जब दो लोग शादी के बंधन में बंधते हैं तो ये कोई नहीं सोचना की उन्हें अलग होना है, लेकिन कई बार ऐसी परिस्थितियां सामने आ जाती है जिससे रिश्तों में दरार आने लगती है और कपल साथ में समय बीताना पसंद नहीं करते हैं. ऐसे में न्यायिक विधि से दोनों को तलाक लेना होता है ताकि दोनों अधिकारिक रूप से अलग हो सकें. तलाक दोनों परिवार के लिए बेहद कष्टदायक होता है, ऐसी नौबत आ जाए तो इसे इस कदर हावी न होने दें कि अपना सब कुछ लुटा बैठें.
माना जाता है कि कि तलाक में ज्यादातर नुकसान महिलाओं को उठाना पड़ता है. अपनी आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कुछ चीजों को ध्यान में रखना जरूरी है. इसमें फाइनेंशियल प्लानर की सेवाएं लेने से लेकर सभी जरूरी दस्तावेजों को जुटाना चाहिए. यहां हम ऐसी छह फाइनेंशियल टिप्स बता रहें हैं जिससे महिलाओं को तलाक लेने से पहले ध्यान रखना जरूरी है.
महिलाओं को जैसे ही इस बात का एहसास होने लगे की उनका पार्टनर उनसे दूर होना चाह रहा. रिश्ते दिन प्रतिदिन खराब हो रही तो ऐसे में उन्हें सभी फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट को जुटाना शुरू कर दें. इनमें सैलरी स्टेटमेंट, किराये की रसीदें, प्रॉपर्टी के दस्तावेज, घर के आइटमों की रसीदें, मासिक खर्चों का प्रूफ आदी शामिल हैं. ध्यान रखें कि अगर इसे बाद के लिए छोड़ा जाता है तो पति इसे लेकर बाद में दिक्कत पैदा कर सकता है.
पत्नी के नाम पर जो एसेट हैं उनकी उसे पहचान होनी चाहिए. ज्वेलरी इत्यादि को भी किसी सुरक्षित जगह पर रख लेना चाहिए. इसके लिए बैंक का लॉकर सबसे बेहतर जगह है.
अच्छी गुजारा-भत्ता पाने के लिए डिवोर्स लॉयर से पहले फाइनेंशियल प्लानर की सेवाएं लेनी जरूरी है. यह बेहद अहम है कि महंगाई और भविष्य के खर्चों को ध्यान में रखकर सही आंकड़ों तक पहुंचा जाएगा, ताकि तलाक के बाद अपनी लाइफस्टाइल को मेनटेन कर सकें.
मासिक के बजाय एकमुश्त गुजारा-भत्ता लेना सही है. जानकारी के अनुसार गुजारे-भत्ते के तौर पर मिलने वाली एकमुश्त रकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है. महंगाई के चलते इसके घटने की गुंजाइश भी नहीं होती. अगर मासिक गुजारा-भत्ता लिया जाता है, तो इसमें सालाना बढ़ोतरी की शर्त शामिल होनी चाहिए.
तलाक से पहले लिक्विड एसेट जितना हो सकता है, उतना बनाना शुरू कर दें. तलाक के बाद इससे फाइनेंशियल लाइफ को चलाने में आसानी होगी. अगर घर मिल गया है, लेकिन उसे चलाने का पैसा नहीं है तो समस्या हो सकती है.
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महिलाओं को इस बात को समझना चाहिए कि महिला को जो पैसा घर चलाने और अपनी लाइफस्टाइल मेनटेन करने के लिए मिलता है, वह बच्चे को पालने-पोसने से अलग होता है इसका ध्यान रखें. इसमें बच्चों की शिक्षा और उसकी शादी जैसे लक्ष्यों को ध्यान रखें