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Bihar Tourist Destinations: वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान में प्राकृतिक सुंदरता का लें नजारा

Bihar Tourist Destinations, Valmiki Tiger Reserve: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व हिमालय की तराई मे बिहार-नेपाल-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बिहार राज्य में स्थित वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 901 वर्ग किलोमीटर है. जो की पूरे पश्चिमी चम्पारण जिले के भौगोलिक क्षेत्र का 17.4% हिस्सा कवर करता है .

By Shaurya Punj | August 7, 2023 10:54 AM

Bihar Tourist Destinations, Valmiki Tiger Reserve: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve-VTR ) बिहार का एकमात्र टाइगर रिजर्व है. देश के गंगा मैदानों जैव भौगोलिक क्षेत्र में स्थित, जंगल में भाबर और तराई पथ का संयोजन है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार के उत्तर-पश्चिमी पश्चिमी चंपारण जिले में स्थित है. जिले का नाम चंपा वृक्षों के दो शब्द चम्पा और अरण्य अर्थ वन से लिया गया है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व हिमालय की तराई मे बिहार-नेपाल-उत्तर प्रदेश की सीमा पर बिहार राज्य में स्थित वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 901 वर्ग किलोमीटर है. जो की पूरे पश्चिमी चम्पारण जिले के भौगोलिक क्षेत्र का 17.4% हिस्सा कवर करता है .

वन्यजीवों से ऐसे कर सकते हैं दोस्ती

यहां पर आप बाघ, स्‍लॉथ बीयर, भेडिए, हिरण, सीरो, चीते, अजगर, पीफोल, चीतल, सांभर, नील गाय, हाइना, भारतीय सीवेट, जंगली बिल्लियां, हॉग डीयर, जंगली कुत्ते, एक सींग वाले राइनोसिरोस तथा भारतीय भैंसे कभी कभार चितवन से चलकर वाल्‍मीकि नगर में आ जाते हैं. इस उद्यान में आप चीतल, काला हिरण, फिशिंग कैट्स, तेंदुए आदि भी देख सकते हैं. यहां मदनपुर वन ब्लॉक में बड़ी संख्या में भारतीय उड़ने वाली लोमड़ियों को देखा जा सकता है. वाल्मीकि टाईगर रिजर्व में पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां बताई गई हैं.

वाल्मीकि नेशनल पार्क कहां स्थित है ?

भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग 1400 किलोमीटर दूर एवं बिहार की राजधानी पटना से लगभग 300 किलोमीटर उत्तर मे भारत नेपाल की सीमा पर पश्चिम चम्पारण जिले मे स्थित यह बिहार का इकलौता राष्ट्रीय उद्यान है. वाल्‍मीकि नगर, बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के सबसे उत्तरी भाग में नेपाल की सीमा के पास बेतिया से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह एक छोटा कस्‍बा है जहां कम आबादी है और यह अधिकांशत: वन क्षेत्र के अंदर है. पश्चिमी चंपारण जिले का एक रेलवे स्‍टेशन नरकटियागंज के पास स्थित है. यह पार्क उत्तर में नेपाल के रॉयल चितवन नेशनल पार्क और पश्चिम में हिमालय पर्वत एवं गंडक नदी से घिरा हुआ है.

कैसे पहुंचे

हवाईजहाज द्वारा- वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पटना है जोकि वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान से करीबन 250 किमी की दूरी पर स्थित है.

ट्रेन द्वारा

वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नरकटियागंज और बगाह है.

सड़क द्वारा

वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान सड़क द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.आइये देखते है इस उद्यान की मुख्य शहरों से दूरी

पटना-275 किमी

बेतिया- 80 किमी

गोरखपुर-125 किमी

आने का उचित मौसम

वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान आने का उचित समय नवंबर से मार्च तक है … गर्मियों में भरी वर्षा भी होती है.

क्यों खास है वाल्मीकि टाईगर रिजर्व ?

वाल्मीकि टाईगर रिजर्व घूमने की एक बेहतरीन जगह है . अगर आप प्रकृति को नजदीक से महसूस करना चाहते हैं तो आप कुछ दिनों के लिए यहाँ जा सकते हैं . इस जगह की खूबसूरती आपका मन मोह लेगी. एक तरफ नेपाल मे दूर तक दिखती हिमालय पर्वत श्रिंखला और उन्ही पर्वतों के बीच मे से निकल कर आती हुई विशाल गंडक नदी और नदी के दूसरी तरफ मीलों दूर तक फैला घना जंगल. इस मनोरम दृश्य को नदी किनारे बैठ कर घंटों निहारा जा सकता है . जंगल के चारों ओर फैला सन्नाटा और जंगल के अंदर से आने वाली जंगली जानवरों की आवाजें, शांति इतनी की आप अपने ह्रदय के धड़कने की आवाज सुन सकते हैं. यह अहसास शहरी जीवन से एकदम अलग है, न कोई प्रदूषण और न कोई शोर-गुल, यकीन मानिए आप इस अनुभव को वर्षों तक भूल नही पाएंगे . प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह स्वर्ग से कम नहीं है .

वाल्मीकि टाईगर रिजर्व में ठहरने की जगह

वाल्मीकि टाईगर रिजर्व आने वाला हर शैलानी यहाँ दोबारा जरूर आना चाहता है, क्यूंकि यह जगह है हीं कुछ ऐसी. यहां रुकने के लिए मुख्य जंगल के बाहर कुछ होटल उपलब्ध हैं लेकिन अगर आप इस जगह का पूरा आनंद लेना चाहते हैं तो जंगल के मुख्य प्रवेश द्वार के पास बने जंगल कैंप या वाल्मीकि विहार रिसोर्ट में हीं रुकें . जंगल कैंप और वाल्मीकि विहार रिसोर्ट दोनों का निर्माण अभी हाल हीं मे बिहार सरकार के द्वारा पर्यटकों को अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से करवाया गया है .

अन्य नजदीकी पर्यटन स्थल

बाल्मिकीनगर आश्रम और गंडक परियोजना, त्रिवेणी संगम तथा बावनगढी, भिखनाठोरी,भितहरवा आश्रम एवं रामपुरवा का अशोक स्तंभ, नन्दनगढ, चानकीगढ एवं लौरिया का अशोक स्तंभ, सुमेश्वर का किला, सरैयां मन (पक्षी विहार)

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