Jharkhand news, Latehar news : महुआडांड़ (लातेहार) : लातेहार जिला अंतर्गत महुआडांड़ प्रखंड के पर्यटक स्थल लोध फॉल (बूढ़ा घाघ) जलप्रपात का दीदार करने वालों की जेब अब कटने वाली है. वन विभाग ने यहां आने वाले पर्यटकों को 3 नवंबर, 2020 से वाहन पार्किंग शुल्क के अलावा रमणिक वादियों को निहारने का भी शुल्क वसूलने का निर्णय लिया है. वन विभाग ने इको विकास समिति का गठन कर वाहन पड़ाव शुल्क के नाम पर बसों से 100 रुपये, चार पहिया वाहनों से 50 रुपये एवं दो पहिया वाहनों से 20 रुपये वसूलने का निर्णय लिया है. इसके अलावा जलप्रपात क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए 10 रुपये प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क देना होगा. 10 साल से ऊपर के बच्चों को भी 10 रुपये देने होगें. इस पर पर्यटन व वन विभाग आमने- सामने आ गयी है.
क्या था पूर्व में प्रावधान
वर्ष 2009 से झारखंड टूरिज्म डिपार्टमेंट कॉरपोरेशन (Jharkhand Tourism Department Corporation) के द्वारा लोध फॉल जलप्रपात की देखरेख व रख- रखाव की जा रही है. इसके अलावा विभाग के द्वारा पर्यटकों की सुरक्षा और स्वच्छता के लिए 12 लोगों की विभिन्न पदों पर बहाली की गयी थी. पर्यटन विभाग (Tourism department) के द्वारा इन कर्मियों को मानदेय दिया जाता है. विभाग के द्वारा फॉल देखने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, लेकिन अब वन विभाग (Forest department) के द्वारा वाहन एवं प्रवेश शुल्क वसूलने से स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटक भी निराश हैं.
गत एक नवंबर को लोध ग्राम में एक इको विकास समिति, लोध की ग्रामसभा ग्राम प्रधान फ्रांसिस केरकेट्टा की अध्यक्षता में आयोजित हुई थी. इस ग्रामसभा में चटकपुर पंचायत की मुखिया रेखा नगेसिया एवं कोषाध्यक्ष रामदयाल राम मौजूद थे. ग्रामसभा में 3 नवंबर, 2020 से लोध फॉल आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा एवं सुविधाएं इको समिति (Eco Committee) द्वारा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया. इसके एवज में पर्यटकों से पार्किंग शुल्क (Parking Fee) तथा जलप्रपात को देखने के लिए प्रवेश शुल्क लेने का निर्णय लिया गया. ग्रामसभा में कहा गया कि पर्यटकों से प्राप्त राशि पर्यटक एवं उनके वाहनों की सुरक्षा तथा साफ- सफाई पर खर्च किया जायेगा.
Also Read: IRCTC/Indian Railways News : दीपावली और छठ में झारखंड से होकर गुजरेंगी कई स्पेशल ट्रेनें, जानिये वन- वे में चलेंगी कौन- कौन सी ट्रेन, यहां चेक करें पूरी लिस्टरांची से लगभग 120 किलोमीटर दूर लातेहार जिले के महुआडांड़ अनुमंडल में लोध जलप्रपात है. महुआडांड़ से 15 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर-पश्चिम दिशा में अवस्थित यह जलप्रपात राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात है. बूढ़ा नदी पर अवस्थित होने के कारण इसे बूढ़ा घाघ भी कहते हैं. यहां तकरीबन 143 मीटर की ऊंचाई से पानी नीचे गिरता है. इतनी ऊंचाई से गिरते पानी को देखने पर लगता है कि यहां चांदी की कोई परत पड़ी हो. जिस स्थान पर पानी गिरता है. वह समुंद्रतल से 800 मीटर की ऊंचाई पर है. इसका क्षेत्रफल लगभग 63 वर्ग किमी है. इसे महुआडांड़ भेड़िया आश्रयणी के नाम से 23 जून 1976 को अधिसूचित किया गया है. लोध जलप्रपात के आसपास साल (सखुआ) के घने जंगल हैं.
इस संबंध में वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, महुआडांड़ रेंजर वृंदा पांडेय ने कहा कि इको विकास समिति (Eco Development Committee) वन विभाग का एक अंग है. वन विभाग के द्वारा कुछ लोगों को टूरिज्म ट्रेनिंग के लिए केरल को भेजा गया था. जो प्रशिक्षण प्राप्त कर लौट गये हैं और उनके द्वारा ही लोध फॉल की सुरक्षा एवं स्वच्छता का ख्याल रखा जायेगा. उन्होंने कहा कि लोध फॉल भेड़िया आश्रयणी के अंतर्गत है, जिस पर पूरा नियंत्रण महुआडांड़ वन प्रक्षेत्र व्याघ्र परियोजना, दक्षिणी प्रमंडल मेदनीनगर के पास है. पर्यटन विभाग के हस्तक्षेप को वन विभाग नहीं मानता है.
इस संबंध में डीसी अबु इमरान ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली जा रही है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र के पर्यटन स्थलों को विकसित करना जिला प्रशासन की पहली प्राथमिकता है.
Posted By : Samir Ranjan.