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नो इंट्री में बेतला नेशनल पार्क हुआ गुलजार, हरियाली के साथ बढ़े हजारों जंगली जानवर

पिछले तीन महीने से बेतला नेशनल पार्क बंद है. इसका सकारात्मक असर बेतला नेशनल पार्क में दिख रहा है. इस बार अनुकूल वातावरण होने के कारण बेतला जंगली जानवरों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है.

बेतला (लातेहार), संतोष कुमार : मानसून को वन्यजीवों का प्रजनन काल देखते हुए देश के अन्य नेशनल पार्क की तरह पिछले तीन महीने से बेतला नेशनल पार्क बंद है. इसका सकारात्मक असर बेतला नेशनल पार्क में दिख रहा है. इस बार अनुकूल वातावरण होने के कारण बेतला जंगली जानवरों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है. साथ ही जंगल में हरियाली भी बढ़ी है. जंगल में चहुंओर हिरण, बाइसन ( गौर), बंदर ,लंगूर , हायना जंगली सूअर सहित अन्य छोटे-बड़े वन्य जीव दिख रहे हैं. पेट्रोलिंग के दौरान कई जानवरों को उनके बच्चों के साथ देखा गया. फिलहाल गिनती का काम नहीं होने के कारण उसकी वास्तविक संख्या स्पष्ट नहीं हो सका है. पहले से मौजूद जंगली जानवरों में 1000 से अधिक जंगली जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. पार्क बंद रहने से जंगली जानवरों को स्वच्छंद रूप से पूरे जंगल क्षेत्र में घूमते हुए देखा जा रहा है. पार्क के रास्ते से होकर गुजरते समय झुंड के झुंड जंगली जानवर दिखाई दे रहे हैं. जगह-जगह पर जंगली जानवर स्वतंत्र विचरण करते हुए अठखेलियां करते दिख रहे हैं.

हाथियों की झुंड दिखने के साथ ही उनकी गर्जना सुनाई पड़ रही है. फैली हरियाली के बीच फूलों पर मंडराती तितलियां व गुनगुनाते भंवरे जंगल क्षेत्र के सौंदर्य को बढ़ाने का काम कर रहे हैं. जंगल में नये पेड़ पौधों के उग जाने से जंगल घना दिख रहा है. वहीं जंगल का शान माना जाने वाला लेपर्ड भी काफी संख्या में दिख रहे हैं. जंगली जानवरों को बेहतर चारा मिल सके इसके लिए ग्रास प्लॉट से खरपतवार निकाला जा रहा है. बेतला नेशनल पार्क के रेंजर शंकर पासवान व वनपाल संतोष सिंह ने बताया कि नो एंट्री के दौरान बेतला नेशनल पार्क में पर्यटकों के प्रवेश पर भले ही रोक लगायी गयी है, लेकिन जंगल की निगरानी में कोई कसर नहीं छोड़ा जा रहा है. 24 घंटे जंगल पर नजर रखी जा रही है.

क्यों किया जाता है पार्क बंद

मॉनसून का समय जंगली जानवरों के लिए प्रजनन काल होता है. ऐसे में मानवीय गतिविधियों का असर वन्यजीवों की इस प्राकृतिक प्रक्रिया पर सीधे तौर पर पड़ता है. इतना ही नहीं प्रजनन काल में व्यवधान होने पर जानवरों के बीच कई बार हिंसात्मक लड़ाई हो जाती है. वे पर्यटकों पर भी हमला कर सकते हैं. इतना ही नहीं जंगल में कच्ची सड़क होने के कारण कई बार सफारी वाहन कीचड़ में फंस जाते हैं. ऐसे में जंगली जानवरों द्वारा पर्यटकों पर हमला करने की आशंका बढ़ जाती है. इसी वजह से एक जुलाई से 30 सितंबर तक पार्क बंद रहता है.

क्या कहते हैं डिप्टी डायरेक्टर

पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेश कांत जेना ने कहा कि बेतला नेशनल पार्क के बंद होने से इस बार प्रजनन पर सीधा असर पड़ा है. जंगली जानवरों की संख्या में बढ़ोतरी दिख रही है, जो बेतला नेशनल पार्क के लिए शुभ संकेत है. जगह-जगह पर कैमरा ट्रैप लगाये गये हैं, जिसमें जंगली जानवरों की तस्वीर कैद हुई है. बरसात खत्म होने के बाद जंगली जानवरों की गिनती करायी जायेगी.

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