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‘वंदे मातरम्’ के रचयिता Bankim Chandra Chatterjee की जयंती आज, जानें उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें

Bankim Chandra Chatterjee Birth Anniversary 2023: राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनंदमठ में की थी. यह उपन्यास वर्ष 1882 में प्रकाशित हुआ. आज वन्देमातरम् गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती है. आइये, राष्ट्रीय गीत के रचयिता की जीवन यात्रा का परिचय पाते हैं.

Bankim Chandra Chatterjee Birth Anniversary 2023:  आज वन्देमातरम् गीत के रचयिता बंकिमचंद्र चटर्जी की जयंती है. अपने गीत से उन्होंने शस्यश्यामला भारत भूमि की अर्चना की. बंकिमचंद्र चटर्जी को प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार के रूप में जाना जाता है. उनका निधन 8 अप्रैल 1894 को हुआ था.   आइये, राष्ट्रीय गीत के रचयिता की जीवन यात्रा का परिचय पाते हैं.

अंग्रेजी भाषा को लेकर खत्म हुआ लगाव

बंकिम चंद्र ने हुगली के मोहसीन कॉलेज में दाखिला लिया. ऐसा माना जाता है कि एक बार उनके अंग्रेजी के टीचर ने उन्हें बुरी तरह से डांटा था.  इससे वह काफी आहत हुए थे. तब से अंग्रेजी भाषा के प्रति उनका लगाव खत्म हो गया. यहीं से उनकी अपनी मातृभाषा के प्रति रूचि बढ़ने लगी. और धीरे-धीरे वह शिखर पर पहुंच गए. उनका विवाह महज 11 साल की उम्र में हो गया था. कुछ साल में ही उनकी पहली पत्नी का स्वर्गवास हो गया. बाद में उन्होंने दूसरा विवाह किया था.

ये रचनाएं लिखीं

उन्होंने अपना पहला उपन्यास ‘रायमोहन्स वाईफ’ (अंग्रेजी में) लिखा था. साल 1865 में उनकी पहली बांग्ला कृति दुर्गेशनंदिनी प्रकाशित हुई थी. इसके अलावा उन्होंने कपालकुंडला, मृणालिनी, विषवृक्ष, रजनी, राजसिंह, देवी चौधुरानी आईं, सीताराम, कमला कांतेर दप्तर, कृष्ण कांतेर विल, विज्ञान रहस्य, लोकरहस्य और धर्मतत्व जैसी कई रचनाएं लिखीं.

आंदोलन में अपनी रचनाओं से भाग लिया

सरकारी नौकरी के चलते वह किसी सार्वजनिक आंदोलन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं ले पाते थे. इसका उन्हें काफी मलाल रहता था. बाद में उन्होंने साहित्य के जरिए स्वतंत्रता आंदोलन के लिए जागृति का संकल्प लिया. और इसी पर काम करना शुरू कर दिया.  

आनंदमठ से लिया गया वन्देमातरम् गीत

राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् की रचना बंकिमचंद्र चटर्जी ने अपने उपन्यास आनंदमठ में की थी. यह उपन्यास वर्ष 1882 में प्रकाशित हुआ. आनंदमठ में ईस्ट इंडिया कंपनी से वेतन के लिए लड़ने वाले भारतीय मुसलमानों और संन्यासी ब्राह्मण सेना का वर्णन किया गया है. वन्देमातरम् गीत इतना लोकप्रिय था कि, स्वयं गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसका संगीत तैयार किया. बंकिमचंद्र चटर्जी की रचनाओं के अनुवाद दुनिया की कई भाषाओं में हुए. उनकी कई रचनाओं पर फिल्में भी बनीं. शासकीय सेवा में रहते हुए भी, उन्होंने स्वातंत्र्य चेतना जागृत करने में, अपनी महती भूमिका निभाई. 08 अप्रैल वर्ष 1894 को बंकिमचंद्र चटर्जी का निधन हो गया.

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