Jharkhand news, Latehar news : लातेहार (आशीष टैगोर) : हरी- भरी वादियां, उच्चे- नीचे पर्वत, पर्वतों के बीच से कलकल बहती नदियां तथा जंगलों में महुआ एवं पलास की खुशबू यह लातेहार जिला का एक छोटा सा परिचय है. कहना गलत नहीं होगा कि प्रकृति ने लातेहार को अपनी सारी नेमतों से नवाजा है. मानो प्रतीत होता है कि प्रकृति ने लातेहार को अपने हाथों से फुर्सत में सजाया है. जिले की अद्भुत छटा लोगों को अपनी ओर बरबर आकर्षित करती है. जिले में नेतरहाट एवं बेतला जैसे पर्यटन स्थल राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. आज देश- विदेश से यहां सैलानीआते हैं. लेकिन, वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण इस पर रोक लगी हुई है.
नेतरहाट की नैसर्गिक खूबसूरती एवं अद्भुत छटाओं के कारण ही इसे छोटानागपुर की रानी कहा जाता है. समुंद्रतल से 3,761 फीट की ऊंचाई पर बसे नेतरहाट में सालों भर खुशगवार आबोहवा रहती है. यही कारण है कि गरमी के दिनों में ब्रिटीश हुकुमत अपनी गतिविधियां नेतरहाट से संचालित करते थे. अंग्रेजों ने यहां अपना कैंप कार्यालय बनाया था.
Also Read: झारखंड के पारा शिक्षकों के लिए खुशखबरी, हेमंत सोरेन की सरकार ने तैयार किया स्थायीकरण व वेतनमान सेवा नियमावली का प्रस्तावनेतरहाट का सूर्योदय एवं सूर्यास्त देखना अविस्मरणीय क्षण होता है. नेतरहाट के मैग्नोलिया प्वाईंट से पर्वतों की श्रृंखला के बीच धीरे-धीरे गुम होता लाल सूर्ख सूर्य लोगों को अपनी मुरीद बना लेता है. मैंग्लोनिया प्वाइंट की एक अलग ही दास्ता है.
बताते हैं कि यहां से एक अंग्रेज अफसर की बेटी मैंग्लोनिया ने सैकड़ों फीट गहरी घाटी में अपने घोड़े के साथ इसलिए छलांग लगा कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली थी कि उसके पिता ने उसके प्रेमी गड़ेरिये को अपने सैनिकों के हाथों मार डाला था. तब से ही इस प्वाइंट का नाम मैंग्लोनिया प्वाईंट है. यहां मैंग्लोनिया और उस गड़ेरिये की एक प्रतिमा लगायी है.
नेतरहाट का आवासीय विद्यालय राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर है. यहां से शिक्षा पा चुके छात्र देश- विदेश के विभिन्न बड़े ओहदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. नेतरहाट का ही शैले हाउस काष्ठ कला का बेहतरीन नमूना है. इसी हाउस में अंग्रेज अपना कार्यालय चलाते थे. आज भी यह कार्यालय लातेहार उपायुक्त के कैंप कार्यालय के रूप में काम करता है.
जिले के नेतरहाट स्कूल की उपलब्धियों में एक और नाम जुड़ गया है. इस स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र राकेश अस्थाना बीएसएफ में डीजी बनाये गये हैं. उनकी इस उपलब्धि पर नेतरहाट स्कूल के वर्तमान और पूर्ववर्ती छात्रों में काफी उत्साह है. श्री अस्थाना मूल रूप से रांची के रहने वाले हैं और उनकी स्कूली शिक्षा लातेहार के नेतरहाट स्कूल से हुई थी. वर्ष 1968 से लेकर 1972 तक वे नेतरहाट स्कूल के छात्र रहे थे. विद्यालय में वे काफी तेज- तरार छात्रों में गिने जाते थे. इससे पहले राकेश अस्थाना सीबीआई के एसपी के रूप में भी कार्य कर चुके हैं.
नेतरहाट आवासीय विद्यालय के वर्तमान प्राचार्य डॉ संतोष कुमार सिंह ने राकेश अस्थाना की इस उपलब्धि से काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि श्री अस्थाना ने इस विद्यालय के उपलब्धियों की क्षितिज में एक और सितारा जोड़ दिया है. उनकी इस उपलब्धि पर नेतरहाट विद्यालय के पूर्ववर्ती और वर्तमान छात्रों का मान बढ़ा है. वे दूसरे छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं.
इसी प्रकार बेतला राष्ट्रीय उद्यान के खुले जंगल में जंगली जानवरों को स्वतंत्र रूप से घूमते देखना किसी रोमांच से कम नहीं है. हालिया पशु गणना में बेतला में बाघ होने के पुख्ता प्रमाण मिले हैं. हाथी और जंगली भैसा तो यहां बहुतायत में मिलते हैं. बेतला के पास ही स्थित पलामू किला राजा मेदिनीराय के गौरवशाली इतिहास का मूक गवाह है.
Posted By : Samir Ranjan.