अगर आपकों है आरामतलब जिंदगी का शौक तो जल्द हो जायेंगे बूढ़े
लास ऐंजिलिस : अधेड़ उम्र की महिलाओं को अगर आराम तलबी पसंद है तो उन्हें सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि ऐसी महिलाओं को बुढापा बहुत तेजी से अपनी चपेट में लेता है. ऐसी महिलाएं जो दिन में दस घंटे से अधिक समय तक कम शारीरिक मेहनत वाला कामकाज करती हैं उनकी कोशिकाएं जैविक रुप से […]
लास ऐंजिलिस : अधेड़ उम्र की महिलाओं को अगर आराम तलबी पसंद है तो उन्हें सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि ऐसी महिलाओं को बुढापा बहुत तेजी से अपनी चपेट में लेता है. ऐसी महिलाएं जो दिन में दस घंटे से अधिक समय तक कम शारीरिक मेहनत वाला कामकाज करती हैं उनकी कोशिकाएं जैविक रुप से आठ साल अधिक बूढ़ी हो जाती हैं. अमेरिका में यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया के सेन डियागो स्कूल आफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने अपने एक शोध में पाया कि ऐसी महिलाएं जो प्रति दिन 40 मिनट से कम समय तक हल्की से भारी शारीरिक मेहनत का काम करती हैं उनके शरीर में टेलोमीरिज छोटे होते हैं.
टेलोमीरिज गुणसूत्रों को विनष्ट होने से बचाने वाले डीएनए स्ट्रेंड्स के अंतिम हिस्सों पर लगे छोटे छोटे कैप होते हैं. और उम्र बढने के साथ ये तेजी से और छोटे होते जाते हैं. जैसे जैसे उम्र बढती जाती है ये टेलोमीरिज प्राकृतिक रुप से छोटे और नाजुक होते जाते हैं लेकिन स्वास्थ्य और जीवनशैली जैसे कि मोटापा तथा धूम्रपान से यह प्रक्रिया और तेज हो जाती है. टेलोमीरिज के छोटे होने का संबंध हृद्य संबंधी बीमारियों और कई प्रकार के प्रमुख कैंसरों से होता है. यूसी सेन डियागो की शोध टीम के प्रमुख लेखक अलादीन शादाब कहते हैं , ‘‘ हमारे शोध में यह पता चला है कि अगर आरामतलब जीवनशैली है तो कोशिकाएं तेजी से बूढी होती हैं. वास्तविक उम्र हमेशा जैविक उम्र के बराबर नहीं होती है.” शोधकर्ताओं का मानना है कि उन्होंने पहली बार इस बात का पता लगाया है कि किस प्रकार आरामतलब जीवनशैली और कसरत मिलकर बढती उम्र को प्रभावित कर सकते हैं.
इस शोध में 64 से 95 साल की उम्र की करीब 1500 महिलाओं ने भाग लिया. शादाब ने बताया, ‘‘ हमने पाया कि जो महिलाएं अधिक समय तक बैठी रहती हैं लेकिन यदि वे प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट तक कसरत करती हैं तो उनके टेलोमीरिज छोटे नहीं पाए गए. ” वह कहते हैं, ‘‘ कसरत के फायदों के बारे में उसी समय बताया जाना चाहिए जब हम युवा होते हैं और शारीरिक गतिविधियां हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होनी चाहिए , यहां तक कि 80 साल की उम्र में भी.”