Akshaya Tritiya 2023 Date Shubh Muhurat: कब है अक्षय तृतीया ? सोना खरीदने का सबसे शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

Akshaya Tritiya 2023 Date Shubh Muhurat: अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का भी विशेष महत्व है. अक्षय शब्द का अर्थ है कभी कम न होने वाला. इसलिए इस दिन कोई भी जप, यज्ञ, दान-पुण्य करने का फल कम नहीं होता, व्यक्ति के पास सदैव बना रहता है. अक्षय तृतीया 2023 कब है? सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त क्या है?

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2023 2:11 PM

Akshaya Tritiya 2023 Kab Hai Date Time Shubh Muhurat Gold Purchase Shubh Muhurat: अक्षय तृतीया 2023 शनिवार, 22 अप्रैल, 2023 को है. अक्षय तृतीया को अकती या अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है. यह हिंदुओं और जैनियों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्राचीन त्योहार है. हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. अक्षय शब्द का अर्थ है कभी कम न होने वाला. इसलिए इस दिन कोई भी जप, यज्ञ, पितृ-तर्पण, दान-पुण्य करने का फल कभी कम नहीं होता और व्यक्ति के पास सदैव बना रहता है. साथ ही अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का भी विशेष महत्व है.

अक्षय तृतीया 2023 तिथि और समय (Akshaya Tritiya 2023 Date and Time)

अक्षय तृतीया 2023 तिथि और समय

अक्षय तृतीया तिथि शनिवार, अप्रैल 22, 2023

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त 07:49 सुबह से 12:20 दोपहर, 22 अप्रैल 2023

अक्षय तृतीया तिथि प्रारंभ

22 अप्रैल 2023 को प्रातः 07:49 बजे

अक्षय तृतीया तिथि समाप्त

23 अप्रैल 2023 को प्रातः 07:47 बजे

अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त ((Akshaya Tritiya Shubh Muhurat)

अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी की तारीख- शनिवार, 22 अप्रैल, 2023

अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी का समय – 07:49 सुबह से 12:20 दोपहर, 22 अप्रैल, 2023

दिल्ली समेत विभिन्न शहरों में अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya Shubh Muhurat To Buy Gold)

नई दिल्ली- सुबह 07:49 से दोपहर 12:20

नोएडा- 07:49 सुबह से 12:19 दोपहर

गुड़गांव- 07:49 सुबह से 12:21 दोपहर

चंडीगढ़- 07:49 सुबह से 12:22 दोपहर

जयपुर- 07:49 सुबह से 12:26 दोपहर

अहमदाबाद- 07:49 सुबह से 12:38 दोपहर

मुंबई- 07:49 सुबह से 12:37 दोपहर

पुणे- 07:49 सुबह से 12:33 दोपहर

बेंगलुरु- सुबह 07:49 से दोपहर 12:18 बजे

हैदराबाद- 07:49 सुबह से 12:15 दोपहर

चेन्नई- 07:49 सुबह से 12:08 दोपहर

कोलकाता- प्रातः 05:10 से 07:47 सुबह तक, 23 अप्रैल

अक्षय तृतीया का महत्व (Akshaya Tritiya Significance)

सौभाग्य और सफलता लाने के लिए लोग अक्षय तृतीया का त्योहार मनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से भविष्य में समृद्धि और अधिक धन की प्राप्ति होती है. अक्षय शब्द का अर्थ है कभी कम न होने वाला. इसलिए, यह माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी कम नहीं होगा और बढ़ता रहेगा. अक्षय तृतीया के दिन, भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं जो हिंदू त्रिमूर्ति में संरक्षक भगवान हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेता युग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन हुई थी. वैदिक ज्योतिषी भी अक्षय तृतीया को सभी हानिकारक प्रभावों से मुक्त एक शुभ दिन मानते हैं.

अक्षय तृतीया के दिन कर सकते हैं ये शुभ काम (Akshaya Tritiya auspicious work)

अक्षय तृतीया के दिन को नए बिजनेस, विवाह, महंगे निवेश जैसे सोने या अन्य संपत्ति में, और कोई नई शुरुआत करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने जीवन में सु-समृद्धि की कामना के साथ प्रार्थना करती हैं. पूजा के बाद अंकुरित चने, ताजे फल और मिठाई बांटे जाते हैं. यदि अक्षय तृतीया सोमवार (रोहिणी) को पड़ती है, तो त्योहार और भी शुभ माना जाता है. इस दिन उपवास, दान और दूसरों की मदद करने की भी प्रथा है.

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जैन परंपरा में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya in Jain tradition)

जैन धर्म में, अक्षय तृतीया के दिन पहले तीर्थंकर (भगवान ऋषभदेव) ने गन्ने के रस का सेवन करके अपने एक साल के तप को समाप्त कया था. उपवास और तपस्या जैनियों द्वारा चिह्नित की जाती है, विशेष रूप से पालिताना (गुजरात) जैसे तीर्थ स्थलों पर. इस दिन जो लोग उपवास करते हैं, जिसे वर्षी-तप के रूप में जाना जाता है, गन्ने का रस पीकर पारण करके अपनी तपस्या समाप्त करते हैं.

अक्षय तृतीया कथा (Akshaya Tritiya Katha)

अक्षय तृतीया से संबंधित एक पौराणिक कथा में द्रौपदी, भगवान श्री कृष्ण और ऋषि दुर्वासा का उल्लेख मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि अपने निर्वासन के दौरान, राजसी पांडव भोजन की कमी के कारण भूखे थे और उनकी पत्नी द्रौपदी अपने कई संत मेहमानों के लिए प्रथागत आतिथ्य के लिए भोजन की कमी का सामना कर रहीं थीं. पांच पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने भगवान सूर्य की तपस्या की, जिन्होंने उन्हें एक कटोरा दिया. वरदान दिया था कि यह कटोरा द्रौपदी के भोजन करने तक भरा रहेगा. ऋषि दुर्वासा की यात्रा के दौरान, भगवान कृष्ण ने पांच पांडवों की पत्नी द्रौपदी के लिए इस कटोरे को अजेय बनाया, ताकि अक्षय पत्रम नामक जादुई कटोरा हमेशा उनकी पसंद के भोजन से भरा रहे, यहां तक कि उससे पूरे ब्रह्मांड को तृप्त किया जा सकता था. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, वेद व्यास ने अक्षय तृतीया पर गणेश को हिंदू महाकाव्य महाभारत का पाठ करना शुरू किया. एक अन्य कथा में कहा गया है कि इस दिन गंगा नदी पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. यह भी माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा ने इसी दिन द्वारका में उनसे मुलाकात की थी और उन्हें असीमित धन की प्राप्ति हुई थी. साथ ही, यह भी माना जाता है कि इस शुभ दिन पर कुबेर को ‘धन के देवता’ के रूप में अपना धन और पद प्राप्त हुआ था. अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में भगवान परशुराम का जन्मदिन माना जाता है जो विष्णु के छठे अवतार हैं और वे वैष्णव मंदिरों में पूजनीय हैं. इसलिए इस त्योहार को परशुराम जयंती भी कहा जाता है.

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