होटों के निशान यानी लिप प्रिंट से पकड़े जाएंगे अपराधी
फिल्मों में आपने देखा ही होगा, लिपस्टिक का दाग कैसे पति को पत्नी के सामने मुजरिम बना देता है. लेकिन अब यही दाग अपराधियों को पकड़ने में सहायता करेगा. जी हाँ, फिंगर प्रिंट के बाद लीप प्रिंट कानून की मदद करेंगे. देश में अभी तक फिंगर प्रिंट की सहायता से ही अपराधियों को पकड़ने का […]
फिल्मों में आपने देखा ही होगा, लिपस्टिक का दाग कैसे पति को पत्नी के सामने मुजरिम बना देता है. लेकिन अब यही दाग अपराधियों को पकड़ने में सहायता करेगा. जी हाँ, फिंगर प्रिंट के बाद लीप प्रिंट कानून की मदद करेंगे.
देश में अभी तक फिंगर प्रिंट की सहायता से ही अपराधियों को पकड़ने का तरीका प्रचलन में है, लेकिन जल्द ही पुलिस होठों के निशान से भी अपराधियों तक पहुंचेगी.
विदेश में इस तकनीक के लिए केमिकल का उपयोग होता है, लेकिन ईजाद की गई नई और सस्ती खोज में केमिकल की बजाय सिंदूर, नील एवं हल्दी का प्रयोग किया जाएगा.
यह तकनीक निर्भया कांड खुलासे में भी प्रयोग हुई थी. दिल्ली के निर्भया कांड में आरोपी ने पीड़िता के शरीर को दांतों से काट लिया था. काटने वाले आरोपी की शिनाख्त करने के लिए दिल्ली पुलिस ने नमूने को कर्नाटक प्रयोगशाला भेजा था. तब लिप प्रिंट्स के लिए केमिकल का प्रयोग किया गया था.
यह खोज ओरल पैथोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. नरेंद्रनाथ सिंह ने की है. लम्बे समय से चले आ रहे इस अनुसंधान के बाद अमेरिका के अटलांटा में फोरेंसिक व टेक्नालॉजी के अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में इस खोज को मान्यता मिली है. डॉ. नरेंद्रनाथ सिंह ने इसको पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया है.
मुरादाबाद में कोठीवाल डेंटल कॉलेज में ओरल पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और फॉरेंसिक ऑडोंटोलॉजी के विभागाध्यक्ष और पीजी गाइड विभागाध्यक्ष डॉ. नरेंद्र मूलरूप से देवघर झारखंड निवासी हैं. अमेरिका के अटलांटा में चौथे अंतरराष्ट्रीय फॉरेंसिक रिसर्च और टेक्नोलॉजी के सेमिनार में उन्हें बुलाया गया था.
विश्वविद्यालयों से जुड़े विशेषज्ञ भी इसमें जुटे थे. डॉ. नरेंद्रनाथ की इस नई खोज के अनुसार इसमें अपराधियों के होठों का नमूना लिया जाता है, जिस तरह से व्यक्ति की अंगुलियों का निशान अलग होता है, वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति के होठों का शेप भी अलग होता है.
डॉ. नरेंद्र के अनुसार, लिप प्रिंट्स तकनीकी खोज का विदेशों में खूब प्रयोग हो रहा है. लाइसोक्रोम नामक केमिकल से होठों के निशानों को उभारा जाता है. पांच ग्राम केमिकल की कीमत तीन हजार रुपये है,जो कि काफी खर्चीला है, लेकिन उनकी इस खोज में जांच के लिए सिंदूर, नील और हल्दी पाउडर उपयोग होगा, जो केमिकल की तुलना में बहुत सस्ता है और नतीजे अधिक बेहतर हैं.
यह शोध फॉरेंसिक जर्नल में प्रकाशित हुआ है.