नेपाल के रास्ते चीन से हरी मटर की खेप किशनगंज के ठाकुरगंज होकर सिलीगुड़ी तक पहुंचा जा रहा है. एसएसबी लगातार चाइना मटर जब्त कर तस्करों के मंसूबे को तोड़ दिया है. शनिवार को भी 278 बोरी चायनीज मटर को एसएसबी के कद्दुभिटा बीओपी के जवानों ने जब्त किया. 19 वीं वाहनी के तहत कार्यरत कद्दुभित्ता बीओपी ने यह जप्ती दिघलबैंक के पोथमारी गांव के समीप की. एसएसबी सूत्रों ने बताया की सीमा पार से लाये जा रहे चाइना मटर की 278 बोरी जब्त किया गया. 25 किलो के बोरे में भरी मटर ट्रैक्टर में लोड था.
बताते चले जिले का ठाकुरगंज और दिघलबैंक प्रखंड का इलाका इस समय नेपाल से वस्तुओं की तस्करी का प्रमुख अड्डा बन चुका है. इस रास्ते खाद्य पदार्थ से लेकर अन्य मादक वस्तुएं भी तस्करी होकर भारत पहुंच रही है. इसका खुलासा विगत पंद्रह दिनों में कई बार हुआ.इस समय भारी मात्रा में चीन की हरी मटर नेपाल के रास्ते जिले में आपूर्ति की जा रही है. इसके बाद यहां से यह मटर सिलीगुड़ी पहुंचाई जा रही है. मटर की इस तस्करी में स्थानीय लोगों के साथ सीमा पार के तस्कर शामिल हैं.
शनिवार को ऐसे ही दिघलबैंक के इलाके से होते हुए कई ट्रैक्टर ट्रॉलियां चीन की मटर लाद कर भारतीय क्षेत्र में दाखिल हुईं. इसकी जानकारी पर एसएसबी ने कार्रवाई की जिसमे एक ट्राली मटर जब्त की गई. जानकार बताते है ठाकुरगंज प्रखंड के कादोगांव और सुरिभिट्टा इलाके से प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टर मटर से लदे भारतीय क्षेत्र में पहंचायी जा रही है.
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पिछले कुछ माह से चीन की मटर की तस्करी लगातार जारी है. ग्रामीणों की माने तो प्रतिदिन दस से पंद्रह ट्रॉली चीन की मटर जिले के रास्ते देश के विभिन्न इलाकों में पहुंच रही है. इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस के साथ एसएसबी को भी है. इसके बाद भी तस्करी पर अंकुश नहीं लगा गया जा रहा है.
ठाकुरगंज और दिघलबैंक की सीमा नेपाल से सटी हुई है. यहां कई गैर पारंपरिक रास्ते हैं. इसीलिए यहां कस्टम की तैनाती नहीं है. चीन से आने वाली मटर, मसाला व अन्य खाद्य व मादक पदार्थ नेपाल के रास्ते सीधे किशनगंज और सिलीगुड़ी पहुंच जाते हैं. यहां से देश के अन्य हिस्सों में पहुंचाया जाता है. इससे एक्साइज ड्यूटी का नुकसान होता है, साथ ही अवैध वस्तुएं भी जिले में पहुंच रही है.
चाइना से आने वाली हरा मटर नकली है, जो स्नोपीस, सोयाबीन आदि से बनाई जाती है. जिस पर सोडियम मेटाबाईसल्फेट नामक केमिकल युक्त हरे रंग में रंगा जाता है, ताकि रंग के साथ-साथ मटर भी लंबे समय तक सुरक्षित रहे।.यह रंग कैंसर पैदा करने में काफी हद तक प्रभावी है. इस तरह के मटर उबालने पर भी नर्म नहीं होते है.
Posted by : Thakur Shaktilochan