सशस्त्र सेना झंडा दिवस हर साल 7 दिसंबर को शहीदों और भारत की सेवा करने वाले वर्दी में पुरुषों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है. नागरिकों से आग्रह किया जाता है कि वे सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में कर्मियों और पूर्व सैनिकों, उनके परिवार के सदस्यों के कल्याण के लिए और युद्ध में घायल हुए लोगों के पुनर्वास के लिए स्वैच्छिक योगदान दें.
सशस्त्र सेना झंडा दिवस 2021: इतिहास
भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में 28 अगस्त 1949 को एक समिति का गठन किया गया था. समिति ने हर साल 7 दिसंबर को झंडा दिवस मनाने का फैसला किया. यह दिन मुख्य रूप से लोगों को झंडे बांटने और उनसे धन इकट्ठा करने के लिए मनाया जाता है. देश भर में लोग धन के बदले में तीन सेवाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग में छोटे झंडे और कार के झंडे वितरित करते हैं.
07 दिसंबर, 1949 से शुरू हुआ यह सफर आज तक जारी है. आजादी के तुरंत बाद सरकार को लगने लगा कि सैनिकों के परिवार वालों की भी जरूरतों का ख्याल रखने की आवश्यकता है और इसलिए उसने 07 दिसंबर को झंडा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया. इसके पीछ सोच थी कि जनता में छोटे-छोटे झंडे बांट कर दान अर्जित किया जाएगा जिसका फायदा शहीद सैनिकों के आश्रितों को होगा. शुरूआत में इसे झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता था लेकिन 1993 से इसे सशस्त्र सेना झंडा दिवस का रूप दे दिया गया.
इस दिन को मनाने के लिए, भारतीय सशस्त्र बलों की सभी तीन शाखाएँ – भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय नौसेना – आम जनता को दिखाने के लिए विभिन्न प्रकार के शो, कार्निवल, नाटक और अन्य मनोरंजन कार्यक्रमों की व्यवस्था करती हैं. रेलवे स्टेशनों पर, स्कूलों में या अन्य स्थलों पर आज लोग आपको झंडे लिए मिल जाएंगे जिनसे आप चाहें तो झंडा खरीद इस नेक काम में अपना योगदान दे सकते हैं.
Posted By: Shaurya Punj