बिहार के किशनगंज जिले के विभिन्न प्रखंडों में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति में कई अनियमितताओं का पता चला है. बिना ऑरिजनल कागजात की जांच के ही अभ्यर्थियों की बहाली कर ली गयी. नतीजा यह निकला की एक ही अभ्यर्थी की दो प्रखंड में बहाली हो गयी. मामला दिघलबैंक और किशनगंज प्रखंड से जुड़ा बताया जाता है. इन दोनों प्रखंडों में शारीरिक शिक्षकों की विगत दिनों हुई बहाली में अभ्यर्थी सद्दाम हुसैन को नियुक्ति पत्र दे दिया गया है.
मामला का खुलासा तब हुआ जब किशनगंज जिले की वेबसाइट पर उपलब्ध जिले के सभी सातों प्रखंडों के चयन सूची को देखा गया. बताते चलें कि मूल रूप से बंगाल के हरिचन्द्र पुर निवासी सद्दाम हुसैन ने बंगाल बोर्ड से सेकेंडरी बोर्ड की परीक्षा 2007 में पास की, जिसके बाद बिहार बोर्ड की शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य प्रशिक्षक क्षमता परीक्षा 2019 में पास की. इसके बाद सूबे में हो रही शरीरिक शिक्षकों की बहाली के लिए आवेदन दिया और इनका चयन दो-दो प्रखंडो में एक साथ हो गया. इसके बाद इन्होंने दोनों प्रखंडों में एक साथ काउंसेलिंग भी करवा ली.
बताते चलें कि 12 मई को जिला मुख्यालय में जिले के सातों प्रखंडों के शारीरिक शिक्षकों के पद के लिए इच्छुक अभ्यर्थियों की काउंसेलिंग की गयी. बालिका उच्च विद्यालय किशनगंज में हुई इस काउंसेलिंग में विभागीय नियमों के अनुसार अभ्यर्थियों को सभी मूल प्रमाण पत्रों को जमा करना था.
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अब सवाल उठता है कि जब एक प्रखंड में काउंसेलिंग के लिए सद्दाम हुसैन मौजूद थे, तो दूसरे प्रखंड में उनकी काउंसेलिंग किसके द्वारा की गयी. क्या काउंसेलिंग में मौजूद कर्मियों ने सद्दाम हुसैन की पहचान में ढिलाई बरती.
इसके बाद सबसे बड़ा सवाल काउंसेलिंग के बाद सभी अभ्यर्थियों को सभी मूल प्रमाणपत्रों को जमा करना था. जब एक प्रखंड में अभ्यर्थी सद्दाम हुसैन ने चयनित होने के बाद मूल प्रमाण पत्र जमा कर दिया तो दूसरे प्रखंड की काउंसेलिंग में कौन से कागज जमा किये गए या नियोजन इकाई ने इन नियमों की अनदेखी तो नहीं कर दी.
इस मामले में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष गुप्ता से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि नियोजन इकाई से पूरे मामले की जानकारी लेने के बाद ही आगे कुछ कहा जा सकता है. यह स्पष्ट आदेश दिया गया था की प्रत्येक अभ्यर्थियों का मूल प्रमाण पत्र जमा करवाना है. इस मामले में कहां चूक हुई, इसकी जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.