क्या आप Emotionally Smart हैं ? अगर नहीं, तो ये बातें आपकी कर सकती है मदद, जानें क्या है वो
इमोशनल स्मार्टनेस में व्यक्ति अपने स्वयं के साथ संवाद करने की शक्ति विकसित करता है, अपने भावनाओं को समझता है, अपने विचारों को नियंत्रित करता है, और दूसरों की भावनाओं को समझने और समर्थन करने में सक्षम होता है. इससे व्यक्ति का सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन सुखद बनता है
इमोशनल स्मार्टनेस एक शक्तिशाली और प्रभावी व्यक्तिगत सूचकांक है जो व्यक्ति की भावनाओं, अनुभवों और भावुकता को समझने और इसके प्रभाव को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने की क्षमता है. इमोशनल स्मार्टनेस में व्यक्ति अपने स्वयं के साथ संवाद करने की शक्ति विकसित करता है, अपने भावनाओं को समझता है, अपने विचारों को नियंत्रित करता है, और दूसरों की भावनाओं को समझने और समर्थन करने में सक्षम होता है. इससे व्यक्ति का सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन सुखद बनता है और वह सफलता के मार्ग में आगे बढ़ता है. यह न केवल व्यक्ति के भावनात्मक और सामाजिक समृद्धि में मदद करता है, बल्कि उसके संबंधों, करियर, और समूह में भी सफलता को बढ़ाता है.
इमोशनल स्मारटनेस क्यों है जरूरी
स्वयं-प्रतिभा के विकास: इमोशनल स्मार्टनेस व्यक्ति को अपने स्वयं के अंदर के भावनाओं और भावों को समझने की क्षमता प्रदान करता है. इससे व्यक्ति अपने सकारात्मक और नकारात्मक विचारों को पहचानता है और नियंत्रित कर सकता है, जिससे उसकी स्वयं-प्रतिभा विकसित होती है. स्वयं-प्रतिभा विकसित होने से व्यक्ति अपने अधिकारों को पहचानता है और अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ता है.
संबंधों में सकारात्मकता: इमोशनल स्मार्टनेस से व्यक्ति को अपने संबंधों में सकारात्मकता और समझदारी भावना होती है. यह उसको दूसरों की भावनाओं को समझने में मदद करता है और संबंधों को स्थायी और समर्थनपूर्ण बनाता है. इससे व्यक्ति सम्बंधों को ध्यान में रखकर उन्हें संवार्धन करता है और उसके लिए समर्थन का स्रोत बनता है.
तनाव कम करने में सहायक: इमोशनल स्मार्टनेस व्यक्ति को तनाव को कम करने में सहायक होता है. जब व्यक्ति अपने भावनाओं और स्तरों को समझता है, तो उसे उन्हें नियंत्रित करने की क्षमता होती है जिससे वह तनाव से दूर रहता है और अपने दैनिक जीवन में समृद्धि और शांति अनुभव करता है.
समस्या का समाधान: इमोशनल स्मार्टनेस से व्यक्ति को समस्याओं का समाधान निकालने में मदद मिलती है. जब व्यक्ति अपने स्वयं के साथ संवाद करता है और अपने भावनाओं को समझता है, तो वह समस्याओं के लिए सही समाधान निकालने में सक्षम होता है. इससे व्यक्ति अपने जीवन के चुनौतियों का सामना कर सकता है और उसे पार करने का सामर्थ्य प्राप्त होता है.
सकारात्मक और सतर्क नेतृत्व: इमोशनल स्मार्टनेस से व्यक्ति के नेतृत्व क्षमता में सुधार होता है. व्यक्ति अपने स्वयं को सकारात्मकता से भर देता है और अपने संबंधों को समझदारी और संवेदनशीलता से नेतृत्व करता है. यह उसे समर्थनपूर्ण और प्रभावशाली नेतृत्व के लिए तैयार करता है, जिससे वह अपने द्वारा प्रभावित करने में सफल होता है और सकारात्मक परिवर्तन का नेतृत्व करता है.
व्यक्तिगत और समाजिक सफलता: इमोशनल स्मार्टनेस व्यक्ति की व्यक्तिगत और समाजिक सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इससे व्यक्ति सकारात्मक और स्तरीय भावनाओं के साथ अपने जीवन में सफलता का अनुभव करता है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए योगदान देता है.
इमोशनली स्मार्ट बनने के लिए कुछ आसान और प्रभावी कदम अपनाए जा सकते हैं जो आपको अपने भावनाओं, विचारों, और संबंधों को समझने और प्रबंधित करने में मदद करेंगे. इमोशनल स्मार्टनेस का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है और समय, समर्थन और प्रयास की आवश्यकता होती है. इमोशनली स्मार्ट बनने के लिये इन बातों का रखें ध्यान-
मन को काबू में रखना सीखेंः दिमाग इंसान का सबसे शक्तिशाली हथियार है. अगर आप इसका सही से इस्तमाल करना सीख जायेंगे तो काई भी आपको नहीं झुका सकता. आपको ऐसे लोगों से हमेशा सावधान रहने की जरूरत है जो आपकी मदद के बहाने आपको दूसरों के खिलाफ भड़काते हैं. किसी की भी बातों पर आंखें बंद करके भरोसा करने की बजाय खुद सोच-विचार करें और फैसला लें.
स्व-जानकारी: अपने भावनाओं, विचारों, और क्रियाओं को समझने के लिए अपनी स्व-जानकारी विकसित करें. दैनिक ध्यान व समय निकालकर अपने अंदर के भावों को जांचें और उन्हें समझें. ध्यान देने की भावना विकसित करने से आप अपने स्वयं के विचारों और भावनाओं को पहचान सकते हैं जिससे आपको अपने प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद मिलेगी.
स्व-नियंत्रण: अपने भावनाओं को संभालने और विचारों को नियंत्रित करने के लिए स्व-नियंत्रण कौशल को सीखें. आप योग और ध्यान के माध्यम से अपने मन को शांत करने और तनाव को कम करने में मदद ले सकते हैं. अपने स्व-नियंत्रण कौशल को विकसित करने से आप अपने जीवन के अधिकांश पहलुओं को सकारात्मक बना सकते हैं.
समझदारी की भावना: दूसरों की भावनाओं को समझने के लिए आपको खुद में समझदारी भावना विकसित करनी होगी. दूसरों के साथ बात करने, उनके संवेदनशीलता और समस्याओं को समझने में अपना समय निकालें. यह आपको अपने आस-पास के समाज में अधिक विनम्र और सहयोगी बनाएगा.
प्रैक्टिस करते रहें: इमोशनल स्मार्टनेस में निपुणता प्राप्त करने के लिये आपको नियमित अभ्यास करने की जरूरत है. अपने दैनिक जीवन में अपने संबंधों को समझें और सकारात्मक बनाए रखने का प्रयास करें. जैसे-जैसे आप इन चीजों का अभ्यास करते जायेंगे, आप इमोशनली स्मार्ट होते जायेंगे.
इमोशनली स्मार्ट बनने के लिए समय, समर्थन और प्रयास की आवश्यकता होती है. इसका विकास एक निरंतर प्रक्रिया है जो स्वसंवेदनशीलता, संवेदनशीलता, और सकारात्मकता के साथ व्यक्ति को एक बेहतर और समृद्ध जीवन की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है.