रिंगिंग बेल्स ने सबसे सस्ता फोन ‘फ्रीडम 251’ देने के नाम पर न सिर्फ लाखों लोगों को बेवकूफ बनाया है. लेकिन अब इस कंपनी का सारा सच सरकार के सामने आ गया है.
संचार मंत्रालय के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी विभाग के संयुक्त सचिव राजीव बंसल के सामने रिंगिंग बेल्स के कई बड़े अफसरों ने कंपनी के भावी कारोबारी ‘प्लान’ को पेश किया. इस प्लान से साफ था कि कंपनी की मंशा शुरू से ही लोगों को धोखा देने की थी.
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, रिंगिंग बेल्स की तरफ से पेश प्लान किसी भी तरीके से एक गंभीर कंपनी का काम नहीं लगता. सबसे पहले तो कंपनी ने यह स्वीकार किया कि उसने अपने उत्पाद के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) की जरुरी अनुमति भी नहीं ली है. इसके अभाव में कंपनी ने किस तरह से लोगों को न सिर्फ फोन बेचने का वादा किया है, बल्कि बड़े पैमाने पर बुकिंग की और विज्ञापन भी दिए. इसकी आगे की जांच भी जल्द पूरी हो जाएगी.
इसके बाद कंपनी ने यह भी स्वीकार किया कि वह फिलहाल भारत में इस फोन को बनाने नहीं जा रही है. कंपनी की योजना पहले 50 लाख फोन आयात करने की है. उसके बाद फोन का निर्माण करेगी.
कंपनी के विज्ञापन लगातार यह दावा करते रहे हैं ‘फ्रीडम 251’ भारत निर्मित मोबाइल फोन है. कंपनी की तरफ से जो आमंत्रण पत्र भेजे गए थे, उसमें भी इस बात का जिक्र था.
सरकारी अधिकारियों ने जब यह पूछा कि फोन की इतनी सस्ती कीमत कैसे रखी गई है, तो रिंगिंग बेल्स ने बताया कि उसके कई कंपनियों के साथ कॉमर्शियल समझौते हो चुके हैं. इसके तहत तमाम कंपनियों को अपने उत्पाद इस फोन के जरिये बेचने की अनुमति होगी. इससे कंपनी को राजस्व हासिल होगा, जिससे वह फोन की कीमत कम रखने में सफल होगी.
कंपनी ने यह भी बताया है कि उसे 30 हजार ग्राहकों से बुकिंग कीमत प्राप्त हुई है. इस राशि को एक अलग खाते में जमा किया गया है. लेकिन इन बातों में कितनी सच्चाई है अब इस पर संदेह होने लगा है. मंत्रालय द्वारा जल्द ही इसकी पूरी सच्चाई पता लगा ली जाएगी.