Jharkhand News, Koderma News कोडरमा : गर्मी शुरू होते ही जंगल में आग लगने की घटनाओं में वृद्धि हो गयी है. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण इन दिनों महुआ चुनने को लेकर पत्तों में आग लगा देने को बताया जा रहा है. हालांकि, कुछ जगहों पर स्वाभाविक रूप से भी आग लगने की बात सामने आ रही है. जंगल में आग लगने की लगातार बढ़ रही घटनाओं को देख वन प्रमंडल पदाधिकारी सूरज कुमार सिंह ने विशेष आदेश जारी किया है. जिसमें जंगल में आग लगने के कारणों की जांच की बात कही गयी है.
यही नहीं अगर मानवजनित कारणों से आग लगने की बात सामने आती है तो ऐसे व्यक्तियों को चिह्नित करते हुए वन वाद दर्ज करने का आदेश डीएफओ ने दिया है. जारी आदेश में एसीएफ से लेकर रेंजर, वनपाल व वन रक्षी तक की जिम्मेवारी तय की गयी है. इसके अलावा जनजागरूकता को लेकर भी दिशा-निर्देश दिया गया है. जानकारी के अनुसार डीएफओ ने मामले में जारी पत्र में कहा है कि विगत एक माह से फायर सीजन शुरू है.
वन अग्नि की घटनाएं इस वर्ष ज्यादा घटित हो रही है. ऐसे में विभिन्न स्तरों से सूचना प्राप्त होते ही वन अग्नि स्थल का सत्यापन, आग को बुझा कर फीडबैक एक्शन टेकेन रिपोर्ट तैयार करने तथा अाग की घटनाओं को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है. सहायक वन संरक्षक को फॉरेस्ट फायर अलर्ट से संबंधित सूचना प्राप्त होते ही संबंधित पदाधिकारी को निर्देश देने व लगातार अनुश्रवण करने, समेकित प्रतिवेदन तैयार करने को कहा गया है.
वहीं वन क्षेत्र पदाधिकारी कोडरमा, डोमचांच, गझंडी को अपने प्रक्षेत्र अंतर्गत फॉरेस्ट फायर अलर्ट से संबंधित सूचना प्राप्त होते ही फायर फाइटिंग स्क्वायड, क्विक रिस्पांस टीम तथा सतगावां वन प्रक्षेत्र संबंधित वनरक्षियों को आवश्यक फायर फाइटिंग उपकरण के साथ अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में भेज कर वन समितियों व आवश्यकतानुसार स्थानीय सिविल व पुलिस प्रशासन के सहयोग से आग बुझाने सुनिश्चित करने को कहा गया है.
रेंजर को कहा गया है कि वन अग्नि प्रभावित क्षेत्रों का स्थल सत्यापन, फीडबेक, एक्शन टेकेन रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर सहायक वन संरक्षक को समर्पित करें. यही नहीं वन अग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यकतानुसार वन समितियों की सहायता से अग्नि रेखाओं की सफाई, कंट्रोल बर्निंग, महुआ संग्रहण पर निगरानी, जन जागरूकता आदि कार्य करने की बात है.
Posted By : Sameer Oraon