Strawberries Cultivation In Jharkhand, कोडरमा न्यूज (राजेश सिंह) : झारखंड में एक ओर जहां किसान परंपरागत खेती में मशगूल हैं, वहीं कोडरमा जिले के जयनगर का एक युवा किसान नौशाद आलम ने कुछ अलग करने की ठानी है. कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर के संपर्क में आने के बाद आइटीआइ पास युवक नौशाद ने ट्रेलर चलाना छोड़ कर बुटबरिया मौजा में चार कट्ठा में स्ट्रॉबरी की खेती शुरू की नयी और बेहतर खेती के कारण आज सफल किसान बन गया है. स्ट्रॉबेरी बेच कर बेहतर मुनाफा भी कमा रहा है. पहले वह ट्रेलर चालक था, लेकिन उसे अच्छी सैलरी नहीं मिलती थी, जिससे वह परेशान था और लौट कर वह अपने घर आ गया और खेती शुरू की.
वर्ष 2018 में वह केवीके के संपर्क में आया और कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर सब्जियों को खेती शुरू की. कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञ सह निकरा परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ सुधाशु शेखर ने स्ट्रॉबरी की खेती के संबंध बताया कि इसकी खेती के लिए कोडरमा की जलवायु उपयुक्त है. इसकी खेती में जितनी लागत आती है, उससे आठ से दस गुना ज्यादा मुनाफा होता है. इसका अच्छा ग्रोथ 20-30 डिग्री तापमान पर होता है. एक हेक्टेयर में पांच से छह टन की पैदावार होती है. इसकी कीमत 250 300 रुपये प्रति किलो तक है.
कृषि विशेषज्ञ सह निकरा परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ सुधाशु शेखर बताते हैं कि इसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल, विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है. उन्होंने बताया कि इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. शरीर के अंदर कैंसर पैदा करने वाले सेल को खत्म करता है तथा दिल की बीमारी से बचाता है. डायबिटीज की जोखिम को कम करता है तथा कील मुहासों की समस्या को दूर करता है.
किसान नौशाद के अनुसार पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती से उसे 25 हजार रुपये का मुनाफा हुआ, स्ट्रॉबेरी का पौधा उसे उद्यान विभाग कोडरमा द्वारा उपलब्ध कराया गया. पौधा मिलने के बाद उसने चार कट्टे में पौधारोपण किया. फसल तैयार करने में गोबर व जैविक खाद का उपयोग किया पौधारोपण के 20 दिन बाद उसने पौधों के नीचे पॉलीथीन बिछा दी, ताकि फल में मिट्टी न लगे, सिंचाई के लिए उसने टपक सिंचाई योजना का इस्तेमाल किया. उसने बताया कि यह 250-300 रुपये किलो की दर से यह बिक जाता है.
Posted By : Guru Swarup Mishra