Diwali 2021, लातेहार न्यूज (वसीम अख्तर): झारखंड के लातेहार जिले के महुआडांड़ प्रखंड के गोठगांव में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को इस दीपावली से काफी उम्मीदें हैं. लोगों के घर-आंगन उनके ही बनाये मिट्टी के दीये से रोशन होंगे. मिट्टी के कारीगर ईश्वर प्रजापति कहते हैं कि दीपावली में दीया-बाती का मिलन होगा और लोगों के घर-आंगन मिट्टी के दीये से रोशन होंगे. दिवाली को लेकर कुम्हारों के चेहरे खिल उठे हैं. वे कहते हैं कि पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ की अपील का बिक्री पर जबरदस्त असर पड़ा है.
दीपावली से पूर्व महुआडांड़ प्रखंड के साप्ताहिक सोमवार बाजार में गांव-देहात से त्योहार की खरीदारी करने आये ग्रामीणों ने दीपावली के लिए कैलेंडर, कपड़े, मालाएं, बंधनवार (आर्टिफिशियल फूल) घर के सजावट के सामान के साथ-साथ मिट्टी के दीये भी खूब खरीदे. इसके साथ ही किराना दुकानों पर भी काफी भीड़ रही. कारीगरों के द्वारा बाजार में पांच विभिन्न आकारों के मिट्टी के दीये बिक्री के लिए लाये गये थे. जिनकी कीमत इस प्रकार है. 20 रूपये तीन, 20 में चार, 10 में चार और एक 200 एवं 150 रूपये सैकड़ा बेचा गया.
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गणेश कुम्हार ने कहा कि उम्मीद से बेहतर बिक्री हुई है. आज दो हजार दीया बिका है. पिछले दो वर्षों से लोगों की सोच में खासा बदलाव आया है. लुप्त होती कुम्हारों की कला के पटरी पर लौटने के संकेत मिले हैं. कभी आधुनिकता के इस दौर में चाइनीज झालरों व मोमबत्तियों की चकाचौंध ने मिट्टी के दीयों की रोशनी फीकी कर दी थी. पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ की अपील का बिक्री पर जबरदस्त असर पड़ा है.
रंजन प्रजापति कहते हैं कि गोठगांव में 35 घर प्रजापति समाज के लोग हैं. बीते एक साल से लगभग 20 घरों के लोग मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य करते हैं. सप्ताह पूर्व से हाट-बाजार में दीयों को बेच रहे हैं. अब तक लगभग पांच से छह हजार दीये बिक चुके हैं. वोकल फॉर लोकल अपील का असर इस बार भी दिख रहा है. लोग चायनीज झालरों के बजाय मिट्टी के दीयों को प्राथमिकता दे रहे हैं.
पंडित दया शर्मा कहते है कि हिंदू परंपरा में मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है. मिट्टी को मंगल का प्रतीक माना जाता है. मंगल साहस, पराक्रम में वृद्धि करता है और तेल को शनि का प्रतीक माना जाता है. शनि को न्याय और भाग्य का देवता कहा जाता है. मिट्टी का दीपक जलाने से मंगल और शनि की कृपा प्राप्त होती है.
लातेहार के महुआडांड़ प्रखंड चिकित्सा प्रभारी अमित खलखो कहते है कि मिट्टी से निर्मित दीये, खिलौने एवं बर्तन पूरी तरह इको-फ्रेंडली होते हैं. इसकी बनावट, रंगाई व पकाने में किसी भी प्रकार के केमिकल प्रयोग नहीं किया जाता है. दीये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra