Basant Panchami Vastu Tips: इस बसंत पंचमी धन, सफलता और प्रसिद्धि के लिए अपनाएं ये वास्तु टिप्स

वसंत पंचमी को ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. मान्यता है कि देवी सरस्वती की आराधना से सद्‌बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है. सरस्वती पूजा माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को की जाती है. ज्ञान, विद्या और कला की देवी सरस्वती की पूजा में कुछ वास्तु टिप्स का पालन भी करना चाहिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 2, 2024 12:37 PM
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समृद्धि को आकर्षित करने के लिए बसंत पंचमी के दिन मोरपंखी का पौधा लगाएं. इस पौधे को अपने घर या ऑफिस की पूर्व दिशा में रखना चाहिए.

वसंत पंचमी के दिन छात्र घर में देवी सरस्वती को लाल फूल विशेषकर गुड़हल या फिर गेंदा का फूल अर्पित करें. इससे उन्हें इच्छित क्षेत्र में सफलता मिलती है.

स्टडी टेबल पर देवी सरस्वती की मूर्ति रखने से भी सफलता मिलेगी. साथ ही पढ़ाई करते समय विद्यार्थियों का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और वास्तु के अनुसार अध्ययन कक्ष घर की उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए. इससे शीघ्र सफलता मिलती है.

अध्ययन कक्ष में दीवारों का रंग हल्का क्रीम या ऑफ-व्हाइट होना चाहिए. माना जाता है कि सफेद रंग माता सरस्वती को प्रिय होता है और इस रंग से एक शांत वातावरण का अनुभव होता है.

बसंत पंचमी के दिन कमरे में एक विजन बोर्ड लगाएं. कहा जाता है कि ऐसा करने से माता सरस्वती ध्यान एकाग्र करने में मदद करती है और छात्रों के विजन को पूरा करती हैं.

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बिजनेस में सफलता के लिए टेबल का आकार नियमित होना चाहिए और बसंत पंचमी के दिन अपने कार्यालय के उत्तर-पूर्व कोने में देवी सरस्वती की मूर्ति रखने से व्यवसाय में वृद्धि होगी.

यदि आपके घर/कार्यालय में कोई वास्तु दोष है, तो वसंत पंचमी के इस शुभ दिन पर उनका समाधान करने से जीवन में देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

अपने घर में सकारात्मकता के लिए मंदिर को घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रखें और देवी सरस्वती की मूर्ति बैठी हुई स्थिति में होनी चाहिए, जहां वह कमल के फूल पर बैठी हुई हों.

आपके घर की उत्तर दिशा विकास के अवसरों और बढ़ी हुई कमाई का प्रतिनिधित्व करती है. इसलिए इस स्थान पर शयनकक्ष रखना लाभकारी रहेगा और धन का निरंतर प्रवाह बना रहेगा.

आपके घर की दक्षिण दिशा व्यक्तियों के लिए नाम और प्रसिद्धि का प्रतिनिधित्व करती है. इस दिशा का उपयोग शयनकक्ष के साथ-साथ ध्यान के लिए भी किया जा सकता है.

पश्चिम दिशा व्यापार वृद्धि में सहायक होती है, उद्यमियों को अपना शयनकक्ष इसी दिशा में रखना चाहिए. यह व्यापार वृद्धि और व्यावसायिक सफलता में मदद करेगा.

रिपोर्ट – पुष्पांजलि

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