Jharkhand news: नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी केंद्रीय जनसंघर्ष समिति, लातेहार-गुमला की ओर से आयोजित दो दिवसीय विरोध सभा जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने का संकल्प तथा जान देंगे पर जमीन नहीं देंगे के नारे के साथ संपन्न हो गया. इस दौरान पदयात्रा निकाल कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया. यह पदयात्रा आगामी 21 से 25 अप्रैल, 2022 तक आयोजित होगा.
फायरिंग रेंज के प्रभावित 245 गांवों के ग्रामीणों को भी जाने का है अधिकार
विरोध सभा के अंतिम दिन पूर्व विधायक सुखदेव भगत ने संबोधित करते हुए कहा कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित 245 गांवों के निवासियों को संवैधानिक रूप से रहने और जीने का अधिकार है. आदिवासियों को अपनी जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने का अधिकार है. कहा कि यह क्षेत्र संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत अधिसूचित है. पांचवीं अनुसूचित इलाके में केंद्र और राज्य सरकार की एक ईंच भी जमीन नहीं है. पेसा कानून में यह स्पष्ट है कि ग्रामसभा की सहमति के बगैर किसी भी गांव के सामुदायिक संसाधनों को किसी को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता.
29 वर्षों से संघर्ष आगे भी रहेगा जारी
वहीं, रेजन गुड़िया ने कहा कि खूंटी के मुंडा और स्थानीय समुदायों ने अपने सामुदायिक संसाधनों की रक्षा के लिए संघर्ष किया और केंद्र एवं राज्य सरकार को परियोजना को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा. समिति के अनिल मनोहर ने कहा कि जिस मजबूती से हम ग्रामीण 29 वर्षों से इस संघर्ष को जारी रखे हैं, उसे आनेवाली पीढ़ी और अधिक धार देगी.
राज्य सरकार से अधिसूचना को रद्द करने की मांग
मौके पर जेरोम जेराल्ड कुजूर एवं मकदली टोप्पो ने कहा कि सरकार एक ओर आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है, वहीं दूसरी ओर आदिवासी अपनी जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं. विरोध सह संकल्प सभा में पड़हा सभा ने फायरिंग रेंज का विरोध प्रस्ताव पारित किया और झारखंड सरकार से इस अधिसूचना को स्थायी रूप से रद्द करने की मांग की गयी.
21 से 25 अप्रैल तक पदयात्रा
विरोध दिवस में भाग लेने आये 100 गांवों के ग्राम प्रधानों एक स्वर में 21 से 25 अप्रैल तक टूटूवापानी आंदोलन स्थल से पदयात्रा कर राज्यपाल को रांची में ज्ञापन देने पर अपनी सहमति जतायी. मौके पर प्लादीयूस सेवती पन्ना, लाद टोपनो, मंथन, आर्यन उरांव, जनार्दन भगत, सतीश उरांव व प्रमोद खलखो आदि ने भी संबोधित किया.
रिपोर्ट : वसीम अख्तर, महुआडांड़, लातेहार.