख्यात भी है. दूर-दूर से लोग यहां आते हैं और मेले का आनंद लेते हैं.
ग्रामीणों ने क्या कहा
ग्राम प्रधान कमल पहान ने कहा कि गांव का भूत नाम पूर्वजों के समय से चला आ रहा है. पहले लोगों को नाम से डर लगता था. अनजान लोग यहां नहीं आते थे. वहीं, गांव के चमन मुंडा ने कहा कि गांव का नाम बुन हातू था. इसी से भुत हो गया. अंग्रेजों ने गांव का नाम दस्तावेजों में यह नाम अंकित कर दिया. अब गांव का नाम ही यहां की पहचान बन गयी है. जितेंद्र मुंडा ने कहा कि गांव के लोग बेहद जागरूक हैं. यहां के ग्रामीण सरकारी लाभ लेने में आगे रहते हैं. यहां लगभग 1980 से शराब बंदी है. लोग कृषि, व्यवसाय के साथ-साथ नौकरी भी करते हैं.