Jharkhand news (मरकच्चो, कोडरमा) : कोडरमा जिला अंतर्गत मरकच्चो प्रखंड के खेशमी जंगल में रह रहे बिरहोर परिवार के 8 वर्षीय बच्चे की डायरिया से मौत होने का मामला प्रकाश में आया है. आरोप है कि समय पर उचित इलाज उपलब्ध नहीं होने के कारण बच्चे की जान चली गयी. दूसरी ओर यहां पर अन्य बच्चे भी डायरिया से पीड़ित हैं. एक बच्चे की मौत की सूचना के बाद स्वास्थ्य महकमा हरकत में आया और प्रभावित जगह पर मेडिकल टीम पहुंची. मृतक की पहचान 8 वर्षीय सुभाष बिरहोर पिता कैलाश बिरहोर के रूप में हुई है.
जानकारी के अनुसार, देवीपुर स्थित जंगल के समीप कुनबा बना कर रह रहे कैलाश बिरहोर का 8 वर्षीय पुत्र सुभाष बिरहोर के अलावा उसके परिवार के सभी सदस्य डायरिया से पीड़ित चल रहे थे. इसमें रूबी बिरहोरिन (35 वर्ष), पूजा बिरहोरिन (13 वर्ष), पूजवा बिरहोर (4 वर्ष) और गडनी बिरहोर (5 वर्ष) शामिल हैं.
मृतक के पिता कैलाश बिरहोर ने बताया कि परिवार के सभी सदस्य दो दिन पूर्व से डायरिया से ग्रस्त थे. बीते दिन उसकी बेटी उप स्वास्थ्य केंद्र गयी थी और वहां ड्यूटी पर उपस्थित ANM रीता कुमारी को बुखार व उल्टी होने की जानकारी दी थी. ANM ने एक दवा व ORS का पुड़िया देकर ठीक हो जाने की बात कहते हुए बच्ची को वापस घर भेज दिया था.
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इसी बीच गुरुवार की शाम से सुभाष की तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी और देर रात सुभाष ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. जब सुबह इसकी जानकारी स्थानीय ग्रामीणों को मिली, तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग व स्थानीय प्रशासन को दी गयी. बिरहोर बच्चे की मौत की सूचना मिलने पर बीडीओ पप्पू रजक, प्रभारी चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी डाॅ विपिन कुमार व अन्य पहुंचे. मेडिकल टीम ने बिरहोर परिवार के सभी सदस्यों के स्वास्थ्य की जांच की. वहीं, कैलाश बिरहोर के परिवार के अन्य सदस्यों को एंबुलेंस बुलाकर सदर अस्पताल, कोडरमा भेजा गया.
डायरिया से आदिम जनजाति बिरहोर परिवार के सदस्य की मौत का यह पहला मामला नहीं है. गत दिनों ही जयनगर प्रखंड के खरियोडीह पंचायत के गडिआई में डायरिया का प्रकोप फैला था. यहां पर दो दिन के अंतराल में एक महिला व एक बच्चे की मौत डायरिया की वजह से हो गयी थी, जबकि अन्य पीड़ितों का इलाज बाद में सदर अस्पताल में कराया गया था.
ऐसे समय में जब लुप्त प्राय आदिम जनजाति बिरहोर परिवारों को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर उनके उत्थान के लिए सरकार लाखों रुपये की योजनाएं चला रही है तब यह हाल है. वैसे इस बार जिस खेशमी जंगल में रह रहे बिरहोर परिवार की मौत हुई है उस जगह पर मात्र 2 बिरहोर परिवार निवास करते हैं. इस स्थिति में सरकार की योजनाओं से ये लाभांवित हैं या नहीं यह स्पष्ट नहीं हो पाया है.
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इस संबंध में कोडरमा सिविल सर्जन डॉ डीपी सक्सेना ने कहा कि इलाज में लापरवाही जैसी बात की जानकारी मुझे नहीं मिली है. अगर ऐसा है, तो इसकी जांच करायी जायेगी. फिलहाल डायरिया पीड़ित 4 लोगों का इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है. सभी की स्थिति खतरे से बाहर है.
Posted By : Samir Ranjan.