लगभग 300 साल से एक अध्ययन में लगे वैज्ञानिकों ने यह बड़ा खुलासा कर ही दिया. जी हाँ, इस खोज में कुछ साल नहीं बल्कि पूरे 300 साल लगे हैं और अभी भी इससे जुड़े कई तथ्यों पर खोज जारी है…
यह बेहद चौंकाने वाला सच है कि बैक्टीरिया भी आम मनुष्यों की तरह देख सकते हैं. हालिया हुए एक अध्ययन ने इसका खुलासा किया. इस अध्ययन के अनुसार, बैक्टीरिया भी अपनी दुनिया को देख सकते हैं और उनका पूरा शरीर लेंस का काम करता है.
ब्रिटेन तथा जर्मनी के शोध दलों ने इस बात का खुलासा किया है कि जीवाणु किस प्रकार एक माइक्रोस्कोपिक आईबॉल के समतुल्य कार्य करते हैं. इसे हम दुनिया का सबसे पुराना और छोटा ‘कैमरा आई’ कह सकते हैं.
क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता कोनार्ड मुलिनियक्स ने कहा, "जीवाणु अपनी दुनिया को देखने में सक्षम हैं, यह विचार मूलत: उसी तरह है, जिस प्रकार मनुष्य यह काम करने में सक्षम है."
सायनोबैक्टीरिया जलाशयों में भारी संख्या में पाए जाते हैं या चट्टानों पर फिसलन वाली हरी परत बना लेते हैं.
वर्तमान अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि वे अपनी दुनिया को देखने में इसलिए सक्षम हैं, क्योंकि उनका पूरा शरीर ही एक लेंस का काम करता है.
मुलिनियक्स ने कहा, "इससे पहले किसी ने इस बात पर गौर नहीं किया, जबकि हम बैक्टीरिया को माइक्रोस्कोप में 340 वर्षों से देखते आ रहे हैं."
यह अध्ययन ई-पत्रिका ‘ई लाइफ‘ में प्रकाशित किया गया है.