लड़की पैदा होने पर ये डॉक्टर नहीं लेते फीस, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

Beti Bachao mission: पुणे के एक डॉक्टर ने बालिकाओं को बचाने के लिए एक मिशन शुरू किया है, जिसके तहत वह न केवल अपने अस्पताल में एक बच्ची के जन्म पर फीस माफ करते हैं, बल्कि बच्ची का गर्मजोशी से स्वागत भी करते हैं.

By Bimla Kumari | November 16, 2022 12:35 PM

Beti Bachao mission: पुणे के एक डॉक्टर ने बालिकाओं को बचाने के लिए एक मिशन शुरू किया है, जिसके तहत वह न केवल अपने अस्पताल में एक बच्ची के जन्म पर फीस माफ करते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि बच्ची का गर्मजोशी से स्वागत हो. ‘बेटी बचाओ जनांदोलन’ पहल के तहत, डॉ. गणेश राख महाराष्ट्र के हडपसर इलाके में एक मातृत्व-सह-मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल चलाते हैं. कन्या भ्रूण हत्या और शिशुहत्या के खिलाफ जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

अबतक 2,400 से ज्यादा लोगों से नहीं लिए फीस

उन्होंने बताया कि पिछले 11 सालों में 2,400 से ज्यादा बच्चियों को उनके माता-पिता और रिश्तेदारों से फीस लिए बिना उनका अस्पताल जन्म दिया है. पीटीआई से बात करते हुए डॉ. राख ने कहा कि 2012 में अपने मेडिकेयर अस्पताल में शुरू की गई छोटी सी पहल अब विभिन्न राज्यों और कुछ अफ्रीकी देशों में फैल गई है.

Also Read: Stress Relief Foods: स्ट्रेस फ्री रहने के लिए डाइट में शामिल करें ये फूड आइटम्स
‘लड़की पैदा होने पर परिजन होते हैं दुखी’

“2012 से पहले अस्पताल के शुरुआती वर्षों में हम यहां विभिन्न अनुभवों से रूबरू हुए, जहां कुछ मामलों में अगर कोई लड़की पैदा होती है, तो परिवार के सदस्य उसे देखने आने से कतराते थे. उन्होंने कहा कि उस तस्वीर ने मुझे प्रभावित किया और मुझे बालिकाओं को बचाने और लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया.

‘लड़का होने पर परिजन खुशी से भरते है फीस’

उन्होंने कहा कि अगर लड़का पैदा होता है, तो कुछ परिवार खुशी-खुशी अस्पताल आते हैं और बिल का भुगतान करते हैं, लेकिन अगर बच्चा लड़की होता है, तो कुछ मामलों में उदासीन रवैया होता है. इसे लेकर उन्होंने एक लड़की के जन्म होने पर पूरी चिकित्सा फीस माफ करने का फैसला किया और बाद में ‘बेटी बचाओ जनांदोलन’ के रूप में पहल का नाम दिया. पिछले 11 वर्षों में उन्होंने बिना कोई शुल्क लिए 2,400 से अधिक बच्चियों को जन्म दिया है.

कन्या भ्रूण हत्या एक नरसंहार है- डॉ. राख

डॉ. राख ने कहा कि एक सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार पिछले 10 वर्षों में छह करोड़ से अधिक कन्या भ्रूण हत्या के मामले सामने आए हैं. यह एक तरह का ‘नरसंहार’ है. उन्होंने कहा कि यह एक क्षेत्र राज्य या देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक सामाजिक मुद्दा है. उन्होंने कहा कि हमारे सर्वेक्षण के अनुसार हाल के दिनों में कन्या भ्रूण हत्या के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट आई है और यह एक सकारात्मक पहलू है.

Next Article

Exit mobile version