Shaheed Diwas 23 March, Bhagat Singh, Rajguru, Sukhdev: देश में शहीद दिवस को अलग-अलग दिनों पर मनाने की परंपरा है. दरअसल, भारत मां के सच्चे और वीर सपूत भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी आज ही के दिन दी गई थी. उन्हीं की याद में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है. इसके अलावा 23 जनवरी, 21 अक्टूबर, 17 नवंबर और 19 नवंबर को भी शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है.
आपको बता दें कि 30 जनवरी को राष्ट्रपति महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में शहीद दिवस मनाया जाता है. 23 मार्च को भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु के बलिदान के रूप में शहीद दिवस मनाया जाता है. साल 1959, में केंद्र पुलिस बल के जवान लद्दाख में चीनी सेना के एक एंबुश में शहीद हुए थे जिसके कारण 21 अक्टूबर को भी शहीद दिवस मनाया जाता है.
इन सबके अलावा लाला लाजपत राय की स्मृति के तौर पर 17 नवंबर को और 19 नवंबर को रानी लक्ष्मीबाई के जन्मदिन के रूप में शहीद दिवस मनाने की परंपरा है.
आपको बता दें कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने आज ही फांसी दी थी. दरअसल, इन्होंने अंग्रेजी शासन के हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाया था और पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूटर बिल के विरोध में इनके द्वारा सेंट्रल असेंबली में बम फेंके गए थे. जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार कर कर फांसी की सजा दी गई.
ऐसे में देश के वीर सपूतों की याद में आज भी स्कूल, कॉलेजों व अन्य संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
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27 सितंबर, 1907 को पंजाब के बंगा गांव के जारणवाला में जन्मे थे भगत सिंह जो अब पाकिस्तान में है.
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वे स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में पले-बढ़े
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उनके पिता किशन सिंह चाचा सरदार अजीत सिंह महान स्वतंत्रता सेनानी थे.
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भगत सिंह का नाम करतार सिंह सराभा था
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गदर आंदोलन के बाद बने क्रांतिकारी .
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13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद भगत सिंह अमृतसर पहुंचे
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19 साल की छोटी उम्र में फांसी चढ़ाई गई
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शिवराम हरि राजगुरु का जन्म 1908 में हुआ,
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वे पुणे जिले के खेड़ा गांव में जन्मे.
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बचपन में ही पिता को खोने के बाद वाराणसी में अध्ययन और संस्कृत सीखने आए
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यहां कई क्रांतिकारियों से सम्पर्क हुआ.
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वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी में शामिल हुए.
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ब्रिटिश साम्राज्य के दिल में इन्होंने डर पैदा किया
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19 दिसंबर 1928 को राजगुरु ने भगत सिंह के साथ मिलकर सांडर्स को गोली मारी
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28 सितंबर 1929 को गवर्नर को मारने की कोशिश में उन्हें अगले दिन पुणे से गिरफ्तार किया गया.
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फिर बाद में फांसी दी गई
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सुखदेव थापर का जन्म 15 मई, 1907 को हुआ
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ब्रिटिश राज के क्रूर अत्याचार से वे आहत थे और इसी कारण क्रांतिकारियों के साथ शामिल हुए
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हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बने
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वे पंजाब और उत्तर भारत के क्षेत्रों में क्रांतिकारी सभाएं की, लोगों के दिल में जोश पैदा किया
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उन्होंने कुछ अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर लाहौर में ‘नौजवान भारत सभा’ की शुरुआत भी की
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लाहौर षड्यंत्र मामले में इन्हें भी सजा सुनाई गई
Posted By: Sumit Kumar Verma