Ambedkar Jayanti 2024: बाबा साहेब के जन्म स्थान पर बना प्रेरक स्मारक
Ambedkar Jayanti 2024: डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर (1891-1956) का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू छावनी, मध्य प्रदेश में हुआ था. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सतारा, महाराष्ट्र में पूरी की और अपनी माध्यमिक शिक्षा बॉम्बे के एलफिंस्टन हाई स्कूल से पूरी की.
-मनीष शांडिल्य–
Ambedkar Jayanti 2024: बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्हें नमन और उनसे प्रेरणा लेते हुए आइए शब्दों और तस्वीरों के जरिए उनके जन्म स्थल की सैर करें. भीमा बाई और रामजी सकपाल के चौदहवीं संतान बाबा साहेब का जन्म मऊ छावनी के काली पलटन इलाके में स्थित सेना के एक क्वार्टर में हुआ था. इसी क्वार्टर, जिसका अब नामो निशान नहीं बचा है, की जगह पर आज एक शानदार दो मंजिली भीम जन्म भूमि है. रामजी सकपाल बॉम्बे आर्मी के 107वीं पायनियर्स रेजिमेंट के सूबेदार के पद से सेवानिवृत हुए थे और उन्होंने महू छावनी, जहां वे 1888 से 1893 तक सेवारत थे, स्थित एक रेजिमेंटल स्कूल के हेडमास्टर के रूप में भी कार्य किया था.
बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न काफी देर से मिला
भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सबसे महान विभूतियों में एक बाबा साहेब अंबेडकर को भारत रत्न काफी देर से साल 1990, उनके मृत्यु के 34 साल बाद, में मिला. कुछ उसी प्रकार इनके जन्म स्थल पर भी स्मारक अर्थात भीम जन्म भूमि निर्माण का शिलान्यास उनकी 100 वीं जयंती पर 1991 में हुआ और यह स्मारक 17 साल बाद साल 2008 में बन कर पूरा हुआ. मऊ छावनी का इलाका मध्य प्रदेश के मशहूर शहर और इस राज्य की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर से करीब 40 किलोमीटर दूर है. यह इंदौर से सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है. अब तो मऊ सिटी को आधिकारिक रूप से डॉ. अंबेडकर नगर के नाम से भी जाना जाता है.
सविंधान के रचियता डॉ.भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को
स्मारक के ठीक सामने बाबा साहेब की विशाल प्रतिमा
बौद्ध स्तूप की शैली में निर्मित इस गोलाकार दो मंजिला स्मारक के ठीक सामने बाबा साहेब की विशाल प्रतिमा है. इस प्रतिमा के बाएं हाथ में चिर-परिचित अंदाज़ में भारत का संविधान है और दाएं हाथ से बाबा साहेब आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते दिखाई देते हैं. इस प्रतिमा के दोनों ओर स्मारक के दूसरी मंजिल पर जाने के लिए सीढियां हैं.
जीवन और कार्यों को बड़े आकार की तस्वीरों के जरिए विवरण के साथ प्रदर्शित
भीम जन्म भूमि बाबा साहेब के अनुयायियों और उनसे प्रेरणा लेने वालों के लिए अब किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है और पूरे साल यहां लोग उन्हें नमन करने आते हैं. उनकी जयंती, उनके परिनिर्वाण दिवस, गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस को यहां लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है.