Jharkhand news: कहना गलत नहीं होगा कि आज भी समाज में दिव्यांगों को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं. सामाजिक उपेक्षाओं के कारण आज भी दिव्यांग अपने-आपको समाज में सहज महसूस नहीं कर पाते हैं. दिव्यांगों को अक्सर समाज व घर-परिवार में उपहास का पात्र बनना पड़ता है. आज जरूरत है दिव्यांगों के प्रति दया एवं सहानुभूति की बजाय उनमें सहज मानवीय दृष्टि एवं रचनात्मक व्यवहार विकसित करने की. दिव्यांगों को भी अगर समुचित प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन मिले, तो वो खुद समाज में अपनी एक अलग मुकाम बना सकते हैं. जिले में कई ऐसे दिव्यांग हैं जिन्होंने अपनी सफलता की राह में दिव्यांगता को कभी आड़े आने नहीं दिया. 3 दिसंबर को विश्व दिव्यांगता दिवस है. लातेहार के दिव्यांग आज किसी से कम नहीं है.
लातेहार शहर के राजकीयकृत उच्च विद्यालय के रिटार्यड प्रधानाध्यापक केदारनाथ पाठक के द्वितीय सुपुत्र गौतम पाठक समाज के लिए एक उदाहरण हैं. दृष्टिबाधित गौतम का चयन अप्रैल 2020 माह में 6th JPSC की परीक्षा में वित्त सेवा के लिए किया गया है. गौतम आज राज्य कर अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. गौतम ने कहा कि उन्होंने अपनी दिव्यांगता को अपना हथियार बनाया और सफलता प्राप्त किया. शुरू में लोग उपहास करते थे, लेकिन जब सफलता हासिल की तो लोगों का भ्रम टूट गया.
दृष्टिबाधित वृजनंदन पंडित लोक गायन में जिले में अपनी एक अलग पहचान बनायी है. हिंदी व भोजपुरी गीत व भजन गायन के लिए श्री पंडित को अक्सर कार्यक्रमों में आमंत्रित किया जाता है. श्री पंडित बताते हैं उन्हें बचपन से ही गाने का शौक था. उनके पिता देवनारायण पंडित एवं परिवार वालों ने उसके इस शौक को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
Also Read: जर्जर हो गया है एनएच 99 का चतरा-डोभी पथ, 2 साल पहले ही सड़क निर्माण का कार्य हुआ था शुरू, फिर लगी रोक
जन्म से ही दृष्टिबाधित निशि रानी गायन के क्षेत्र में जिले में उभरता हुआ नाम है. हमेशा अपने होठों पर मुस्कान रखने वाली 17 वर्षीय निशि रानी ने 5 वर्ष पहले जब यहां आयोजित एक कार्यक्रम में एक देशभक्ति गीत गाया, तो लोगों ने उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की. तत्कालीन डीसी राजीव कुमार निशि रानी से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने उसे विशेष पुरस्कार दिया. इसके बाद निशि रानी ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. झारखंड स्थापना दिवस 2021 के मौके पर जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में निशि रानी ने अपनी गायकी से लोगों को अपना मुरीद बना लिया.
निशि की गायकी से प्रसन्न होकर स्थानीय बैद्यनाथ राम ने उसे नगद पुरस्कार दिया. वहीं, डीसी अबु इमरान ने भी निशि को हर संभव मदद करने की बात कही. निशि ने बताया कि वह गानों को सुनकर याद कर लेती है और उसे ऑडिओ ट्रेक पर गाने की रियाज करती है. उसके पिता जितेंद्र प्रसाद व माता सुनीता देवी ने निशि के हर मोड़ पर उसका साथ दिया है और उसे हमेशा प्रोत्साहित किया.
विश्व दिव्यांगता दिवस के तहत शहर के राजहार मोड निवासी संतोष प्रसाद ने भी कभी अपने आपको दिव्यांग नहीं समझा. व्हील चेयर में चलने के बावजूद वो हमेशा सामाजिक कार्यों में आगे रहते हैं. अपने व अपने परिवार की दैनिक जरूरतों के लिए वे खुद बाजार एवं अन्य जगहों पर जाते हैं. उनका कहना है कि दिव्यांगता को कोसते रहने से जीवन नहीं चलेगा. हमें उसी के अनुरूप अपना व्यवहार व कार्य सीखना होगा. उन्होंने अन्य दिव्यांगों को भी कुंठा से बाहर निकलने की बात कही.
रिपोर्ट: आशीष टैगोर, लातेहार.