आज है पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती, जानें क्या है उनका सुशासन सिद्धांत
Atal Bihari Vajpayee Jayanti 2022,Sushashan Diwas 2022:आज यानी 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को सुशासन दिवस के रुप में मनाया जाता है.इस खास दिन पर वाजपेयी के सम्मान में वर्ष 2014 में सरकार में जवाबदेही के लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए सुशासन दिवस मनाने का फैसला किया गया था.
Atal Bihari Vajpayee Jayanti 2022: आज यानी 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार के आलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जन्म दिन है. इस खास दिन पर वाजपेयी के सम्मान में वर्ष 2014 में सरकार में जवाबदेही के लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए सुशासन दिवस मनाने का फैसला किया गया था. सुशासन दिवस को सरकार के लिए कार्य दिवस घोषित किया गया है.
आज ही के दिन मनाया जाता है
अटल बिहारी वाजपेयी ने देश को अपने व्यवहार और समावेशी नीति के जरिए ऐसे लोकतांत्रिक मानदंड स्थापित किए जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है. उनका सुशासन का सिद्धांत (Doctrine) भी प्रसिद्ध है. वाजपेयी जी के जन्मदिन को सुशासन दिवस दिवस (good Governance Day 2022) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मानना का उद्देश्य भारतवासियों को सरकार की लोगों के प्रति जिम्मेदारियों के लिए जागरूकता फैलाना है.
जानें अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में
भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार और लेखक की पहचान रखते थे. अटल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पले-बढ़े थे.
क्या है सुशासन
सुशासन का अर्थ लोगों को इस तरह से सेवा करना है, जिससे उनकी सभी अपेक्षाएं संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत पूरी करना है. इसका प्रमुख उद्देश्य सरकारी नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ साथ अटल जी की नीतियां, नेतृत्व और दिश निर्देशन आज भी सरकारों को आज की और भावी पीढ़ियों प्रेरणा और आदर्श की तरह काम करते हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री की उल्लेखनीय भूमिका पर प्रकाश डालना अनिवार्य
सुशासन भारत की प्राचीन संस्कृति और लोकाचार की विरासत है. बौद्ध धर्म के गण संघ के माध्यम से प्राप्त लोकतांत्रिक मूल्य, भगवान बसवेश्वर द्वारा स्थापित 11 वीं शताब्दी के अनुभव मंटप, चाणक्य के अर्थशास्त्र, सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान नागरिक नियोजन, मौर्य सम्राट अशोक की विरासत और विरासत में मिली बुद्धि है जो बेहतर शासन को सक्षम बनाती है. सुशासन दिवस पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती का प्रतीक है. स्वतंत्र भारत में उत्कृष्ट शासन उपायों को संस्थागत बनाने में पूर्व प्रधानमंत्री की उल्लेखनीय भूमिका पर प्रकाश डालना अनिवार्य है. स्वतंत्रता के बाद सुशासन शासन सुधारों का केंद्र बिंदु रहा है. योजना आयोग जैसी संस्थाओं द्वारा तैयार किए गए संविधान सभा की बहसों और नीति पत्रों में इसका उल्लेख किया गया था, लेकिन यह विचार कागजों तक ही सीमित रहा.