Shocking: इस्तेमाल किये सैनिटरी पैड्स उबालकर पी रहे नशेड़ी, होता है ड्रग्स जैसा नशा!

इन दिनों नशे की दुनिया में एक नये तरह की चीज आयी है. इसके बारे में जानकर आपको पहले तो विश्वास नहीं होगा, और जब होगा तो इसके बारे में सोचकर घिन आयेगी. लेकिन चाहे दिल खुश करनेवाला हो या घिनौना, नशा तो नशा होता है! मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडोनेशिया में युवाओं के बीच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2018 7:04 PM
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इन दिनों नशे की दुनिया में एक नये तरह की चीज आयी है. इसके बारे में जानकर आपको पहले तो विश्वास नहीं होगा, और जब होगा तो इसके बारे में सोचकर घिन आयेगी. लेकिन चाहे दिल खुश करनेवाला हो या घिनौना, नशा तो नशा होता है!

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंडोनेशिया में युवाओं के बीच नशे को लेकर एक नया ट्रेंडडेवलपहुआ है. यह नया नशा महिलाओं द्वारा पीरियड्स में इस्तेमाल किये जाने वाले सैनिटरी पैड्स और टैम्पोन्स का है. इस्तेमाल किये हुए सैनिटरी पैड्स और टैम्पोन्स को ये नशेड़ी कचरे के ढेर से उठा लाते हैं. फिर इसे पानी में उबालने के बाद उसे ठंडा कर दोस्त-यारों के साथ बैठकर पीते हैं.

इंडोनेशिया नेशनल ड्रग एजेंसी (BNN) के मुताबिक, सैनिटरी पैड फॉर्मूला को पीने से लोगों को नशे और बेसुध होने का एहसास होता है. इसके लिए प्रोडक्ट में मौजूद क्लोरीन जिम्मेदार है. हालांकि इसका नमूना भारत में देखने को नहीं मिला है लेकिन इंडोनेशिया में सैनिटरी पैड्स के नशे का यह चलन जोर पकड़ चुका है.

BNN के अध्यक्ष सीनियर कमांडर सुप्रिनार्टोकाइस बारे में कहना हैकि वे (नशेड़ी) जिस प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह लीगल है लेकिन इसे जिस उद्देश्य के लिए बनाया गया है, उस रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है जो सही नहीं है. इसे ड्रग की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जकार्ता की राजधानी जावा से कई लोगों को सैनिटरी पैड्स से नशा करते पाये जाने पर गिरफ्तार किया गया है. बेलिटुंग द्वीप के 14 साल के एक बच्चे ने स्थानीय अखबार को बताया, पैड का रैपर हटाकर इसे एक घंटे तक उबाला जाता है और उसके बाद इसे निचोड़कर लिक्विड एक कंटेनर में रख लिया जाता है. इंडोनेशिया में हर महीने लगभग अरबों टैम्पून्स फेंक दिये जाते हैं. दरअसल, यहां लोगों के बीच धारणा है कि जो महिला टैम्पून का इस्तेमाल करती है, वह वर्जिन नहीं होती है.

इंडोनेशियन कमिटी ऑन चाइल्ड प्रोटेक्शन में कमिश्नर सिट्टी हिकमावट्टीका कहना है, यह नशा करनेवाले ज्यादातर टीनएजर्स हैं, जो इतने माहिर हो चुके हैं कि इंटरनेट की मदद से इसके कई नये वेरिएंट्स और मिश्रण बना सकते हैं. सिट्टी कहते हैं, यहीं से खतरा बढ़ जाता है क्योंकि हम केवल किसी एक मिश्रण को लेकर चिंतित होते हैं और बाकी को नजरअंदाज कर देते हैं. इससे साइड इफेक्ट होने का खतरा ज्यों का त्यों बना रहता है. इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि वे इस बात की जांच करेंगे कि टैम्पून्स और पैड्स में कौन से कैमिकल्स हैं जिससे इतना नशा होता है.

वहीं, इंडोनेशिया में सेफ ड्रिंक की पैरवी कर रहे जिमी गिटिंग का कहना है कि इसकी शुरुआत लगभगदो साल पहले यह ट्रेंड शुरू हुआ. फिलहाल इसके खिलाफ कोई कानून नहीं है. कुछ बच्चे मच्छरों से बचने के लिए बनाये गये कफ सिरप का भी नशे की तरह इस्तेमाल करते हैं, इन्हें रोकने के लिए भी कोई कानून नहीं है.

जानकारों की मानें,तो इस तरह कानशा करनेवालों में अधिकतरकिशोर वंचित तबकों से हैं और कई तो सड़कों पर रहनेवाले हैं. इससे पहले डेंड्राइटजैसे ग्लू और व्हाइटनर को सूंघकर भी ड्रग का काम लिया जाता है, लेकिन इंटरनेट पर नयी-नयी जानकारियांआने के बाद वे अब नशे के लिए दूसरी चीजें भी आजमाने लगे हैं.

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