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सुमन कुमार सिंह की तीन भोजपुरी कविताएं

सुमन कुमार सिंह की तीन भोजपुरी कविताएं प्रभात खबर के दीपावली विशेषांक में प्रकाशित हुईं हैं, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं...

हर हाँकल आ देश चलावल एके ना ह

हर हाँकल आ देश चलावल एके ना ह

फटही गंजी फटहा गँवछा लपेटले

करिया मजीठ देह तोहार

किसान माने इहे

एह से तनिका ओनईस-बीस

ना जानस उ तोहरा बारे में

छुधा भ भात देह भ बसतर

थपरी पीट-पीट

गोहरालs राम-राम

अन्नदाता, जपिलs सतनाम

तोहरा हड़री से बनल खाद से

अउर का उपजी?

ऊ तोहराके इहे जानेलन

अतने भ मानेलन

आ तू बूझि गइलs उनुका के आपन

नयका सूरुज !

अब तोहार सवाल

जबले बियड़ी बनके अँखुआए लागल

फोरे लागल धधकत धरती

चिचिआए लागल जवाब-जवाब

ना, तू धरतीपुत्र ना रहलs अब

तोहराके मनु के मर्दाना बेटा कहल

तनिको ठीक नइखे देश खातिर

तोहार कुल्हि राजनीति भुलवा दियाई

चोन्हा जनि,

हर हाँकल आ देश चलावल

एके ना ह ।

तोहरा पगरी प जतना चमकेलें सूरूज

ओह से क गुना अधिका

उनुका महफिल में चमचमाला

लालकिला उनुकर

तोहरा लालकिला प ना चढ़ल चाहत रहे

तोहार टरायटर हरे जोत सकेला

हथियार चलावेके कामे ना आई ऊ

जा लवटि जा लोग

कुल्हि बीया सूखा रहल बा

एह राजपथ प ना अँखुआई ई

उसर के धूसर ना बनावल जा सके ।

सरग के सँइतल जल

आ तहार सँइतल बीया

सभकर होला

बाकिर उनुका आँखि देखल सपना

आ उनुकर दिहल जबान

ना पूरल बा ना पूरी

तोहार लउरिया राफेल बनिके

भले बिका जाई कहियो

तबो पगरिया

फँसरिये भ कामे आई हो

सीमा प बेटा बधारी में बाप

जे ना पतिआई

ओकरा लागिजाई पाप

‘भारत खण्डे आर्यावर्ते जम्बूद्वीपे’

तू हीं तू , तहरे छाप

ऊ तोहराके बेगर बरियार बनवले

ना छोड़िहें

जल में थल में आकाश में

सगरे सभका से क दिहें मजगूत

भगवान खाली उन्हुके मुँह चिरले बाड़ें

तू भरत रहीहs कुंइया उनुकर

जबले तोहार सवाली बीया

लहसी-लहलहाई

तबले भुता जाई दहकत आँच

कतने चूल्ही के

उत्तर-दक्खिन पूरुब-पच्छिम

चारोंओर से आवs , धावs

कि पेटराग के धुन प

फन फैलावे से पहिले घेरि ल उन्हुका के

कि उन्हुका जवाब त देबहींके परी

कि तोहरा खातिर ना होखे

कवनो ‘शून्यकाल’ उनुका लगे।

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का बुझिहें ऊ

‘जोधा-अकबर’ देखत खा

दिखिया-दिखिया जाले माई

कवनो सिरियल चालू भइल

कि माई के कमेंट्रियो चालू

ई खेला हमरा तनिको नइखे बुझात

नइखे बुझात कि ई काहें

धड़ से केहू के काट देता

गरदनिये उ मरदा

काहें कपार पीटे लागता बेरि-बेरि

नाति-नातिन परेशान

कि ईया त चालू हो गइली

तले बदल जाला चैनल

आ जाला ‘अनूपमा’

आ जाला ‘मेरा यार है तू’

ईया त चालू हो गइली

आ भाग ‘एहनी के त बियहवे नइखे होत’

आ चिंता में डूबि जाली

कि ‘कहिया दो होई बियाह एहनी के’

ईया कुल्हि सिरियलवा में

बियाहे खोजेली

अखेयान करेलें नाति-नातिन

साँचो, केनियो बाजे बाजा

केनियो गवाये गीत

सुनत कहीं कि

बउल मुँह आ घुँचियाइल आँखि

लहस जाला उनुकर

बगल में बियाह के घर

आ छत के परछत्ती से

आधा धर लटकवले ईया

दूलहा देखेके ललक में भुलाइल

आपन अस्सी पार के बुढौती

का बुझिहें नाति-नातिन

ईया के कवनो खेला बुझाव भा ना

बुझेली बियाह

बुझेली जनम

आ हुलस उठेली रहि-रहि के।

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कतना पानी

घो -घो, घो-घो रानी, कतना पानी?

हा ऽ डुबुक , हा ऽ डुबुक

छाती भ ऽ….

नेता जी नेता जी रउवा

का जानी ?

संसद भ ऽ जी ,टी वी भ ऽ

घो घो रानी ,केतना पानी

हा डुबुक हा डुबुक नेटी भ ऽ

नेता जी नेता जी रउवा

का जानी?

अलेक्सन भ ऽ जी वादा भ ऽ

घोघो रानी ,केतना पानी

हा डुबुक हा डुबुक पोरसा भ ऽ

नेताजी नेताजी ,रउवा का जानी ?

कुरसी भ ऽ जी कसरथ भ ऽ

घो घो रानी ,बुड़ल पलानी

हा ऽ डुबुक हा ऽ डुबुक

अबके छानी ?

नेता जी नेता जी ,रउवा

का जानी ?

कागज के नइया पियलस

पानी

हा ऽ डुबक हा ऽ डुबुक !

संपर्क : बी.एस.डीएवी.प.स्कूल, मील रोड, आरा- 802301, बिहार, मो. – 8051513170

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