अद्भुत है यहाँ लोगों का विश्वास, करते हैं चमगादड़ों की पूजा

चमगादड़ों का नाम सुन कर यदि आप डर जाते हैं तो जरा इस लेख पर भी नज़र डाले, शायद आपका डर आस्था में बदल जाए! चमगादड़ों को आपने चिल्लाते, उल्टा लटके देखा ही होगा, लेकिन क्या कभी ऐसा सुना है कि इनकी पूजा भी की जाती है. जी हाँ, बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2016 5:44 PM

चमगादड़ों का नाम सुन कर यदि आप डर जाते हैं तो जरा इस लेख पर भी नज़र डाले, शायद आपका डर आस्था में बदल जाए!

चमगादड़ों को आपने चिल्लाते, उल्टा लटके देखा ही होगा, लेकिन क्या कभी ऐसा सुना है कि इनकी पूजा भी की जाती है. जी हाँ, बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई (रामपुर रत्नाकर) गांव में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं.

इन चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. यहां लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं.

सरसई गांव के लोगों का मानना है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती. ये चमगादड़ यहां कब से हैं, इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है.

यहाँ गांव के एक प्राचीन तालाब (सरोवर) के पास लगे पीपल, सेमर तथा बथुआ के पेड़ों पर ये चमगादड़ बसेरा बना चुके हैं. इस तालाब का निर्माण तिरहुत के राजा शिव सिंह ने वर्ष 1402 में करवाया था. करीब 50 एकड़ में फैले इस भूभाग में कई मंदिर भी स्थापित हैं.

गाँव के लोगों के अनुसार, रात में गांव के बाहर किसी भी व्यक्ति के तालाब के पास जाने के बाद ये चमगादड़ चिल्लाने लगते हैं, जबकि गांव का कोई भी व्यक्ति के जाने के बाद चमगादड़ कुछ नहीं करते. यहां कुछ चमगादड़ों का वजन पांच किलोग्राम तक है.

सरसई के पीपलों के पेड़ों पर अपना बसेरा बना चुके इन चमगादड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है. गांव के लोग न केवल इनकी पूजा करते हैं, बल्कि इन चमगादड़ों की सुरक्षा भी करते हैं. यहां के ग्रामीणों का शुभ कार्य इन चमगादड़ों की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता.

ऐसा सुनने में भी आया कि मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी, जिस कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी. इसी दौरान बड़ी संख्या में यहां चमगादड़ आए और फिर ये यहीं के होकर रह गए. इसके बाद से यहां किसी प्रकार की महामारी कभी नहीं आई.

स्थानीय आऱ एन. कॉलेज के प्रोफेसर एस़ पी़ श्रीवास्तव का कहना है कि चमगादड़ों के शरीर से जो गंध निकलती है, वह उन विषाणुओं को नष्ट कर देती है जो मनुष्य के शरीर के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं.

यहां के ग्रामीण इस बात से खफा हैं कि चमगादड़ों को देखने के लिए यहां सैकड़ों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

गाँव में बड़ी संख्या में चमगादड़ों का वास न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि मनमोहक भी है, लेकिन यहां साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण की जरूरत है.

Next Article

Exit mobile version