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Basant Panchami 2025: इन कार्यों के लिए बसंत पंचमी का अवसर है बेहद शुभ

Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी पर करें ये शुभ कार्य: अन्न प्राशन, विद्यारंभ, नामकरण और कर्णछेदन संस्कार इस दिन करना बेहद शुभ माना जाता है. जानें इनका महत्व.

Basant Panchami 2025: बसंत पंचमी का पर्व हिंदू धर्म में अत्यधिक शुभ माना जाता है. यह दिन ज्ञान, विद्या और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है. इस दिन को शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए भी उत्तम माना जाता है. विशेष रूप से बच्चों के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण संस्कार जैसे अन्न प्राशन, विद्यारंभ, नामकरण और कर्णछेदन इस दिन करना बेहद लाभदायक माना जाता है.

आइए जानते हैं कि बसंत पंचमी पर इन संस्कारों का क्या महत्व है.

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Basant panchami 2025: इन कार्यों के लिए बसंत पंचमी का अवसर है बेहद शुभ

बच्चे का अन्न प्राशन संस्कार

अन्न प्राशन संस्कार बच्चे के जीवन में पहला ठोस आहार ग्रहण करने का शुभ अवसर होता है. इसे छह महीने या एक वर्ष की आयु में किया जाता है.

बसंत पंचमी के दिन यह संस्कार करना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन मां सरस्वती की कृपा से बच्चे के स्वास्थ्य और बुद्धि में वृद्धि होती है. इस दिन बच्चे को खीर या हल्का भोजन खिलाकर इस अनुष्ठान को संपन्न किया जाता है.

विद्यारंभ संस्कार

बसंत पंचमी को शिक्षा की शुरुआत के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है. इस दिन बच्चों को पहली बार अक्षर ज्ञान करवाया जाता है. माता-पिता बच्चे को स्लेट, पेंसिल या कलम पकड़ाकर विद्या की शुरुआत कराते हैं.

यह दिन उनके शिक्षा जीवन के शुभारंभ का प्रतीक होता है और यह माना जाता है कि इस दिन शुरू की गई शिक्षा जीवनभर फलदायी होती है.

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नामकरण संस्कार

नामकरण संस्कार बच्चे के जन्म के बाद किया जाने वाला महत्वपूर्ण संस्कार होता है. हिंदू परंपरा में बसंत पंचमी को इस संस्कार के लिए बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन बच्चों का नामकरण करने से उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और उनका भाग्य उज्जवल होता है.

कर्णछेदन संस्कार

कर्णछेदन संस्कार भी हिंदू धर्म में एक प्रमुख संस्कार माना जाता है. इस दिन बच्चों के कान छिदवाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है. यह संस्कार न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी है, क्योंकि इससे सुनने की क्षमता में सुधार होता है और स्वास्थ्य संबंधी कई लाभ मिलते हैं.

बसंत पंचमी केवल मां सरस्वती की पूजा का दिन नहीं, बल्कि यह शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए भी आदर्श समय होता है.

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