Basant Panchami 2022, Saraswati Puja 2023: बसंत पंचमी माघ चंद्र माह के शुक्ल पक्ष पंचमी के दौरान मनाई जाती है. बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है. यह ‘माघ’ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है, जो वसंत ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है. बसंत पंचमी को होली के आगमन का संकेत भी माना जाता है, जो बसंत पंचमी के चालीस दिन बाद होती है. सरस्वती पूजा 2023 की सही तारीख क्या है, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व जानने के लिए आगे पढ़ें.
25 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से 26 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक बसंत पंचमी मनाई जाएगी.
उदया तिथि के अनुसार सरस्वती पूजा 26 जनवरी को मनाई जायेगी.
बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा पूरी आस्था और विश्वास के साथ की जाती है. इस दिन विभिन्न शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा करने की परंपरा है.
-
मां सरस्वती की पूजा से पहले नहा-धोकर सबसे पहले पीले वस्त्र धारण कर लें.
-
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं.
-
अपने ठीक सामने पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वति की मूर्ति को उस पर स्थापित करें.
-
देवी की मूर्ति अथव चित्र स्थापित करने के बाद सबसे पहले कलश की पूजा करें.
-
इसके उपरांत नवग्रहों की पूजा करें और फिर मां सरस्वती की उपासना करें.
-
इसके बाद पूजा के दौरान उन्हें विधिवत आचमन और स्नान कराएं.फिर देवी को श्रंगार की वस्तुएं चढ़ाएं.
-
जिसके बाद रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का प्रसाद मां के सामने अर्पित कर ध्यान में बैठ जाएं.
-
मां सरस्वती के पैरों में श्वेत चंदन लगाएं.
-
पीले और सफेद फूल दाएं हाथ से उनके चरणों में अर्पित करें और ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजन करके उससे छुटकारा पाया जा सकता है.’
स्टेशनरी के सामानों में पेन, पेंसिल, कलर बॉक्स, स्टूमेंट्स, रबर, कलर बॉक्स, स्केल, ज्यॉमेट्री बॉक्स, कलर पेंसिल, कलर पेन, कॉपी, किताब, क्रॉफ्ट पेपर, क्रॉफ्ट शीट, क्रॉफ्ट बॉक्स, स्कूल बैग जैसी कई चीजों में से कुछ भी अपनी पसंद का चुन सकते हैं.
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्। हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च
मूल मंत्र
विघ्न-बाधाओं का नाश करने वाला मंत्र
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।
विघ्न नाश्क मंत्र
ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।
मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।
ये पर्व बसंत मौसम की शुरुआत का सूचक है, पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा. इसका अर्थ है कि बसंत पंचमी का दिन बेहद शुभ होता है और इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन लोग बगैर पंचांग देखे दिन भर में कभी भी अपने कार्य को पूरा कर सकते हैं. वहीं, कई लोग इस दिन परिवार में छोटे बच्चों को पहली बार किताब और कलम पकड़ाने का भी विधान है.
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ज्ञान देवी मां सरस्वती शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं.इसलिए बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है.सरस्वती मां को ज्ञान की देवी कहा जाता है.इसलिए इस दिन पूरे विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा करने से वो प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.