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कला: प्रकाश का साम्राज्य

प्रकाश का साम्राज्य' शीर्षक से बनाये गये इस चित्र में रेने मग्रीट ने एक ही चित्र में दिन और रात को दिखाने के लिए दोनों अर्थात कृत्रिम और प्राकृतिक प्रकाश को चित्रित किया है.

अशोक भौमिक, चित्रकार   

सदियों से चित्रकारों ने प्रकृति में प्रकाश की उपस्थिति और उसके प्रभावों को बहुत महत्व दिया. महान चित्रकार, चिंतक और वैज्ञानिक लिओनार्दो दा विन्ची (1452-1519) ने प्रकाश के प्रभाव को समझने की गंभीर कोशिश की. उन्होंने पाया कि प्रकाश के कारण ही कोई रंग गहरा या हल्का दिखता है. मसलन, धूप में बगीचे की जो घास हल्के हरे रंग की दिखती है, वही घास कम रौशनी में गहरी हरी दिखती है और रात के उजाले में यह लगभग काली नजर आती है. पाश्चात्य चित्रकला की तुलना में भारतीय चित्रकला में प्रकाश के प्रभावों को समझने का प्रयास नहीं हुआ, जिसके चलते हम भारतीय चित्रकला में प्रकृति और मानव आकृतियों को सपाट पाते हैं.

तीन से चार लाख वर्ष पूर्व मनुष्य ने आग का आविष्कार कर सूरज की रौशनी का विकल्प खोज लिया था. समय के साथ सूर्य के प्राकृतिक प्रकाश के समानांतर विविध कृत्रिम प्रकाश स्रोतों का आविष्कार होता रहा. विभिन्न समयों में बने चित्रों में ‘प्राकृतिक’ और ‘कृत्रिम’ दोनों प्रकाश के प्रभाव को हम देख सकते हैं. वास्तव में चित्र ही, मशाल और मोमबत्ती से लेकर गैस और बिजली के उपयोग से नये-नये प्रकाश स्रोतों के आविष्कारों को समझने का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं. पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी में बने चित्रों में हम मशाल की पीली रौशनी के असर को देख पाते हैं, जबकि उन्नीसवीं सदी के आरंभ से ही बिजली बल्बों के आविष्कार के बाद से चित्रों में प्रकाश की उपस्थिति में व्यापक परिवर्तन देखा गया. फोटोग्राफी के आविष्कार और विकास ने चित्रों व छायाचित्रों में प्रकाश के इस्तेमाल को एक नयी दिशा दी. कृत्रिम रौशनी के तमाम अभिनव प्रयोगों ने फिल्म निर्माण को एक सृजनशील कला माध्यम के रूप में स्थापित किया. लेकिन चित्रों में प्रायः एक किस्म की रौशनी ही देखी जाती रही है अर्थात चित्रों में या तो सूरज की रौशनी का असर था या किसी कृत्रिम रौशनी का. एक ही चित्र में एक साथ इन दोनों का प्रयोग नहीं दिखा.

चित्रकार रेने मग्रीट (1898-1967) को पश्चिम के अति-यथार्थवादी कला आंदोलन के प्रमुख चित्रकार के रूप में जाना जाता है. ‘प्रकाश का साम्राज्य’ शीर्षक से बनाये गये इस चित्र में रेने मग्रीट ने एक ही चित्र में दिन और रात को दिखाने के लिए दोनों अर्थात कृत्रिम और प्राकृतिक प्रकाश को चित्रित किया है. चित्र के ऊपरी हिस्से में, जहां नीले आसमान पर बादलों के थक्कों को देखा जा सकता है, सूरज के डूबने के बाद की रौशनी है. इस चित्र के निचले हिस्से में अंधेरा है. यहां दिन ढलने के बाद कम रौशनी में सभी पेड़ों का रंग गहरा हो चुका है. इस हिस्से में मकान के अंदर के कमरों में और मकान के अहाते में बिजली की रौशनी की मौजूदगी इस चित्र का एक महत्वपूर्ण पक्ष है क्योंकि यह आकाश पर फैले प्राकृतिक प्रकाश के साथ एक द्वंद्व रचती है. सरल से लगने वाले इस चित्र में चित्रकार ने रात और दिन के अंतर को दो भिन्न किस्म के प्रकाश स्रोतों के माध्यम से दिखाया है. कैनवास पर तेल रंग से बना यह चित्र अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित गुगेनहाइम कला संग्रहालय में प्रदर्शित है.

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