16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Women’s Day 2022: स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण लेकर बन रहीं स्वावलंबी, महात्मा गांधी के सपने कर रहीं साकार

Women's Day 2022: प्रशिक्षण केंद्र में सिलाई मशीन से लेकर कटिंग, फ्यूजिंग के अलावा काज बटन आयरन व पैकिंग की हाईटेक मशीनें महिलाएं ऐसे चलाती हैं, जैसे बड़ी कंपनियों में काम होते हैं. आज महिलाएं व युवतियां यहां खादी के कपड़े बनाकर स्वरोजगार, स्वदेशी व स्वावलंबन का संदेश दे रही हैं.

Women’s Day 2022: महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण को लेकर हर वर्ष तरह-तरह की बातें होती हैं. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने को लेकर हर तरफ अलग दावे होते हैं, लेकिन शहर में एक ऐसा केंद्र भी है जहां प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं इन दावों पर खरी उतर रही हैं. कोडरमा जिले के तिलैया थाना के सामने स्थित झारखंड राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का गांधी आश्रम आज महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है. खादी बोर्ड के प्रयास से आज यहां महिलाएं सिलाई का प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. महिलाएं यहां हाईटेक मशीन चलाती दिख जाएंगी.

आत्मनिर्भरता का संदेश

महिलाओं व युवतियां को मशीन चलाते देखने वाला व्यक्ति सहसा कुछ देर तक देखता ही रह जाता है. खादी बोर्ड के प्रयास से आज यहां महिलाएं सिलाई का प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. प्रशिक्षण केंद्र में सिलाई मशीन से लेकर कटिंग, फ्यूजिंग के अलावा काज बटन आयरन व पैकिंग की हाईटेक मशीनें महिलाएं ऐसे चलाती हैं, जैसे बड़ी कंपनियों में काम होते हैं. आज महिलाएं व युवतियां यहां खादी के कपड़े बनाकर स्वरोजगार, स्वदेशी व स्वावलंबन का संदेश दे रही हैं. इस केंद्र ने महिलाओं के स्वावलंबन के द्वार खोल दिए हैं. तो उनके चेहरे पर दिखाई देने वाला आत्मनिर्भरता का भाव अलग संदेश देता है.

वर्ष 2017 में हुई थी शुरुआत

प्रशिक्षण केंद्र के प्रभारी हरिहर प्रसाद सिंह की मानें, तो वर्ष 2017 में शुरू हुए प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र के पहले बैच में 25 महिलाओं व युवतियों ने ट्रेनिंग ली थी, जबकि आज वर्ष 2022 तक इस केंद्र से एक सौ से अधिक महिलाएं प्रशिक्षित होकर स्वरोजगार से जुड़ी हैं. उन्होंने बताया कि उद्घाटन के बाद से इस केंद्र से पांच बैच का प्रशिक्षण संपन्न हो चुका है और छठा बैच का प्रशिक्षण जारी है. कोरोना काल में दो वर्षों तक प्रशिक्षण केंद्र बंद होने के कारण प्रशिक्षण में बाधा उत्पन्न हुई थी़ हालांकि अब पुनः महिलाओं व युवतियों का प्रशिक्षण जारी है.

Also Read: Women’s Day 2022: चूल्हा-चौका करने वाली झारखंड की ग्रामीण महिलाएं आखिर कैसे भरने लगीं तरक्की की उड़ान
महात्मा गांधी के सपने कर रहीं साकार

प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं की मानें तो महिलाएं शर्ट, कुर्ता, पायजामा, लेडीज कुर्ती व गांधी टोपी प्रतिदिन बनाती हैं और इन कपड़ों की बिक्री भी शहर में संचालित खादी बोर्ड के दो केंद्रों पर हो रही है. प्रशिक्षण लेने वालों को प्रतिदिन के हिसाब से 150 रुपये भी मिलते हैं. प्रभात खबर ने जब प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं व युवतियों से बात की तो सभी ने केंद्र को वरदान बताते हुए कहा कि यह केंद्र महिला सशक्तीकरण का अनूठा उदाहरण है. इस केंद्र के जरिये महिलाएं आज अपनी आमदनी को बढ़ाने के साथ ही खादी को बढ़ावा देकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को भी साकार करने में लगी हैं.

Also Read: Women’s Day 2022: पति की हत्या के बाद भी नहीं हारीं हिम्मत, नगर पंचायत उपाध्यक्ष बनकर सेवा कर रहीं राखी
आत्मनर्भरता की उड़ान

प्रशिक्षिका आरती कुमारी कहती हैं कि खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र के पहले बैच में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आज मैं इसी केंद्र में प्रशिक्षिका के रूप में कार्यरत हूं. स्वावलंबी होने का इससे बड़ा उदाहरण मेरे नजर में दूसरा नहीं हो सकता़ बोर्ड के द्वारा मुझे अच्छा वेतन भी मिल रहा है़ आज मैं गर्व से कह सकती हूं कि मैं आत्मनर्भर हूं, वहीं प्रीति सिंह कहती हैं कि अपनी दो बेटी व एक बेटा का भविष्य उज्ज्वल करने के उद्देश्य से मैं भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हूं. आज मैं अकेले ही अपने बच्चों के भविष्य के लिए जद्दोजहद कर रही हूं. केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आत्मनिर्भर होकर बच्चों का भविष्य गढूंगी.

बनना चाहती हैं स्वावलंबी

किरण देवी कहती हैं कि हर एक इंसान का कुछ न कुछ सपना अवश्य होता है़ अपने सपने की तलाश में मैं इस केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनना चाहती हूं. इसमें मेरे पति के साथ ही पूरा परिवार का सहयोग मिल रहा है़ मुझे खुशी है कि मैं इस केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने पैरों पर खड़ी होऊंगी, वहीं रानी कुमारी कहती हैं कि आज के दौर में महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं. हर क्षेत्र में महिलाएं अपना परचम लहरा रही हैं तो ऐसे में मैं भी आत्मनर्भर बन कर एक मिसाल पेश करना चाहती हूं. इसलिए सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वावलंबी बनना चाहती हूं. शबनम बानो कहती हैं कि मैं अपने पैरों में खड़ा होकर स्वावलंबी बनना चाहती हूं. इसी उद्देश्य से खादी बोर्ड के प्रशिक्षण केंद्र में आई हूं. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद मुझे पूरा उम्मीद है कि मैं कुछ रोजगार कर सकूंगी, ताकि घर परिवार चलाने से लेकर अपना काम करने में आसानी हो.

रिपोर्ट: साहिल भदानी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें