Basant Panchami 2021, Saraswati Puja, LIVE: अब से कुछ देर में समाप्त हो जाएगा सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त, इस विधि से करें मां को प्रसन्न, जानें देश के किन स्थानों में मां का मंदिर

Basant Panchami 2021, Saraswati Puja 2021, Vasant Panchami, Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Samagri List, Importance, History, Precautions: दो खास संयोग के साथ बसंत पंचमी की शुरूआत हो चुकी है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 16 फरवरी को रवि योग और अमृत सिद्धि योग का विशेष संयोग के साथ सरस्वती पूजा 2021 मनाई जाएगी. मंगलवार की सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी जो बुधवार की सुबह 17 फरवरी को 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. आपको बता दें कि मंगलवार को 11.30-12.30 के बीच सरस्वती पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त है. ऐसे में आइए जानते हैं ज्ञान की देवी मां सरस्वती पूजा के श्रृंगार से लेकर, पूजा विधि, सामग्री सूची, सावधानियां व अन्य महत्वपूर्ण डिटेल्स...

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2021 11:57 AM
an image

मुख्य बातें

Basant Panchami 2021, Saraswati Puja 2021, Vasant Panchami, Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Samagri List, Importance, History, Precautions: दो खास संयोग के साथ बसंत पंचमी की शुरूआत हो चुकी है. हिंदू पंचांग के अनुसार, 16 फरवरी को रवि योग और अमृत सिद्धि योग का विशेष संयोग के साथ सरस्वती पूजा 2021 मनाई जाएगी. मंगलवार की सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी जो बुधवार की सुबह 17 फरवरी को 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. आपको बता दें कि मंगलवार को 11.30-12.30 के बीच सरस्वती पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त है. ऐसे में आइए जानते हैं ज्ञान की देवी मां सरस्वती पूजा के श्रृंगार से लेकर, पूजा विधि, सामग्री सूची, सावधानियां व अन्य महत्वपूर्ण डिटेल्स…

लाइव अपडेट

हरिद्वार में बसंत पंचमी के मौके पर पवित्र डुबकी

बसंत पंचमी पर आज सुबह उत्तराखंड के हरिद्वार में हर की पौड़ी घाट पर लोगों ने पवित्र डुबकी लगाकर स्नान किया. देखें तसवीरों में...

इन 16 स्टेप में विधि-विधान से करें सरस्वती पूजा..

  • ध्यान करें

पूजा की शुरुआत माता सरस्वती के ध्यान के साथ करें. सबसे पहले से मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते समय मंत्र का जाप करते रहें.

Ya Kundendu-Tushara-Hara-Dhavala,

Ya Shubhra-Vastravrita,

Ya Vina-Vara-Danda-Mandita-Kara,

Ya Shveta-Padmasana॥

Ya Brahmachyuta-Shankara-Prabhritibhir

Devaih Sada Vandita,

Sa Mam Patu Saraswati Bhagawati

Nihshesha-Jadyapaha॥

  • माता के विभिन्न स्वरूपों का अह्वाना करें

भगवती सरस्वती के ध्यान के बाद इनके विभिन्न स्वरूपों का अह्वाना करें. दोनों हथेलियों को जोड़कर और दोनों अंगूठों को अंदर की ओर मोड़कर प्रतिमा के समक्ष मंत्र का उच्चारण करें.

Hari Om। Sahastrashirsha Purusha Sahastrakshah Sahastrapat।

Sa Bhumim Savvetaspprttvattyatishtha Ddashangulam॥

Agachchha Saraswatidevi Sthane Chatra Sthirobhava।

Yavatpujam Karishyami Tavattvam Sannidhau Bhava॥

Om Bhagawati Shri Saraswatyai Avahayami Sthapayami॥

  • आसन पर पुष्प से जल अपर्ण करें

माता सरस्वती के आह्वान के बाद, दोनों हाथों को मिलाकर और उन्हें मंत्र के उच्चारण करते हुए माता सरस्वती को आसन दें और हाथ में लिए पूष्प और जल को मां के समक्ष छोड़ दें.

Ramyam Sushobhana Divyam Sarva Saukhyakaram Shubham।

Asanam Cha Mayadattam Grihana Parameshwari॥

Om Idasanam Samarpayami Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • मां सरस्वती के चरणों को धोएं

माता सरस्वती को फूलों अर्पित करने के बाद मंत्र जाप करते हुए पैर उनके चरणों में जल अर्पित करें और अच्छे से धोएं

Gangodakam Nirmalam Cha Sarvasaugandha Samyutam।

Pada Prakshalanarthaya Dattam Te Pratigrihyatam॥

Om Padayoh Padyam Samarpayami Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • पंचामृत स्नान

माता सरस्वती को पंचामृत स्नान कराएं

Payo Dadhi Ghritam Chaiva Madhu Cha Sharkarayutam।

Panchamritam Mayanitam Snanartham Pratigrihyatam॥

Om Panchamritena Snapayami

Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • शुद्ध जल से स्नान कराएं

पंचामृत स्नानम के बाद मंत्र जपते हुए शुद्ध जल से माता सरस्वती को स्नान कराएं.

Jnanamurte Bhadrakali Divyamurte Sureshwari।

Shuddha Snanam Grihanedam Narayani Namoastu Te॥

Om Panchamritena Pashchachchhuddhodakena Snapayami

Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • वस्त्र अर्पित करें

शुद्ध जल से स्नान कराने के बाद, मंत्र का उच्चारण करते हुए माता सरस्वती को नए वस्त्र के रूप में मौली अर्पित करें.

Tantusantanasamyuktam Kala Kaushala Kalpitam।

Sarvangabharanam Shreshtha Vasanam Paridhiyatam॥

Om Vastram Samarpayami Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • सौभाग्या द्रव्य अर्पित करें

वस्त्र के बाद मंत्र का जाप करते हुए मां को सौभाग्‍य का प्रतिक हल्दी, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करें.

Tambulapatram Mayaanitam Haridra Kumkumanjanam।

Sinduralakchakam Dasve Saubhagyadravyamishwari॥

  • माला अर्पित करें

अब सरस्वती मंत्र का जाप करते हुए मां को आभूषण या माला अर्पित करें.

Ratnakankanakechura Kanchi Kundala Nupuram।

Muktaharam Kiritancha Grihanabharanani Me॥

Om Alankarana Samarpayami Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • धुप, दिपक, नैवेद्य से आरती उतारें

माला चढ़ाने के बाद, मंत्र का जाप करते हुए माता सरस्वती को धुप, दिपक या बत्ती से आरती उतारें.

Vanaspatirasod‌bhuto Gandhadhyo Gandha Uttamah।

Aghreyah Narayani Dhupoayam Pratigrihyatam॥

Om Dhupamaghrapayami Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • पान के पत्ते में कशैली और पैसे चढ़ाएं

धुप, दिपक, नैवेद्य से आरती उतारें के बाद पान के पत्ते में कशैली और पैसे चढ़ाएं.

Hiranyagarbha Garbhastham Hemabijam Vibhavasoh।

Ananta Punya Phaladamatah Shantim Prayachchha Me॥

Om Dakshinam Samarpayami Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • कपूर या घी से आरती या चालिसा का पाठ करें

कपूर या घी का दिपक जलाकर आरती या चालिसा का पाठ करें.

Kadaligarbhasambhutam Karpuram Tu Pradipitam।

Arartikyamaham Kurve Pashya Me Varado Bhava॥

Om Karpurarartikya Samarpayami Bhagawati Shri Saraswatyai Namah॥

  • साष्टाङ्ग प्रणाम करें

अंतिम में हाथ में फूल और अक्षत लेकर घर के कोने-कोने में छीटें फिर मां सरस्वती को साष्टाङ्ग प्रणाम करके प्रसाद का ग्रहण करें.

Namodevyai Mahadevyai Shivayai Satatam Namah।

Namah Prakrityai Bhadrayai Niyatah Pranatah Smatam॥

Tamagnivarnam Tapasajvalantim Vairochanim Karmaphaleshu Jushtam।

Durgam Devim Sharanamaham Prapadye Sutarasi Tarase Namah॥

Devi Vachamanajanayanta Devastam Vishvarupah Pashvo Vadanti।

Sa No Mandreshamurjam Duhana Dhenurvagasmanupa Sushtutaitu॥

Kalaratrim Brahmastutam Vaishnavim Skandamataram।

Saraswatimaditim Dakshaduhitaram Namamah Pavanam Shivam॥

देश में इन पांच स्थानों पर मां सरस्वती का मंदिर

  • श्री शरदम्बा मंदिर, श्रृंगेरी, कर्नाटक

  • दक्षिणा मूकाम्बिका मंदिर, एर्नाकुलम, केरल

  • वारंगल सरस्वती मंदिर, मेदक, तेलंगाना

  • ज्ञान सरस्वती मंदिर, बसर, तेलंगाना

  • श्री सरस्वतीक्षेत्रम, अनंतसागर, तेलंगाना

मां सरस्वती दोहा

  • जनक जननि पद कमल रज,निज मस्तक पर धारि।

    बन्दौं मातु सरस्वती,बुद्धि बल दे दातारि॥

  • पूर्ण जगत में व्याप्त तव,महिमा अमित अनंतु।

    रामसागर के पाप को,मातु तुही अब हन्तु॥

  • माता सूरज कान्ति तव,अंधकार मम रूप।

    डूबन ते रक्षा करहु,परूं न मैं भव-कूप॥

  • बल बुद्धि विद्या देहुं मोहि,सुनहु सरस्वति मातु।

    अधम रामसागरहिं तुम,आश्रय देउ पुनातु॥

ब्रज में आज से रंग का त्योहार होली का आगमन

ब्रज में आज से रंग और उमंग का त्योहार होली का आगमन हो गया है. ब्रज में होलिका दहन और धुलेड़ी रंगों वाली होली पचास दिनों तक मनायी जाएगी.

देखें मां सरस्वती के 108 नाम

आरती श्री सरस्वती माता जी की..

जय सरस्वती माता,मैया जय सरस्वती माता।

सदगुण वैभव शालिनी,त्रिभुवन विख्याता॥

जय सरस्वती माता॥

चन्द्रवदनि पद्मासिनि,द्युति मंगलकारी।

सोहे शुभ हंस सवारी,अतुल तेजधारी॥

जय सरस्वती माता॥

बाएं कर में वीणा,दाएं कर माला।

शीश मुकुट मणि सोहे,गल मोतियन माला॥

जय सरस्वती माता॥

देवी शरण जो आए,उनका उद्धार किया।

पैठी मंथरा दासी,रावण संहार किया॥

जय सरस्वती माता॥

विद्या ज्ञान प्रदायिनि,ज्ञान प्रकाश भरो।

मोह अज्ञान और तिमिर का,जग से नाश करो॥

जय सरस्वती माता॥

धूप दीप फल मेवा,माँ स्वीकार करो।

ज्ञानचक्षु दे माता,जग निस्तार करो॥

जय सरस्वती माता॥

माँ सरस्वती की आरती,जो कोई जन गावे।

हितकारी सुखकारीज्ञान भक्ति पावे॥

जय सरस्वती माता॥

जय सरस्वती माता,जय जय सरस्वती माता।

सदगुण वैभव शालिनी,त्रिभुवन विख्याता॥

जय सरस्वती माता॥

बसंत पंचमी पर नील सरस्वती की पूजा का महत्व

ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा के अलावा नील सरस्वती की पूजा भी आज की जानी चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती की ज्ञान और कला में निपुणता का वर देने के लिए जानी जाती हैं तो वहीं, नील सरस्वती की पूजा करने से धन-धान्य, सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. साथ ही साथ शत्रुओं का भी नाश होता है.

सरस्वती वन्दना

  • या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

    या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

    या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

    सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

  • शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।

    वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥

    हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌।

    वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥२॥

जानें Basant Panchami 2021 पर नील सरस्वती की पूजा करने का महत्व, देखें क्या होता है लाभ, क्या है पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र

Ma Saraswati Mantra

  • वद वद वाग्वादिनी स्वाहा॥

  • ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः॥

  • ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः॥

  • ॐ अर्हं मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम्कारी

    वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं ह्रीं नमः स्वाहा॥

  • या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

  • ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि।

    तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

Saraswati Gayatri Mantra

ॐ ऐं वाग्देव्यै विद्महे कामराजाय धीमहि।

तन्नो देवी प्रचोदयात्॥

Shri Saraswati Puranokta Mantra

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

(Ya Devi Sarvabhuteshu Vidyarupena Samsthita।

Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah)

बसंत पंचमी पर पवित्र गंगा में श्रद्धालुओं की डुबकी, देखें तसवीरों में..

देशभर में बसंत पंचमी के अवसर पर श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाते दिखें. तसवीरों में आप भी देखें वाराणसी का ये नजारा...

वसन्त पंचमी में अबूझ मुहूर्त, शुरू कर सकते हैं मांगलिक कार्य

ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो वसन्त पंचमी के दिन सभी शुभ कार्य शुरू करने के लिए अच्छा मुहूर्त होता है. वसन्त पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त पड़ता है जिसमें कोई भी व्यक्ति मांगलिक कार्यों की शुरुआत कर सकता है.

Basant Panchami 2021 पर मां सरस्वती को अर्पित करें ये पांच तरह के भोग

  • मूंग दाल की खिचड़ी

  • चावल की खीर

  • राज भोग

  • बूंदी या लड्डू

  • मिक्स सब्जियां

Basant Panchami 2021: आज सुबह 06:59 से दोपहर 12:35 तक सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि, मंत्र, वंदना व महत्व

वसन्त पंचमी पर सरस्वती पूजा का क्या है महत्व

वसन्त पंचमी के दिन विद्या को आरम्भ करने की परंपरा है. यह दिन बेहद शुभ माना जाता है. माता-पिता आज ही के दिन शिशुओं को मां सरस्वती का आशीर्वाद दिलाकर विद्या आरम्भ कराते हैं. साथ ही साथ सभी विद्यालयों में भी आज के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है, भोग बांटे जाते है.

सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी शुभ मुहूर्त

  • बसंत पंचमी तिथि: 16 फरवरी 2021

  • पंचमी तिथि आरंभ मुहूर्त: 16 फरवरी 2021 की सुबह 03.36 से 17 फरवरी 2021 की दोपहर 05.46 मिनट तक

  • सरस्वती पूजा शुभ मुहुर्त: 16 फरवरी 2021 को सुबह 06:59 से दोपहर 12:35 मिनट तक

वसन्त पंचमी पर सरस्वती पूजन

वसन्त पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित है. माता सरस्वती को ज्ञान, संगीत, कला, विज्ञान और शिल्प-कला की देवी माना गया है. 16 फरवरी यानी आज को श्री पंचमी भी कहा जाता है.

आज मां सरस्वती को अर्पित करें ये भोग

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती को पीला और सफेद भोग ही लगाना चाहिए. आज आप खिचड़ी भोग या खीर का प्रसाद श्रद्धालूओं में बांट सकते हैं.

इसके अलावा आप राज भोग, बूंदी या लड्डू और मिक्स सब्जियां भी भोग के तौर पर मां सरस्वती को अर्पित कर सकते हैं.

बसंत पंचमी पर भूल कर भी न करें ये काम

  • स्नान के बाद पूजा करना न भूलें

  • रंग-बिरंगे वस्त्र पहनने से बचें, पीला वस्त्र पहनें

  • मांस-मदिरा का सेवन भूल कर भी आज न करें

  • प्रकृति के इस पर्व में पेड़-पौधों को काटने से बचें

  • शिक्षा से जुड़ी चीजों का अनादर करने से मां की कृपा घट सकती है

  • क्रोध या लड़ाई झगड़ा आज भूल कर भी न करें

बसंत पंचमी 2021 तिथि व शुभ मुहूर्त

इस साल बसंत पंचमी 16 फरवरी को मनाई जाएगी। पंचमी तिथि 16 फरवरी को सुबह 3.36 मिनट से शुरू होकर 17 फरवरी को सुबह 5.46 बजे समाप्त होगी. बसंत पंचमी का पूजा मुहूर्त 16 फरवरी को सुबह 6.59 मिनट से दोपहर 12.35 मिनट तक रहेगा.

ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा

इस दिन पीले या सफेद वस्त्र धारण करें. काले या लाल वस्त्र न पहनें. इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें. यह पूजा सूर्योदय के के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे में करें. मां सरस्वती को श्वेत चन्दन और पीले और सफेद पुष्प अवश्य अर्पित करें.

बसंत पंचमी कब है?

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्‍योहार हर साल माघ मास शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक बसंत पंचमी हर साल जनवरी या फरवरी महीने में पड़ती है. इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी 2021 को है.

बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का शुभ मुहुर्त

मंगलवार, 16 फरवरी को सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक.

मां सरस्वती की आराधना करने पर होती है ज्ञान में बढ़ोतरी

माता सरस्वती को ज्ञान, कला और संगीत की देवी कहा जाता है. माता सरस्वती की आराधना से ज्ञान में बढ़ोतरी होती है. खासकर विद्यार्थियों को उनकी पूजा विधि विधान के साथ करनी चाहिए.

इस दिन का है खास महत्व

ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन, देवी सती और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने से हर व्यक्ति को शुभ समाचार एवं फल की प्राप्ति होती है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन, षोडशोपचार पूजा करना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए सुखदायक माना गया है.

ग्रहों का योग फलदायी

वसंत पंचमी के दिन चतुष्ग्रही योग बन रहा है. इस दिन बुध, गुरु, शुक्र व शनि चार ग्रह शनि की राशि मकर में चतुष्ग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं. मंगल अपनी राशि में विद्यमान रहकर इस दिन के महात्म्य में वृद्धि करेंगे.

इस दिन नहीं काटना चाहिए पेड़-पौधों को

वसंत पंचमी के दिन भूलकर भी पेड़-पौधों को नहीं काटना चाहिए. क्योंकि इसी दिन से वसंत ऋतु का आगमन होता है. इस दिन प्रकृति में वसंत ऋतु का सुन्दर तथा नवीन वातावरण पूरी तरह प्रकृति में छा जाता है.

बसंत पंचमी के दिन नहीं पहनना चाहिए रंग-बिरंगे वस्त्र

मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन काले या रंग-बिरंगे कपड़े नहीं पहनना चाहिए. इस दिन मां सरस्वती को पीला रंग अधिक पसंद है. इसलिए मां सरस्वती को पीला वस्त्र चढ़ाना चाहिए और स्वयं भी पीले रंग का वस्त्र पहनना चाहिए.

कैसे करें मां सरस्वती की पूजा

इस दिन सुबह स्नानादि के पश्चात सफेद या फिर पीले वस्त्र पहनकर सबसे पहले पूरे विधि-विधान से कलश स्थापित करें. फिर चन्दन , सफेद वस्त्र , फूल, दही-मक्खन, सफेद तिल का लड्डू , अक्षत, घृत, नारियल और इसका जल, श्रीफल, बेर इत्यादि अर्पित करें.

बसंत पंचमी पर बन रहे हैं शुभ योग

कल बसंत पंचमी का पर्व है. बसंत पंचमी पर इस बार दो विशेष योग का निर्माण हो रहा है. वहीं ग्रहों की चाल भी इस दिन को उत्तम बनाने में सहयोग कर रहे हैं. पंचांग के अनुसार इस दिन अमृत सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बनने जा रहा है. जो इस पर्व के महत्व को और भी अधिक बढ़ाता है. वहीं इस बार बसंत पंचमी पर रेवती नक्षत्र रहेगा. जो कि बुध का नक्षत्र माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को बुद्धि और ज्ञान का कारक माना गया है.

सुबह 3 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी पंचमी तिथि

इस बार पंचमी तिथि 16 फरवरी की सुबह 3 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी. यह अगले दिन 17 फरवरी की सुबह 5 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी. वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा सुबह से मध्याह्न तक करने का विधान है. इस दिन चंद्रमा मीन राशि पर रहेंगे और रेवती नक्षत्र से पंचमी तिथि व्याप्त रहेगी. इस दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है.

पूजन का समय

मां सरस्वती की पूजन का समय 16 फरवरी दिन मंगलवार की सुबह 6 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. वहीं, सुबह 6 बजकर 55 मिनट से सुबह 8 बजकर 20 मिनट तक स्थिर लग्न पूजा के लिए विशेष प्रशस्त रहेगी. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त और वृष लग्न 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 20 बजे तक पूजा के लिए विशेष प्रशस्त होगी.

पूजा विधि

  • बसंत पंचमी के दिन न करें ये गलतियां

  • बसंत पंचमी के दिन पीले या सफेद वस्त्र पहनने चाहिए.

  • मां सरस्वती की पूजा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शुरू करनी चाहिए

  • बसंत पंचमी के दिन पूजा सूर्योदय के बाद ढाई घंटे या सूर्यास्त के बाद के ढाई घंटे में करनी चाहिए.

  • इस दिन पूजा के दौरान मां सरस्वती को पीले या सफेद पुष्प जरूर अर्पित करने चाहिए.

  • प्रसाद में मिसरी, दही व लावा आदि का प्रयोग करना चाहिए.

  • इस दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए.

रवि योग और अमृत सिद्धि योग में मनेगा इस बार बसंत पंचमी

बसंत पंचमी के दिन रवि योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. बसंत पंचमी के पूरे दिन रवि योग रहेगा. जिसके कारण इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है. पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी. इस दिन 11 बजकर 30 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट के बीच अच्छा मुहूर्त है.

रवि योग और अमृत सिद्धि योग में बसंत पंचमी (Basant Panchami, Ravi Yoga & Amrit Sidhhi Yoga)

इस साल रवि योग और अमृत सिद्धि योग में मनेगी बसंत पंचमी 2021. वहीं, सरस्वती पूजा 2021 का शुभ मुहूर्त सुबह 11.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक रहेगा.

सरस्वती पूजा 2021 का शुभ मुहूर्त (Saraswati Puja 2021 Shubh Muhurat) 

  • बसंत पंचमी तिथि: 16 फरवरी 2021

  • पंचमी तिथि आरंभ मुहूर्त: 16 फरवरी 2021 की सुबह 03.36 से 17 फरवरी 2021 की दोपहर 05.46 मिनट तक

  • सरस्वती पूजा शुभ मुहुर्त: 16 फरवरी 2021 को सुबह 06:59 से दोपहर 12:35 मिनट तक

Posted By: Sumit Kumar Verma

Exit mobile version