16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand News: नेतरहाट की फिजाओं में तैरती है ब्रिटिश अफसर की बेटी मैग्नोलिया व गड़ेरिया की अमर प्रेम कहानी

Jharkhand News : सूर्योदय व सूर्यास्त का नजारा अद्भुत है. ब्रिटिश लड़की मैग्नोलिया और गड़ेरिया की अमर प्रेम कहानी आज भी यहां की फिजाओं में तैरती है.

Jharkhand News : झारखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नेतरहाट को छोटानागपुर की रानी कहा जाता है. ये लातेहार जिले में समुद्र तल से 3,761 फीट ऊंचाई पर घनघोर जंगलों के बीच है. नेतरहाट की वादियां मन मोह लेती हैं. सूर्योदय व सूर्यास्त का नजारा देखने के लिए देश के विभिन्न राज्यों समेत विदेश से भी खासकर पश्चिमी देशों के पर्यटक पहुंचते हैं. ब्रिटिश अफसर की बेटी मैग्नोलिया और गड़ेरिया की अमर प्रेम कहानी आज भी यहां की फिजाओं में तैरती है.

नेतरहाट में अक्टूबर से फरवरी माह तक पर्यटकों की भीड़ होती है. सर्दी में यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है. दिसंबर माह में तापमान जीरो डिग्री तक पहुंच जाता है. गर्मी में नेतरहाट का तापमान 32 डिग्री से ज्यादा नहीं जाता. गर्मी की रात गुनगुना सर्द होती है. लगभग पूरे वर्ष लोग यहां गर्म कपड़े का उपयोग करते हैं. इसके अलावा नेतरहाट आवासीय विद्यालय और नाशपाती बागान के लिए भी ये विख्यात है. कोयल व्यू, अपर घघरी, लोअर जलप्रपात, शैले हाउस व चीड़ अभ्यारण्य जैसे स्थल भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.

Also Read: Valentine Day 2021 : झारखंड के नेतरहाट की फिजाओं में आज भी गूंज रही गड़ेरिया व अंग्रेज अफसर की बेटी मैग्नोलिया की अमर प्रेम कहानी

नेतरहाट रांची से 156 किलोमीटर, लातेहार जिले से लगभग 130 किमी, पलामू से 145 किमी और गुमला जिले से 130 किमी है. ये लातेहार-गुमला जिला सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है. पर्यटन विभाग का अतिथि निवास है. वन विभाग और लातेहार प्रशासन का भी यहां अतिथि निवास है. रिजॉर्ट, रवि शशि, लेक व्यू नामक दर्जनों प्राइवेट होटल हैं. नेतरहाट स्थित सरकारी या गैर सरकारी होटलों को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं.

Undefined
Jharkhand news: नेतरहाट की फिजाओं में तैरती है ब्रिटिश अफसर की बेटी मैग्नोलिया व गड़ेरिया की अमर प्रेम कहानी 4

नेतरहाट में एक ब्रिटिश अफसर की बेटी मैग्नोलिया और स्थानीय आदिम जनजाति विरजिया समुदाय (गड़ेरिया) के युवा की अधूरी प्रेम कहानी प्रचलित है. एक अंग्रेज गवर्नर अपनी बेटी मैग्नोलिया के साथ नेतरहाट आया था. घूमने के दौरान मैग्नोलिया ने बांसुरी की धुन सुनी. धुन से मुग्ध होकर वह बांसुरी वादक की ओर खींची चली गयी. एक युवक मवेशी चराते हुए बांसुरी बजा रहा था. चरवाहे के पास बैठ बांसुरी की धुन को वह सुनने लगी. धीरे-धीरे ये सिलसिला बढ़ता गया. कहा जाता है कि मैग्नोलिया को चरवाहे से प्रेम हो गया था. बेटी के प्रेम की सूचना अंग्रेज गवर्नर तक पहुंची. वह काफी नाराज हुआ और चरवाहे को गहरी खाई में फेंकवाकर दिया. मैग्नोलिया प्रेम विरह में बेचैन होकर रोज घोड़े पर बैठकर वादियों में चरवाहे को ढूंढती थी. एक दिन उसे पता चला कि उसके पिता ने चरवाहे को खाई में फेंकवा दिया है. तभी मैग्नोलिया उस खाई के पास पहुंची और अपने घोड़े के साथ उसी खाई में छलांग लगा कर अपनी जान दे दी. ऐसे इन वादियों में एक अधूरी प्रेम कहानी अमर हो गई.

Also Read: महाराष्ट्र-दिल्ली समेत कई राज्यों में है नेतरहाट की नाशपाती की डिमांड, अंतरराष्ट्रीय स्तर की है गुणवत्ता

नेतरहाट आवासीय विद्यालय (हिन्दी माध्यम) की स्‍थापना नवंबर 1954 में हुई थी. तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा इसे गुरुकुल की तर्ज पर स्थापित किया गया था. 2020 में इसे इंग्लिश माध्यम (सीबीएसई) किया गया. इस विद्यालय में गुरुकुल प्रथा आज भी कायम है. प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर यहां नामांकन होता है. इस विद्यालय के अनेक छात्र देश-विदेश में स्कूल का नाम रोशन कर चुके हैं. देश के कई शीर्ष पदों के नौकरशाह और टेक्नोक्रेट इस विद्यालय से पढ़ कर निकले हैं. वर्तमान में विद्यालय में छात्रों की संख्या 500 से अधिक है. विद्यालय परिसर में फूलों का बगीचा भी है. सीजनली फूलों को विकसित किया जाता है एवं बगीचे में कचनार और कैसिया प्रजाति के फूल हैं.

Undefined
Jharkhand news: नेतरहाट की फिजाओं में तैरती है ब्रिटिश अफसर की बेटी मैग्नोलिया व गड़ेरिया की अमर प्रेम कहानी 5

शैले हाउस एक ट्री (लकड़ी) हाउस है. विस्तृत जानकारी देते हुए हाउस के इंचार्ज मोहम्मद असलम ने बताया कि शैले हाउस का निर्माण 1919 में लेफ्टिनेंट गवर्नर (अंग्रेज शासक) सर एडवर्ट गेट के द्वारा ओडिशा-बिहार के कार्यकाल के दौरान किया गया था. इस भवन का निर्माण सौ फीसदी लकड़ी से की गई है. पिलर छत एवं जमीन लकड़ी के बने हैं. शैले हाउस के कंपाउंड के अंदर अंग्रेजों द्वारा 1920 में सुंदरता बढ़ाने के लिए हिमालयन पाइन (चीड़) ट्री लगाये गये थे. ब्यूटीफिकेशन के लिए नेतरहाट के कोयल व्यू नामक मनोरम स्थल के समीप अंग्रेजों ने चीड़ वन अभयारण्य भी बनाया. इसके अलावा नेतरहाट के विभिन्न स्थलों पर सिल्वर और थूजा पेड़ भी लगाए गए हैं. इन पेड़ों के 100 साल पूरे हो गए हैं. नेतरहाट में अंग्रेज गवर्नर छुट्टी बिताने के लिए आते थे, जो सप्ताह एवं महीनोंभर यहां रहकर अपने कार्य को भी संपादित करते थे.

Also Read: Jharkhand News : संपत्ति विवाद में बड़े भाई व भतीजों ने दिव्यांग को पीट-पीट कर मार डाला, छापामारी कर रही पुलिस
Undefined
Jharkhand news: नेतरहाट की फिजाओं में तैरती है ब्रिटिश अफसर की बेटी मैग्नोलिया व गड़ेरिया की अमर प्रेम कहानी 6

नेतरहाट में लगभग 100 एकड़ में नाशपाती का बागान है. सरकारी डंकन नाशपाती बागान 85 एकड़ में फैला हुआ है. लगभग पांच एकड़ जंगल वारफेयर स्कूल में नाशपाती बागान है, जिसे पहले फार्म कहा जाता था. नेतरहाट के स्थानीय लोगों द्वारा लगभग 25 एकड़ में नाशपाती की खेती की जाती है. डंकन बागान व जंगल वार फेयर स्कूल नाशपाती बागान का हर वर्ष लाखों का टेंडर निकाला जाता है.

Also Read: झारखंड में 25 लाख के इनामी उग्रवादी दिनेश गोप के दस्ते से 24 घंटे में पुलिस की दूसरी मुठभेड़, घेराबंदी जारी

नेतरहाट पठार (बाजार) से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर अपर घाघरी है. यह जगह पिकनिक स्‍थल के रूप में प्रसिद्ध है. प्राकृतिक सुन्‍दरता के बीच पिकनिक मनाने का अलग ही आनंद है. यहां पहुंचने के लिए नेतरहाट के गांव नवटोली होते हुए जाना पड़ता है. नेतरहाट से लगभग नौ किलोमीटर की दूरी पर लोवर घाघरी है. घने जंगलों के बीच से गुजरते इस झरने की सुन्‍दरता मनमोहक है. 32 फीट की ऊंचाई से गिरते हुए जलप्रपात को देखने पर्यटक आते हैं. इसके आस-पास घने जंगल हैं. यहां पहुंचने के लिए अपर घाघरी से जंगली रास्ते से होते हुए जाना पड़ता है.

रिपोर्ट : वसीम अख्तर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें