Jharkhand News: कोडरमा में एक समय था जब जिले की सुदूरवर्ती मेघातरी पंचायत के करहरिया गांव में दिव्यांगता के प्रकोप को देखते हुए कोई अपनी बेटी का ब्याह नहीं करना चाहता था. इस गांव में फ्लोराइडयुक्त व आयरन की अधिक मात्रा वाला पानी होने की वजह से लोगों का जीवन नर्क बन गया था. यही नहीं कई लोग दिव्यांगता के कारण अपना सबकुछ खोने को विवश थे, पर हाल के दो वर्षों में इस गांव की तस्वीर बदल रही है. यह संभव हुआ है मेघातरी ग्रामीण जलापूर्ति योजना के चालू होने व इसके सुचारू रूप से संचालित होने की वजह से. अब लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है. इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है.
अपवाद को छोड़ दें तो एक तरह से नए जन्म ले रहे बच्चों पर पहले जैसा कुप्रभाव नहीं दिख रहा है. ऐसे में लोगों में खुशी है. जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर रांची-पटना रोड स्थित मेघातरी के अंदर पहाड़ की तलहटी पर बसे करहरिया में शुद्ध जल का संकट पहले से रहा है. यहां के पानी में फ्लोराइड व आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण कुछ बच्चे जन्मजात दिव्यांग पैदा हो रहे थे, तो वर्षों से खराब पानी पीने की वजह से बुजुर्गों पर भी इसका असर दिख रहा था. बुजुर्ग पैर में दर्द सहित अन्य तरह की परेशानियों से गुजर रहे थे. कुछ मामलों में तो यह समस्या युवाओं में भी दिखी थी. इस गांव में बोरिंग से लेकर कुएं तक के पानी में समस्या थी. ऐसे में लोग शुद्ध जल के लिए तरस रहे थे. लोगों की इस बड़ी समस्या पर लगातार रिपोर्ट प्रकाशित हुए तो शासन प्रशासन जागा और पूरे मेघातरी पंचायत के लिए ग्रामीण जलापूर्ति योजना तैयार की गई.
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वर्ष 2017 में इस योजना की राशि को स्वीकृति दी गई. 2019 में करीब 5.50 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित जलापूर्ति योजना से लोगों के घरों तक पानी पहुंचा दिया गया. वर्तमान में 643 घरों में पानी का कनेक्शन है और सुचारू रूप से जलापूर्ति होती है. योजना के लिए धनारजय नदी में इंटेक वेल बनाकर मुख्य सड़क के किनारे 2.1 लाख लीटर क्षमता वाले टंकी में पानी चढ़ाया जाता है. इसके बाद करीब पांच हजार की आबादी को जलापूर्ति की जा रही है. मेघातरी के साथ ही करहरिया के लोगों के घरों में सुबह-शाम शुद्ध जल मिल रहा है. स्थानीय बुजुर्ग सोनू सिंह बताते हैं कि पूर्व के वर्षों में फ्लोराइड युक्त पानी पीने से दिव्यांगता सहित अन्य तरह की परेशानी थी, पर अब स्थिति में सुधार हो रहा है. वे कहते हैं कि अगर शुद्ध जल मिलता रहा तो हमारे गांव के ऊपर लगा कलंक जल्द मिट जाएगा. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर की मानें तो वर्ष 2019 में शुरू हुई जलापूर्ति योजना का संचालन संबंधित कार्य एजेंसी ही कर रही है. तय समझौते के तहत बहुत जल्द योजना के संचालन की जिम्मेवारी स्थानीय समिति को सौंप दी जाएगी.
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ग्रामीण देवंती देवी कहती हैं कि पहले पानी की बहुत समस्या थी. जब से जलापूर्ति योजना की शुरुआत हुई है. स्थिति में सुधार आया है. सुबह-शाम दो-दो घंटे पानी मिलता है. इससे हमारी जरूरतें पूरी हो जा रही है. कंचन देवी कहती हैं कि पहले हम सभी गांव में कुंआ, चापानल के पानी पर निर्भर थे. कुछ चापानल तो काम के भी नहीं थे. किसी तरह काम चलता था. बीमारी अलग थी. जलापूर्ति योजना शुरू होने से राहत मिली है. बेबी देवी कहती हैं कि गांव में पहले पीने के पानी की गंभीर समस्या थी, लेकिन जलापूर्ति योजना से सुधार हुआ है. कभी कभार बिजली समस्या होने पर ही पानी नहीं आता है. वैसे स्थिति सुधर रही है.
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ग्रामीण अजय कुमार बताते हैं कि हमारे गांव की आबादी करीब 500 होगी. पहले पानी की समस्या थी, पर जब से घर-घर पानी पहुंचा है सुधार हुआ है. वर्तमान में चल रही व्यवस्था कायम रहेगी तभी भविष्य अच्छा होगा. ग्रामीण दिलीप कुमार गांव में पेयजल का पूरा संकट था. पहाड़ की तलहटी में गांव है. पास में नदी है फिर भी शुद्ध जल के लिए हम सभी तरसते थे. योजना के शुरू होने से काफी राहत पहुंची है.
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रिपोर्ट: विकास