Ank Jyotish, Kundali Gun Milan: मेलापक विचार में छिपा है सुखद दांपत्य का राज
Ank Jyotish, Kundali Gun Milan: अंकों द्वारा मेलापक विचार करने के लिए सर्वप्रथम लग्नांक ज्ञात करना होगा. लग्नांक वह अंक है, जो मानव मस्तिष्क एवं उसकी चारित्रिक विशेषताओं को प्रभावित करता है. लग्नांक बारह होते हैं और प्रत्येक लग्नांक एक राशि का स्वामी होता है.
अंक ज्योतिष में वर-वधू मेलापक विचार के अंतर्गत अंकों के द्वारा यह विचार किया जाता है कि अमुक लड़के का विवाह अमुक लड़की से या अमुक लड़की का विवाह अमुक लड़के से होना उचित होगा या नहीं.
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इस विषय पर पाश्चात्य और प्राच्य मनीषियों ने गहन अध्ययन किया है. पाश्चात्य ज्योतिर्विदों ने सूर्य की स्थिति को आधार मानकर मेलापक विचार किया है, जबकि प्राच्य मनीषियों ने चंद्रमा और जन्म नक्षत्र को महत्व देकर वर-वधू के गुणों नाड़ी, गण, योनि, वर्ण, वश्य, राशि मैत्री और वर्ग) को मिलाकर मेलापक विचार करने का प्रचलित सिद्धांत दिया है.
विवाह संस्कार द्वारा गृहस्थ धर्म निभाना पड़ता है. यदि वर-वधू के स्वभाव, गुण, कर्म तथा चरित्र में एकरूपता न हो, तो विपुल ऐश्वर्य और सुख-सुविधा के साधन होने पर भी उनके बीच में वैचारिक समानता कदापि नहीं होगी और फलस्वरूप उनका वैवाहिक जीवन नीरस, कटु, पीड़ा कारक एवं प्रेम विहीन बन जायेगा. जिन तथ्यों का भान हम अनेक वर्षों के बाद कर पाते हैं, उनका विश्लेषण अंक ज्योतिष के उपयोग से सरलता से किया जा सकता है. पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं, विवाह-संस्कार इसी पूर्णता को बरकरार रखने के लिए किया जाता है. विवाह से वंश वृद्धि के साथ-साथ काम, धर्म, अर्थ व मोक्ष आदि की ओर व्यक्ति प्रवृत्त होता है. इसलिए ऐसे महत्वपूर्ण संबंध करते समय विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. योग्य जीवनसाथी के चयन में अंक-ज्योतिष से अधिक सच्चा और सहायक और कोई नहीं हो सकता.
कैसे होता है मेलापक विचार
अंकों द्वारा मेलापक विचार करने के लिए सर्वप्रथम लग्नांक ज्ञात करना होगा. लग्नांक वह अंक है, जो मानव मस्तिष्क एवं उसकी चारित्रिक विशेषताओं को प्रभावित करता है. लग्नांक बारह होते हैं और प्रत्येक लग्नांक एक राशि का स्वामी होता है. लग्नांक दो प्रकार के होते हैं- शुभ और अशुभ. लग्नांक चक्र में शुभ के लिए (+) और अशुभ के लिए (–) चिह्न का प्रयोग किया जाता है. कुल लग्नाकं 12 होते हैं, जैसे-
1. 13 अप्रैल से 12 मई तक जन्म लेने वालों का लग्नांक ( 9 +), राशि मेष, अधिपतिग्रह मंगल, अग्नि तत्व, दिशा पूर्व होती है.
2. 13 मई से 14 जून तक मास अवधि में जन्म लेने वालों का लग्नांक (6+), ऱाशि वृष, ग्रह शुक्र, पृथ्वी तत्व, दिशा दक्षिण होती है.
3. 15 जून से 15 जुलाई तक जन्म लेने वालों का लग्नांक (5 +), राशि मिथुन, अधिपति ग्रह बुध, वायु तत्व, दिशा पश्चिम होती है.
4. 16 जुलाई से 16 अगस्त तक जन्म लेने वालों का लग्नांक (2+,7+), राशि कर्क, अधिपति ग्रह चंद्रमा, जल तत्व, दिशा उत्तर होती है.
5. 17 अगस्त से 16 सितंबर तक जन्म लेने वालों का लग्नांक (1+,4+), राशि सिंह, अधिपति ग्रह सूर्य, अग्नि तत्व, दिशा पूर्व होती है.
6. 17 सितंबर से 16 अक्तूबर तक की अवधि में जन्म लेने वालों का लग्नांक (-5), राशि कन्या, अधिपति ग्रह बुध, पृथ्वी तत्व, दिशा दक्षिण होती है.
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7. 17 अक्तूबर से 13 नवंबर तक की अवधि में जन्म लेने वालों का लग्नाकं (-6), राशि तुला, अधिपति ग्रह शुक्र, वायु तत्व, दिशा पश्चिम होती है.
8. 14 नवंबर से 14 दिसंबर तक की अवधि में जन्म लेने वालों का लग्नांक (-9), राशि वृश्चिक, अधिपति ग्रह मंगल, जल तत्व, दिशा उत्तर होती है.
9. 15 दिसंबर से 13 जनवरी तक की अवधि में जन्म लेने वालों का लग्नांक (+3), राशि धनु, अधिपति ग्रह बृहस्पति, अग्नि तत्व, दिशा पूर्व होती है.
10. 14 जनवरी से 13 फरवरी तक की अवधि में जन्म लेने वालों का लग्नांक (+8), राशि मकर, अधिपति ग्रह शनि, पृथ्वी तत्व, दिशा दक्षिण होती है.
11. 14 फरवरी से 13 मार्च तक की अवधि में जन्म लेने वालों का लग्नांक (-8), ऱाशि कुंभ, अधिपति ग्रह शनि, वायु तत्व, दिशा पश्चिम होती है.
12. 14 मार्च से 12 अप्रैल तक जन्म लेने वालों का लग्नांक (-3), राशि मीन, अधिपति ग्रह गुरु, जल तत्व, दिशा उत्तर होती है.
मेलापक विचार करने के लिए लड़का-लड़की का लग्नांक ज्ञात करने के बाद दोनों की राशि तथा उनके नामांक का अध्ययन किया जाता है. दोनों की राशि का स्वामी कौन है तथा राशि किस तत्व से प्रभावित है, ये जानना भी जरूरी है.
राशियां बारह हैं, जबकि उनको प्रभावित करने वाले तत्व 4 हैं- अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल. प्रत्येक तत्व के अंतर्गत तीन-तीन राशियां आती हैं, जैसे- अग्नि तत्व में-मेष, सिंह और धनु राशि, पृथ्वी तत्व में वृष, कन्या और मकर राशि, वायु तत्व में मिथुन, तुला और कुंभ राशि तथा जल तत्व में कर्क, वृश्चिक और मीन राशि होते हैं.
अधिमित्र व शत्रु तत्व की राशियों की पहचान
स्वभाव से पृथ्वी और जल तत्व वाली राशियां परस्पर मित्र होती हैं. वायु और अग्नि तत्व वाली राशियां परस्पर मित्र होती हैं. अग्नि और पृथ्वी तत्व वाली राशियां भी परस्पर शुभ होने के कारण मित्र हैं. वायु और जल तत्व वाली राशियां मित्र होती हैं. मगर अग्नि और जल तत्व वाली राशियां परस्पर शत्रु होती हैं. पृथ्वी और वायु तत्व वाली राशियां परस्पर शत्रु होती है. इन्हीं तथ्यों के आधार पर अग्नि तत्व की अधिमित्र वायु, मित्र पृथ्वी और शत्रु जल होता है. पृथ्वी तत्व की अधिमित्र जल, मित्र अग्नि, तथा शत्रु वायु होता है. वायु तत्व की अधिमित्र अग्नि, मित्र जल, शत्रु पृथ्वी होता है. जल तत्व के अधिमित्र पृथ्वी, मित्र वायु तथा शत्रु अग्नि होता है.
उपरोक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि अधिमित्र तत्वों वाली और स्व तत्वों वाली राशियों में परस्पर वैवाहिक संबंध शुभ, सफल एवं सुख-समृद्धि कारक है. जबकि इसके विपरीत शत्रु तत्व वाली राशियों से वैवाहिक संबंध अशुभ, असफल एवं दुखदायी होता है.
डॉ एनके बेरा, ज्योतिषाचार्य
n.k.bera18@gmail.com